नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुनी गई अफगान महिला अधिकार कार्यकर्ता
डिजिटल डेस्क, काबुल। तालिबान ने अफगानिस्तान में अगस्त 2021 में कब्जा कर लिया। इस दौरान सैकड़ों महिला अधिकार कार्यकर्ता उग्रवादी समूह से बदले की कार्रवाई के डर से अफगानिस्तान से बाहर चली गईं थीं। लेकिन महबूबा सेराज ने अफगानिस्तान छोड़ने से इनकार कर दिया था, हालांकि, वह चाहतीं तो अमेरिका जा सकती थीं। रेडियो फ्री यूरोप (आरएफई)/रेडियो लिबर्टी (आरएल) ने बताया कि तालिबान की धमकियों के बावजूद 75 वर्षीय महिला ने महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की वकालत करना जारी रखा है और घरेलू दुर्व्यवहार से भाग रही महिलाओं के लिए आश्रयों का एक नेटवर्क संचालित करती हैं।
सेराज के काम और साहस को तब पहचाना गया जब उन्हें इस महीने की शुरुआत में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। उन्हें जेल में बंद ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील नरगिस मोहम्मदी के साथ संयुक्त रूप से नामित किया गया था। विजेता की घोषणा अक्टूबर में होने की उम्मीद है। आरएफई-आरएल की रिपोर्ट के अनुसार, 1 फरवरी को शांति अनुसंधान संस्थान ओस्लो ने नामांकितों की घोषणा करते हुए कहा कि दोनों महिलाओं ने मानवाधिकारों के लिए अहिंसक संघर्ष पर एक रोशनी डाली है और ईरान और अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों में सुधार के अपने अथक प्रयासों के आधार पर पुरस्कार साझा करने के लिए बेहद योग्य हैं।
सेराज ने कहा कि पुरस्कार जीतना मेरे लिए और अफगानिस्तान के लिए एक बड़ा सम्मान होगा। उन्होंने कहा, यह नामांकन अफगान महिलाओं के सभी बलिदानों और प्रयासों का परिणाम है। आरएफई-आरएल ने बताया कि कई अफगान महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ खड़े होने और महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सेराज की प्रशंसा की है। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अफगान-अमेरिकी इतिहासकार हलीमा काजेम ने कहा कि सेराज के नामांकन ने इस लड़ाई पर एक महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है कि अफगानिस्तान में महिलाएं और लड़कियां तालिबान और अन्य सामाजिक दबावों के खिलाफ लड़ रही हैं। आरएफई-आरएल रिपोर्ट के अनुसार, सेराज अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मंचों पर अपनी उपस्थिति में महिलाओं पर तालिबान की नीतियों की आलोचना में मुखर रही हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   11 Feb 2023 4:30 PM IST