सीरिया और भारत के दोस्ताना संबंध!: दमिश्क में नेहरू स्ट्रीट, कश्मीर मुद्दे पर समर्थन, क्या सीरिया में तख्तापलट बदल देगा भारत से दशकों पुरानी दोस्ती की तस्वीर?

दमिश्क में नेहरू स्ट्रीट, कश्मीर मुद्दे पर समर्थन, क्या सीरिया में तख्तापलट बदल देगा भारत से दशकों पुरानी दोस्ती की तस्वीर?
  • सीरिया में तख्तापलट के बाद बिगड़े हालात
  • भारत से हैं दश्कों पुराना नाता
  • जानें दोनों देशों के बीच दश्कों पुराने रिश्तें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीरिया में चल रहे सिविल वार की स्थिति आज भी एक गंभीर संकट बनी हुई है। ताजा हालात के मुताबिक, सीरिया में अब विद्रोही समूहों का कब्जा हो चुका है। जिनमें से ज्यादातर अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के समर्थक शामिल हैं। खबर है कि, इस विद्रोह के कारण सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद देश छोड़कर फरार हो गए हैं। हालिया जानकारी के मुताबिक, वे अपने परिवार के साथ रूस में शरण लिए हुए हैं। सीरिया में इस तख्तापलट के साथ 50 साल पुराने असद शासन का अंत हो गया। यदि इसके इतिहास पर गौर करें तो सीरिया में ये संघर्ष 2011 से शुरु हुआ था। इस संघर्ष के बाद से ये युद्ध ना केवल सीरिया के लिए घरेलू समस्या तक सीमित रही, बल्कि पूरी दुनिया की महाशक्तियों के बीच एक संघर्ष का बड़ा कारण भी बन गया है। इस युद्ध के चलते न केवल सीरिया के नागरिकों के जीवन बरबाद हुआ है, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट रीजन की स्थिरता पर भी गहरा प्रभाव डाला है।

सीरिया में इस वार और विद्रोहियों का कब्जा होने की वजह से भारत की भी परेशानी बढ़ गई है। आपको बता दें कि, भारत और सीरिया के बीच संबंध ऐतिहासिक और मजबूत कूटनीतिक रिश्ते के रहे हैं। ये रिश्ते हमेशा से एक सकारात्मक दृष्टिकोण और सहयोग पर आधारित रहे हैं। लेकिन सीरिया की महाशक्तियों के संघर्ष में फंसी हुई स्थिति ने इसे एक मोहरे में बदलकर रख दिया है। गौरतलब है कि भारत ने हमेशा से शांति, समृद्धि और सीरिया के लोगों के अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाई है। लेकिन सीरिया का संघर्ष अब केवल एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की महाशक्तियों के प्रभाव का परिणाम बन गया है। महाशक्तियों की शक्ति बढ़ाने की होड़ और युद्ध के कारण होने वाली क्षती के बावजूद भी ये युद्ध अब भी बिना किसी स्थायी समाधान के जारी है। तो ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि सीरिया और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों के बारे में

कैसे हुई भारत और सीरिया के बीच दोस्ती की शुरुआत?

भारत और सीरिया के बीच दोस्ती की शुरुआत लगभग 20वीं सदी के बीच में हुई थी। ये वो वक्त था जब सीरिया ने 1946 में फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की और भारत ने इसे सबसे पहले मान्यता दी। 1950 के दशक में दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होने लगे थे। दरअसल, 1957 में भारतीय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने सीरिया का दौरा किया था। माना जाता है कि इसके बाद से ही भारत-सीरिया के बीच दोस्ती की शुरूआत हुई थी। ये दोस्ती राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक

आधार पर निर्मित हुई थी, जिसमें भारत ने सीरिया के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया था। इसे देखते हुए सीरिया ने भी भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए थे। इसके अलावा दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में कई मुद्दों को लेकर एक-दूसरे का समर्थन भी किया। साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग भी किया है। भारत ने भी सीरिया के आर्थिक और सामाजिक विकास में सहायता देने के लिए कई कदम उठाए। भारत ने सीरिया में कई स्वास्थ्य और शिक्षा परियोजनाएं शुरू की, जिससे वहां के नागरिकों के जीवन में सुधार हुआ। इसके अलावा भारत ने सीरिया को सैन्य सहायता और कूटनीतिक समर्थन भी दिया।

