कटघरे में नई शिक्षा नीति, स्टूडेंट्स की संख्या से तय होगा शिक्षकों का वेतन
डिजिटल डेस्क, नागपुर । पूर्व शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के कार्यकाल में विद्यार्थी संख्या पर शिक्षकों का वेतन तय करने की संभावना तलाशी गई थी। इसे प्रत्यक्ष लागू करने की दिशा में गतिविधियां शुरू हो गई हैं। 4 दिसंबर को शिक्षण आयुक्तालय पुणे कार्यालय से आदेश जारी कर एक अभ्यास गट का गठन किया गया है। शिक्षण विभाग से संबंधित 33 विषयों पर स्वतंत्र अभ्यास गट गठित कर 31 दिसंबर तक रिपोर्ट शिक्षण आयुक्तालय को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। नई नीति लागू होने पर सबसे बड़ा झटका ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को लगेगा। ग्रामीण स्कूलों में विद्यार्थी संख्या कम रहने पर कोई भी शिक्षक जाने के लिए तैयार नहीं होगा। शिक्षक नहीं मिलने पर स्कूल अपने-आप बंद हो जाएंगे।
33 विषयों पर स्वतंत्र अभ्यास गट
शिक्षा पर खर्च में कटौती करने तत्कालीन शिक्षा मंत्री िवनोद तावड़े ने विद्यार्थी संख्या के आधार पर शिक्षकों का वेतन तय करने की संकल्पना रखी थी। शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में किए गए प्रावधानों के आधार पर शिक्षण आयुक्तालय ने शिक्षा विभाग से संबंधित आरटीई प्रवेश प्रक्रिया, कक्षा 11वीं की प्रवेश प्रक्रिया, संचमान्यता, मध्याह्न भोजन, स्कूलों का एकत्रीकरण, मुख्याध्यापक पदों की सीधी भर्ती, केंद्र प्रमुखों का सक्ष्मीकरण आदि 33 विषयों पर स्वतंत्र अभ्यास किया जाएगा।
6 सदस्यीय अभ्यास गट गठित
विद्यार्थी संख्या के आधार पर शिक्षकों का वेतन तय करने की संभावना तलाशने 8 सदस्यीय अभ्यास गट का गठन किया गया है। माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षण संचालनालय पुणे के शिक्षण संचालक दिनकर पाटील को अभ्यास गट का अध्यक्ष बनाया गया है। 31 दिसंबर तक अभ्यास कर आवश्यक सिफारिशों की रिपोर्ट शिक्षण आयुक्त को पेश की जाएगी। जनवरी 2020 में अपर मुख्य सचिव के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है।
विरोध
विद्यार्थी संख्या पर शिक्षकों को वेतन तय करने की नीति का शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं। सरकार इसे लागू करती है, तो इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन कर सकते हैं, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने वाली इस नीति को लागू नहीं करने का नई सरकार से अनुरोध किया है।
बंद हो जाएंगे ग्रामीण स्कूल
रोजगार की तलाश में गांवों से पलायन कर लोग शहरों में बस रहे हैं। शहरों में स्थानांतरण होने से गांव के स्कूलों में विद्यार्थी संख्या तेजी से घट रही है। जिला परिषद के 100 से अधिक स्कूलों में 20 से कम विद्यार्थी हैं। यदि विद्यार्थी संख्या के आधार पर शिक्षकों का वेतन तय करने की नीति लागू होती है, ग्रामीण क्षेत्र पर इसका सबसे बड़ा असर होगा। ग्रामीण क्षेत्र में विद्यार्थी संख्या कम रहने से शिक्षक को वेतन भी कम मिलेगा, इसलिए कोई भी शिक्षक जाने के लिए तैयार नहीं होगा। सरकार की इस नीति से ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल अपने-आप बंद हो जाएंगे।
ग्रामीणों को शिक्षा से वंचित रखने का षड़यंत्र
ग्रामीण तथा दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थी संख्या कम रहती है। विद्यार्थी संख्या पर शिक्षकों का वेतन तय करने की नीति लागू करने पर कोई भी शिक्षक ग्रामीण क्षेत्र में जाना नहीं चाहेगा। ग्रामीण क्षेत्र में विद्यार्थियों के शिक्षा के द्वारा बंद हो जाएंगे। ग्रामीण विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित रखने का बड़ा षड़यंत्र है। -लीलाधर ठाकरे, जिलाध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति
Created On :   9 Dec 2019 11:40 AM IST