बॉलीवुड को सफल होने के लिए खुद को नए सिरे से तैयार करना होगा

Bollywood has to reinvent itself to be successful
बॉलीवुड को सफल होने के लिए खुद को नए सिरे से तैयार करना होगा
एम.के. राघवेंद्र बॉलीवुड को सफल होने के लिए खुद को नए सिरे से तैयार करना होगा

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। देश में दक्षिणी सिनेमा के विस्तार ने एक बार फिर हिंदी और क्षेत्रीय विभाजन की बहस को बढ़ा दिया है। आईएएनएस ने सिनेमा क्रिटिक और स्कॉलर एम.के. राघवेंद्र से बात की। राघवेंद्र को फिल्म विश्लेषण के लिए जाने जाता है। वह बियॉन्ड बॉलीवुड द सिनेमाज ऑफ साउथ इंडिया और द पॉलिटिक्स ऑफ हिंदी सिनेमा इन द न्यू मिलेनियम के लेखक हैं।

साक्षात्कार के अंश:

सवाल: आप हाल के दिनों में दक्षिणी फिल्मों की अखिल भारतीय सफलता का विश्लेषण कैसे करते हैं?

जवाब: हिंदी सिनेमा एक अखिल भारतीय सिनेमा है जो भारत के सभी हिस्सों के लोगों तक पहुंचता है और उसके अनुसार खुद को तैयार करना पड़ता है। लेकिन मल्टीप्लेक्स क्रांति के साथ, हिंदी सिनेमा ने सबसे पहले उन वर्गों को टारगेट करना शुरू किया, जिनके पास पैसा था और खर्च करने की शक्ति थी। दर्शक इन स्टार्स से अपनी पहचान नहीं बना पाए। इस बीच सलमान खान छोटे शहरों के उन लोगों को संबोधित करते हुए सिंगल स्क्रीन हीरो बन गए, जो हिंदी भाषी थे। दबंग और भारत जैसी फिल्मों में एक्टर जानबूझकर अंग्रेजी शब्दों का गलत उच्चारण करते थे।

सवाल: कौन से फैक्टर्स हैं जो साउथ फिल्मों को उनके हिंदी समकक्ष पर ज्यादा महत्व दे रहे हैं?

जवाब: स्वतंत्रता के बाद के दशकों में हिंदी सिनेमा को राष्ट्रीय चिंताओं को आवाज देने वाला एक राष्ट्रीय सिनेमा कहा जाता था। लेकिन बॉलीवुड में तेजी से बदलाव हुआ। उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, द गाजी अटैक, द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में आ रही है। वहीं, दक्षिण भारतीय सिनेमा हमें ऐसी चीजें दे रहा है जो भारत से असंबंधित नहीं है - कबीर सिंह, पुष्पा, बाहुबली, केजीएफ, ²श्यम, आरआरआर।

मेरा मानना है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों की सफलता उन विषयों की ओर इशारा करती है जो भारत से संबंधित नहीं हैं।

सवाल: वर्तमान स्थिति बॉलीवुड और दक्षिणी क्षेत्रीय सिनेमा इंडस्ट्री को कैसे प्रभावित करने वाली है?

जवाब: मुझे लगता है कि बॉलीवुड अपने आखिरी पड़ाव पर है। देशभक्ति सिनेमा लंबे समय में बोरिंग चल रहा है। बॉलीवुड को खुद को बदलना होगा।

सवाल: साउथ एक्टर बॉलीवुड में असफल क्यों होते हैं?

जवाब: यश, प्रभास और अल्लू अर्जुन अमिताभ, राजेश खन्ना, शाहरुख, सलमान को टक्कर नहीं देंगे। दक्षिण भारतीय सितारों का कास्ट आधार (कम्मा, कापू, रेड्डी, वोक्कालिगा) बहुत मजबूत है, जो हिंदी सितारों के पास नहीं है। कास्टिंग के मुताबिक उन्हें स्टारडम मिलता है।

सवाल: क्या मौजूदा स्थिति को बॉलीवुड बनाम दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के रूप में वर्णित करना उचित होगा?

जवाब: यह उचित होगा, या आप राष्ट्रीय बनाम स्थानीय पहचान भी कह सकते हैं। दक्षिण भारतीय सिनेमा ऐसी चीजें बना रहा है जो कोई और नहीं बनाता। देखिए पुष्पा में सेक्सुअल अंदाज। हिंदी सिनेमा इसे पेश नहीं कर सकता। कामुकतावाद देशभक्ति के साथ नहीं जाता।

सवाल: फिल्मों को हिट बनाने में डबिंग का कितना महत्व है?

जवाब: जब फिल्मों को डब किया जाता है, तो भाषाई रूढ़िवाद अपना दंश खो देता है। लेकिन फिल्में इतनी महंगी हो गई है, उन्हें डब करना पड़ता है।

सवाल : क्या दक्षिण सिनेमा पूरे भारत में धूम मचाना जारी रखेगा, या यह सिर्फ एक गुजरता हुआ दौर है?

जवाब: सभी चरण गुजरते हैं। लेकिन यह देशभक्ति की तुलना में अधिक समय तक चलने वाला होगा।

आईएएनएस

Created On :   1 May 2022 12:00 PM IST

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