अमेरिका से मुकाबला करने के लिए अपने परमाणु जखीरे का विस्तार करने में जुटा चीन
- बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तेजी से टकराव और तीखी बयानबाजी
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। चीन अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार करने के प्रयासों में तेजी ला रहा है, क्योंकि बीजिंग अमेरिका के खतरे को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी नेतृत्व ने यूक्रेन में मौजूदा संघर्ष से बहुत पहले देश के परमाणु निरोध बल को मजबूत करने का रणनीतिक निर्णय लिया था।
आरटी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि हालांकि, यूरोप में हालिया घटनाओं, साथ ही ताइवान पर बीजिंग और वाशिंगटन के बीच तेजी से टकराव और तीखी बयानबाजी ने कार्यक्रम की गति में वृद्धि को प्रेरित किया है। आरटी ने बताया कि अपने दावों के और सबूत के तौर पर, रिपोर्ट चीन के पश्चिमी क्षेत्रों में से एक में 100 से अधिक संदिग्ध मिसाइल साइलो की सैटेलाइट इमेजरी का भी हवाला देती है, जहां बढ़ी हुई गतिविधि का पता चला है।
अखबार का अनुमान है कि ये सुविधाएं चीन की नई लंबी दूरी की डीएफ-41 मिसाइल को होल्ड कर सकती हैं, जिसे 2020 में सेवा में लगाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार की मिसाइल परमाणु हथियार ले जा सकती है और अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने में सक्षम है। जर्नल की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चीनी अधिकारियों को अब संदेह है कि वाशिंगटन का अंतिम दांव चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का पतन करना है। इसके अलावा अमेरिका चीन के उदय को रोकने के लिए अधिक जोखिम लेने को तैयार हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, बीजिंग कथित तौर पर चिंतित है कि अगर ताइवान पर सैन्य संघर्ष छिड़ जाता है तो वाशिंगटन अपने परमाणु हथियारों को तैनात कर सकता है। रिपोर्ट में एक सेवानिवृत्त चीनी सैन्य अधिकारी का हवाला भी दिया गया है, जिन्होंने कहा है, भविष्य में कोई फर्क नहीं पड़ता कि स्थिति कैसे विकसित होती है, दुनिया अधिक टकराव वाली होगी, जिसका अर्थ है कि चीन को निश्चित रूप से परमाणु हथियारों से संपन्न बनाए रखने की आवश्यकता है।
(आईएएनएस)
Created On :   11 April 2022 3:30 PM IST