पत्रकारिता विश्वविद्यालय: अद्भुत ताकत होती है दृश्य में : कुलगुरु तिवारी

- लाइटिंग का पड़ता है कंटेंट की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव - चेतल पाहल
- पत्रकारिता विश्वविद्यालय में सिनेमैटोग्राफी कार्यशाला का आयोजन
- टूल्स एंड टेक्निक्स ऑफ सिनेमैटोग्राफी विषय पर विशेष कार्यशाला
डिजिटल डेस्क, भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के सिनेमा अध्ययन विभाग द्वारा"टूल्स एंड टेक्निक्स ऑफ सिनेमैटोग्राफी" विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को सिनेमैटोग्राफी के तकनीकी एवं रचनात्मक पहलुओं की विस्तृत जानकारी देना था, ताकि वे व्यवहारिक स्तर पर अपने कौशल को निखार सकें और उद्योग में अपनी जगह बना सकें। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के विश्व प्रसिद्ध कैमरा ब्रांड निकोन के सहयोग से आयोजित हुआ। इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को पेशेवर कैमरा संचालन, विभिन्न कैमरा सेटिंग्स, एंगल्स, फ्रेमिंग और वीडियो प्रोडक्शन के तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया। कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि दृश्य की अद्भुत ताकत होती है। उन्होंने भोपाल गैस कांड के एक नन्हे बच्चे की तस्वीर की याद करते हुए कहा कि जब भी कभी भोपाल गैस त्रासदी की बात होती है या याद आती है तो वह तस्वीर आंखों के सामने आ जाती है । फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी में अवसर की अनंत अवसर होने की बात के साथ ही उन्होंने कंटेंट राइटिंग भी सीखने की बात कही। तिवारी ने बच्चों से कहा कि वे यहां आकर अपने आने का मकसद न भूलें। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में विजुअल कंटेंट का महत्व तेजी से बढ़ रहा है, और सिनेमैटोग्राफी इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थी तकनीकी रूप से दक्ष बनेंगे और इंडस्ट्री के अनुकूल अपने कौशल को विकसित कर पाएंगे।"
कार्यशाला का समन्वयक सिनेमा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पवित्र श्रीवास्तव द्वारा किया गया, जिन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे नई तकनीकों को अपनाएं और अपने सिनेमैटोग्राफी कौशल को अगले स्तर तक ले जाएं ।चेतल पाहल (टेक्निकल ऑफिसर, वेस्ट रीजन, निकोन) ने कैमरा ऑपरेशन और तकनीकी सेटअप पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा, "वीडियो प्रोडक्शन के दौरान व्यूअर का ध्यान सब्जेक्ट से भटकना नहीं चाहिए। सही कैमरा एंगल और लाइटिंग ही इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि ऑडियंस की नजरें स्क्रीन से न हटें। फोटोग्राफर,"ए. एम. फारूकी ने अपने अनुभव साझा करते हुए फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के पेशेवर पहलुओं को विस्तार से समझाया। उन्होंने विद्यार्थियों को सिनेमैटिक लुक क्रिएट करने, स्टोरीटेलिंग के लिए विजुअल लैंग्वेज का इस्तेमाल करने और वास्तविक दुनिया में इन तकनीकों को लागू करने के सुझाव दिए।
कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य:
1. विद्यार्थियों को सिनेमैटोग्राफी के बेसिक और उन्नत तकनीकों की जानकारी दी गई। 2. कैमरा ऑपरेशन, लाइटिंग, फ्रेमिंग और कंपोजिशन पर चर्चा हुई।3. विभिन्न कैमरा सेटिंग्स, लेंस चयन, रिज़ॉल्यूशन, और पिक्सल्स के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।4. प्रोफेशनल वीडियो प्रोडक्शन के दौरान आने वाली तकनीकी चुनौतियों और उनके समाधान पर मार्गदर्शन दिया गया।5. फिल्म निर्माण, डॉक्यूमेंट्री, और डिजिटल कंटेंट प्रोडक्शन के लिए आवश्यक सिनेमैटिक तकनीकों को सिखाया गया।
कार्यशाला में प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन का आयोजन
विशेषज्ञों द्वारा लाइव कैमरा ऑपरेशन और शूटिंग सेशन का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने सीधे उपकरणों के साथ काम किया।
प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन में क्या सीखा:
कैमरा एंगल और मूवमेंट्स: विद्यार्थियों को समझाया गया कि अलग-अलग एंगल कैसे भावनाओं को प्रभावित करते हैं और कहानी कहने में मदद करते हैं।लाइटिंग टेक्निक्स: प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी का प्रभाव, तीन-बिंदु प्रकाश व्यवस्था और लो-लाइट सिनेमैटोग्राफी के रहस्य बताए गए ।
फ्रेमिंग और कंपोजिशन: ‘रूल ऑफ थर्ड्स’, ‘लीडिंग लाइन्स’ और ‘डेप्थ ऑफ फील्ड’ का उपयोग करके बेहतर विजुअल्स कैसे बनाए जा सकते हैं।
वीडियो फॉर्मेट्स और रिज़ॉल्यूशन: विभिन्न प्रकार के कैमरों और वीडियो फॉर्मेट्स की बारीकियों पर भी चर्चा।
विद्यार्थियों के लिए कार्यशाला अत्यंत ज्ञानवर्धक और व्यावहारिक रही। उन्होंने न केवल सिनेमैटोग्राफी की बारीकियों को समझा बल्कि वास्तविक कैमरा ऑपरेशन का भी अनुभव प्राप्त किया। इस कार्यशाला ने विद्यार्थियों को फिल्ममेकिंग, विज्ञापन, डॉक्यूमेंट्री निर्माण, डिजिटल कंटेंट क्रिएशन, और वेब सीरीज प्रोडक्शन में संभावनाओं की एक नई दुनिया से परिचित कराया।कार्यशाला का समापन कार्यशाला के समापन पर सिनेमा अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पवित्र श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों को इस ज्ञान को अपने करियर में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला में सिनेमा अध्ययन विभाग के विद्यार्थी एवं अन्य विभाग के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
Created On :   1 March 2025 3:32 PM IST