29 साल तक गुमनाम रही ऋषिकेश को पहचान दिलाने वाली धरोहर, आज बनी सबकी पसंद

Rishikeshs heritage, which remained anonymous for 29 years, became everyones choice today
29 साल तक गुमनाम रही ऋषिकेश को पहचान दिलाने वाली धरोहर, आज बनी सबकी पसंद
जानिए क्यों खास है चौरासी कुटी? 29 साल तक गुमनाम रही ऋषिकेश को पहचान दिलाने वाली धरोहर, आज बनी सबकी पसंद
हाईलाइट
  • 29 साल तक गुमनाम रही ऋषिकेश को पहचान दिलाने वाली धरोहर
  • आज बनी सबकी पसंद; जानिए चौरासी कुटी के बारे में क्या है यहां की खासियत

डिजिटल डेस्क, ऋषिकेश। विश्व के कोने-कोने में ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में जाना जाता है। मगर यह सुनकर आपको हैरानी होगी कि ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में पहचान दिलाने वाला स्थान 29 वर्ष तक खुद ही गुमनामी में रहा। हम बात कर रहे हैं चौरासी कुटी की।

ऋषिकेश को आज योग और अध्यात्म की नगरी के रूप में विश्व पटल पर पहचान मिली है। विश्व के कोने-कोने में ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में जाना जाता है। भावातीत ध्यान योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी द्वारा बसाए गए शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) की कई खाससियत है। राजाजी टाइगर रिजर्व बनने के बाद शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) को आम आदमी के प्रवेश के लिए बंद कर दिया गया था। समय के साथ यहां जंगल उग आया और पूरी धरोहर खंडहर में बदल गई। मगर, 29 वर्ष बाद जब इसे पर्यटकों के लिए खोला गया तो यह स्थान पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन गई।

ध्यान योग के लिए विश्व विख्यात महर्षि महेश योगी ने वर्ष 1961 में स्वर्गाश्रम (ऋषिकेश) के पास वन विभाग से 15 एकड़ भूमि लीज पर लेकर यहां शंकराचार्य नगर की स्थापना की थी। यहां उन्होंने अद्भुत वास्तुशैली वाली चौरासी छोटी-छोटी कुटियों और सौ से अधिक गुफाओं का निर्माण कर इस जगह को ध्यान-योग केंद्र के रूप में विकसित किया। यहां बने भवन आज भी वास्तु कला के अद्भुत नमूने हैं, जो उस वक्त जापान की तकनीकी पर निर्मित किए गए थे। यह सभी भवन और कुटिया भूकंपरोधी हैं, जो खंडहर हाल होने के बावजूद भी अपनी बुलंदियों का गवाह बने हुए हैं।

उस दौर में ऋषिकेश में महर्षि महेश योगी के अलावा डा. स्वामी राम, स्वामी शिवानंद जैसे संत भी योग शिक्षा के लिए जाने जाते थे। मगर, चौरासी कुटी योग और ध्यान का अनोखा केंद्र बन गया था।

1968 में यहां पहुंचा था बीटल्स ग्रुप:

सन 1968 में ब्रिटेन का विश्व प्रसिद्ध म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स यहां पहुंचा। बीटल्स ग्रुप के चार सदस्य जार्ज हैरिसन, पाल मैकेनिक, रिंगो स्टार व जान लेनन ने एक लंबे अंतराल तक यहां रहे। उस दौर के मशहूर इस म्यूजिकल ग्रुप ने यहां रहते हुए कई धुनें और गीत भी यहां रचे थे। बीटल्स ग्रुप के यहां आने के बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश, विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गई। इसके बाद ऋषिकेश विश्व पटल पर योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में पहचाना जाने लगा।

अल्पआयु में ही लग गया था ग्रहण :

