बलोच आंदोलन: जानिए कौन हैं बलूचिस्तान आंदोलन का चेहरा बनी महरंग बलोच, जो पाकिस्तान को दिला रहीं मुजीबुर रहमान की याद

जानिए कौन हैं बलूचिस्तान आंदोलन का चेहरा बनी महरंग बलोच, जो पाकिस्तान को दिला रहीं मुजीबुर रहमान की याद
  • हफ्ते भर से चला रहा बलूच आंदोलन
  • आंदोलन का चेहरा बनी महरंग बलोच
  • 16 साल की उम्र में किया था पहला आंदोलन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पिछले एक हफ्ते से बलूचों का आंदोलन चल रहा है। इस बड़े आंदोलन से पाकिस्तान सरकार का हाल बेहाल हो रहा है। बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों द्वारा युवाओं की गैरकानूनी हत्याएं और फर्जी एनकाउंटर के विरोध में वहां के लोग यह आंदोलन कर रहे हैं। जिसके चलते हजारों महिलाओं और बच्चों के साथ-साथ बलूच नागरिकों ने इस्लामाबाद का घेराव किया हुआ है। यहां पड़ रही कंपकंपाती ठंड के बावजूद भी महिलाएं आंदोलन का नेतृत्व पूरी ताकत के साथ कर रही हैं। बलूच महिलाओं की यह हिम्मत देखकर पाकिस्तानी सरकार के पसीने छूट रहे हैं। पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर का तो यह तक कहना है कि यह सभी लोग भारत के इशारे पर ये आंदोलन कर रहे हैं।

पीएम ने लगाया देश बांटने का आरोप

आंदोलन को लेकर देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर ने आंदोलन करने वाले बलूचों को मुल्क में दरार डालने वाला बताकर 1971 के बंटवारे का जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा कि, 'आंदोलन कर रहे लोग ये धयान रखें कि ये न तो 1971 है और न ही ये पहले का पाकिस्तान है।' इस दौरान, आंदोलन का नेतृत्व कर रही नेता डॉ. महरंग बलोच ने संयुक्त राष्ट्र के दफ्तरों के बाहर धरने देने का ऐलान किया। बता दें कि आंदोलन के चलते 2 जनवरी को इस्लामाबाद बंद भी बुलाया गया था। महरंग ने कहा कि,' हमारे धरना स्थल के नजदीक भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है। हमने सुरक्षा के लिए कभी इसकी मांग नहीं की थी, लेकिन हमें डराने के लिए इनकी तैनाती की गई है।'

कौन हैं महरंग बलोच?

आंदोलन का चेहरा बनी डॉ. महरंग बलोच बलूचिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं। इसकी वजह बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के खिलाफ उनका आवाज उठाना है। 1993 में एक बलूच परिवार में जन्मी महरंग ने एमबीबीएस की पढ़ाई की है। उनके पिता का नाम अब्दुल गफ्फार था जो की एक मजदूर थे। महरंग के जन्म के समय उनका परिवार क्वेटा में रहता था लेकिन उनकी बीमार माता के इलाज के चलते उनका परिवार कराची शिफ्ट हो गया। उनका पिता का क्वेटा से कराची आना उनके लिए गलत साबित हुआ।

दरअसल, फरवरी 2009 उनके पिता को अस्पताल जाते वक्त किडनैप कर लिया गया था। इसके करीब दो साल उनकी लाश मिली। जब उसका पोस्टमार्टम कराया गया तब पता चला कि उन पर काफी अत्याचार किया गया था, जिस वजह से उनकी मौत हुई। लेकिन इसके बाद भी महरंग के परिवार पर अत्याचारों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ था। पिता की मौत के 8 साल बाद यानी 2017 में उनके भाई को भी अगवा कर लिया गया और करीब 3 महीने तक हिरासत में रखा।

महरंग जब केवल 16 साल तभी उनके सर पिता का साया उठ गया था। उन्होंने इस छोटी उम्र से ही पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद समय के साथ महरंग बलूचिस्तान में विरोध का बड़ा चेहरा बन गई।

आरक्षण दर कम करने के लिए भी किया था आंदोलन

बता दें कि, इससे पहले महरंग बलोच ने बलूचिस्तान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण कम करने के विरोध में भी आंदोलन किया था। इसके बाद वह अपने राज्य के शोषितों की आवाज बनी हुई है। महरंग के नेतृत्व में ही पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के विरोध में बलूचों का आंदोलन हो रहा है। जो कि बलूचिस्तान से 1600 किलोमीटर का रास्ता तय करके इस्लामाबाद पहुंचा है।

कट्टरवादी समाज में महरंग जैसी महिला का इस तरह सामने आकर कुरीतियों और अत्याचार का विरोध करना बड़ा साहस भरा निर्णय है। यही एक प्रमुख कारण है कि बलूचिस्तान की महिलाएं भी उनसे हिम्मत और प्रेरणा लेकर सड़को पर आंदोलन कर रही हैं।

Created On :   5 Jan 2024 12:59 AM IST

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