अभियान: बिछड़े शावक को मां से मिलाने जंगल में रातभर चला रेस्क्यू ऑपरेशन

  • टार्च की रोशनी से बिफरी मादा तेंदुआ
  • किसान पर कर दिया हमला
  • पत्थर फेंककर किसान ने बचाई अपनी जान

डिजिटल डेस्क, वर्धा। जिले के सेलू तहसील के ग्राम हिवरा परिसर में गुरुवार रात 9 बजे के दौरान किसान व मादा तेंदुए के बीच हुए संघर्ष के बाद तेंदुआ वहां से जंगल की ओर भाग गया, लेकिन उसका डेढ़ माह का शावक वहीं पर रह गया था। जो ग्रामीणों के हाथ लगा। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी। पश्चात वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर गुरुवार रात से लेकर शुक्रवार की सुबह 4 बजे तक चलाए गए "रेस्क्यू ऑपरेशन' के जरिए बिछड़े शावक को मां से मिलाने में रातभर मशक्कत की। आखिरकार देर रात साढ़े 3 बजे के दौरान मादा तेंदुआ वहां पहुंची और शावक को पिंजरे से बाहर निकालकर मुंह में पकड़कर जंगल की दिशा में चली गई। यहां बता दें कि गुरुवार,6 जून की रात 8 बजे के दौरान ग्राम हिवरा में खेत में जा रहे एक किसान के टार्च की रोशनी मादा तेंदुए के आंखों पर पड़ने से वो बिथर गई थी और उसने किसान पर हमला कर दिया। हमले में खुद की जान बचाते हुए किसान ने हाथ की थैली तेंदुए की दिशा में फेंककर भाग गया, लेकिन तेंदुआ उसका पीछा करता रहा। दौरान किसान ने तेंदुए पर पथराव कर किसी तरह से तेंदुए को जंगल में भगा दिया। लेकिन उसका शावक वहीं रह गया था। ग्रामीणों ने शावक को कब्जे में लेकर घटना की जानकारी उपवनसंरक्षक राकेश सेपट, सहायक वनसंरक्षक अमरजीत पवार को दी।

जानकारी मिलते ही वनविभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर शावक को अपने कब्जे में लिया। जिसके बाद यह शावक बुखार से ग्रस्त होने के साथ ही एक आंख में जख्म होने की बात ध्यान में आयी। जिससे उसे वर्धा के आशीष गोस्वामी के करुणाश्रम में लाकर उसका किया। उसकी अच्छी अवस्था देखकर उसे जंगल में मां को सौंपने का निर्णय लिया गया। गोस्वामी के साथ उनके सहयोगी कौस्तुभ गावंडे, ऋषिकेश गोडसे, वन विभाग के घनश्याम टाक, अमोल ढाले, अस्लम मौजान, शारिक सिद्दीकी, विट्ठल उड़ान ने बछड़े को बास्केट में रखकर रात में ही जंगल पहुंचे। तय जगह पर बास्केट रखी गई तथा रेस्क्यू टीम मादा तेंदुए का इंतजार करने लगी। अंतत: सुबह साढ़े 3 बजे के दौरान मादा तेंदुआ वहां पहुंची। यहां शावक को देखकर वह शांत हो गई। शावक को पिंजरे से बाहर निकालकर मुंह में पकड़कर अंधेरे में जंगल की दिशा में भाग गई। जिससे वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने राहत की सांस ली।

परिसर में बाघ और तेंदुए की दशहत : इनदिनों परिसर में बाघ, तेंदुए की दशहत बनी हुई हंै। खेत में बंधी मवेशियां वन्यजीवों के शिकार हो रहे हंै। तीन दिन पूर्व वाई गांव में तेंदुए ने एक गाय की शिकार की थी। जिससे ग्राम रोहणा के गोपालक संजय बोंद्रे का आर्थिक नुकसान हुआ है। इस घटना के बाद अब किसान व तेंदुए के बीच संघर्ष की घटना से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। तेंदुए का बंदोबस्त करने की मांग ग्रामीणों ने वनविभाग से की है।


Created On :   8 Jun 2024 1:44 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story