शंकराचार्य नगर (चौरासी कुटी) की भव्यता को अल्पायु में ही ग्रहण लग गया। वर्ष 1983 में राजाजी नेशनल पार्क बनने और वर्ष 1986 में पार्क का सीमा विस्तार होने पर चौरासी कुटिया पार्क क्षेत्र में आ गई। पर्यटकों की आवाजाही के कठोर नियम होने और संसाधनों का विस्तार संभव न हो पाने की वजह से महर्षि महेश योगी ने इसे वन विभाग के सुपुर्द कर दिया और स्वयं उन्होंने नीदरलैंड का रुख कर दिया।

इसके साथ ही चौरासी कुटिया क्षेत्र में आम नागरिकों का प्रवेश वर्जित हो गया। नतीजा यह हुआ कि देखरेख के अभाव में यहां बनी कुटिया व गुफाएं जर्जर हो गईं और पूरा परिसर बंजर होता चला गया। करीब 29 वर्षों तक ऋषिकेश को विशेष पहचान दिलाने वाली यह धरोहर स्वयं वक्त के अंधेरे में रही। बीटल्स ग्रुप की यादों से जुड़ी इस धरोहर को देखने के लिए तमाम पर्यटक तो यहां आते थे। मगर, भीतर जाने की अनुमति न होने के कारण उन्हें मायूस लौटना पड़ता था।

आखिर अब से छह वर्ष पूर्व आठ दिसंबर 2015 में वन विभाग ने इस परिसर की सफाई व मरम्मत कर इसे दोबारा पर्यटकों के लिए खोला गया। इसके बाद से देशी-विदेशी पर्यटक, छात्र व वरिष्ठ नागरिक निश्चित शुल्क अदा कर यहां घूमने के लिए आ रहे हैं। चौरासी कुटी के खुलने के बाद यहां लगातार पर्यटकों की आमद बढ़ी है। पर्यटकों से लिए जाने वाले शुल्क से पार्क प्रशासन की आमदनी बढ़ती जा रही है। हाल में ही पिछले पांच वर्ष का रिकार्ड जब राजाजी टाइगर रिजर्व ने पेश किया तो पता चला कि यह धरोहर किसी खाजाने से कम नहीं है। छह वर्षों में 1,39,176 विदेशी और भारतीय पर्यटक चौरासी कुटी का भ्रमण कर चुके हैं। इन पर्यटकों के प्राप्त शुल्क से राजाजी पार्क प्रशासन को दो करोड़ 33 लाख 29 हजार 685 रुपये की आमदनी प्राप्त की है।

कोरोना महामारी का पड़ा आमदनी पर असर :

विश्वव्यापी कोरोना महामारी का भी बड़ा असर चौरासी कुटी पर पड़ा है। दिसंबर 2015 में जब पहली बार चौरासी कुटी को पर्यटकों के लिए खोला गया तब मार्च 2016 तक यहां 4975 पर्यटक पहुंच गए थे। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 9685, वर्ष 2017-18 में 18313 तथा वर्ष 2018-19 में 30047 पर्यटक चौरासी कुटी के दीदार को पहुंचे। वित्तीय वर्ष 2019-20 में सर्वाधिक 42233 पर्यटकों ने चौरासी कुटी में भ्रमण के लिए आए। मार्च 2020 में विश्वव्यापी कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ा तो चौरासी कुटी को भी बंद करना पड़ा। जिसके बाद 16 अक्टूबर 2020 को फिर से चौरासी कुटी को पर्यटकों के लिए खोला गया। इसके बाद इस वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते चौरासी कुटी में पर्यटकों की आमद कुछ कम रही।

पर्यटक सुविधाओं का किया गया विस्तार :

चौरासी कुटी को खोलने के बाद यहां कुछ पर्यटक सुविधाओं का विस्तार भी किया गया। रेंज अधिकारी धीर सिंह ने बताया कि चौरासी कुटी में हाल में ही हर्बल गार्डन और नवग्रह वाटिका की स्थापना की गई। इसके अलावा पर्यटकों के लिए पीने का पानी, बायो टायलेट, नेचर पाथ, बैम्बो हट, सोलर स्ट्रीट लाइट, म्यूजिक सिस्टम तथा दूरबीन आदि की व्यवस्था की गई है।

 

आईएएनएस

Created On :   9 Jan 2022 12:30 PM IST

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