1970 के दशक में जब सीरिया के राष्ट्रपति हाफिज अल-असद ने सत्ता संभाली, तब दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत हुए। उस वक्त भारत ने सिरीया के संघर्षों में उनका समर्थन किया, खासकर इजराइल के खिलाफ युद्ध के दौरान। इसके बाद, 2011 में सिरीया में सिविल वार की स्थिति आने पर भारत ने निष्पक्ष रहते हुए सिरीया की संप्रभुता (Sovereignty) और क्षेत्रीय अखंडता (Territorial Integrity) का समर्थन किया। आज भी दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते हैं, जहां भारत ने सिरीया को मानवीय सहायता (humanitarian aid) और विकास परियोजनाओं (development projects) में मदद करता है और सिरीया के नागरिक भारत में उच्च शिक्षा के लिए आते हैं। तो ऐसे में, भारत और सिरीया के बीच दोस्ती समय के साथ मजबूत होती गई है, जो सहयोग और आपसी सम्मान पर आधारित है।

सीरिया का महाशक्तियों के खेल में मोहरा बनना

सीरिया की भौगोलिक स्थिति ने उसे हमेशा से महाशक्तियों के लिए एक अहम रणनीतिक स्थान बना दिया। 20वीं सदी के बीच में जब पश्चिमी देशों (ब्रिटेन और फ्रांस) ने मिडिल इस्ट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की, तो सीरिया ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए काफी संघर्ष किया। इसके बाद, सोवियत संघ (अब रूस) और अमेरिका के बीच बढ़ते मुकाबले ने सीरिया को अपनी परिस्थिति तय करने में काफी चुनौतियों का सामना कराया। जहां फ्रांस के खिलाफ "ग्रेट सीरियन रिवोल्यूशन" और उसके बाद आजादी के बावजूद, सीरिया हमेशा महाशक्तियों के खेल का शिकार बना रहा। इस स्थिति और महाशक्तियों की नीति ने उसे एक तरह से "मोहरा" बना दिया।

उसके बाद, 21वीं सदी में बशर अल-असद के शासन के खिलाफ 2011 में शुरू हुए विद्रोह ने सिविल वार को जन्म दिया। जिसने देश को महाशक्तियों के हितों का युद्धक्षेत्र बना दिया। इस युद्ध में कई देशों ने अपनी-अपनी रणनीतियों को लागू किया। जहां रूस और ईरान ने असद सरकार का समर्थन किया, जबकि अमेरिका और पश्चिमी देश इसके खिलाफ थे। साथ ही, इसमें तुर्की और सऊदी अरब जैसे देशों ने भी अपनी भूमिका निभाई। जिससे सीरिया के हालात और भी जटिल होते गए। आपको बता दें कि सीरिया को पश्चिमी एशिया का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है और इसका एक प्रमुख भू-राजनीतिक स्थान मिडिल इस्ट में है।

भारत का सीरिया के प्रति दृष्टिकोण

भारत का सीरिया के लिए दृष्टिकोण हमेशा से शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक रहे हैं। भारत सीरिया को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण देश मानता है। वो भारत के कोई भी आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचता है। भारत भी हमेशा से सीरिया की संप्रभुता (Sovereignty) और क्षेत्रीय अखंडता (Territorial Integrity) का समर्थन करता रहा है।

आपको बता दें कि, सीरिया में 2011 से चल रहे सिविल वार के दौरान भी भारत ने निष्पक्ष रहकर शांति की अपील की। उसका मानना है कि, इस समस्या का समाधान केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है। भारत ने सीरियाई जनता के लिए मानवीय सहायता भेजी और युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों में मदद पहुंचाने का भी काम किया। साथ ही, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बाहरी हस्तक्षेप का विरोध किया है और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देने का पक्ष लिया। बता दें कि, भारत पश्चिम एशिया के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहता है क्योंकि, ये क्षेत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो कुल मिलाकर, भारत का सीरिया के प्रति दृष्टिकोण संतुलित और सामान्य रहा है। वो सीरिया में स्थिरता लाने और उसकी जनता की भलाई के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है।

Created On :   10 Dec 2024 5:54 PM IST

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