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खेती बाड़ी: वर्धा-यवतमाल के कई हिस्सों में जमकर बरसे मेघ, नई उम्मीद के साथ काम में जुटे किसान
डिजिटल डेस्क, वर्धा/यवतमाल.। वर्धा और यवतमाल जिले की कुछ तहसीलों में मंगलवार की शाम मौसम ने अचानक करवट बदली और 15 से तीस मिनट तक कहीं तेज तो कहीं रिमझिम बारिश हुई। वर्धा शहर में शाम साढ़े चार बजे के दौरान 15 मिनट तक बारिश हुई। इसके पूर्व मंगलवार रात आई तेज आंधी के कारण देवली तहसील के भिड़ी रेलवे स्टेशन के टीन शेड़ ही उड़ गए। इधर यवतमाल जिले की आर्णी व मारेगांव में मूसलाधार बारिश हुई। मोहदा में भी 30 मिनट तक रिमझिम बारिश हुई। इससे थोड़ी देर के लिए विद्युत आपूर्ति खंडित हो गई। इस बारिश में फल, बगीचे और ईंटभट्टी वालों को नुकसान हुआ है।
नई उम्मीद के साथ किसान फिर जुटे काम में
उधर वडनेर की बात करें तो इन दिनों हिंगणघाट तहसील सहित जिले के तापमान का पारा तेजी के साथ बढ़ रहा है। बीच-बीच में बादलों का डेरा होने के बावजूद धूप में आम जनता का घरों से बाहर निकलना कठिन होता है। दोपहर के समय रास्तों पर भी सन्नाटा छाया रहता है। ऐसा होने पर भी किसानों को मात्र खेतों में जाकर आगामी खरीफ मौसम तैयारी करने का काम करना पड़ रहा है। इस बार तो भी अच्छी फसल हाथ लगेगी, इस उम्मीद से किसान दोबारा कड़ी धूप में खेती के कामों में लगे हैं। अनेक किसान खरीफ मौसम की फसलों के बुआई के कामों में जुटे दिखाई दे रहे हैं। हिंगणघाट तहसील के सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र पर तहसील के किसानों ने खरीफ मौसम की फसलों की बुआई करने के लिए खेत तैयार करने के कामों में जुटे हैं। फिलहाल खरीफ की तैयारी अंतिम चरण में है। इस बार बरिश का समय पर आगमन होने का अंदाजा मौसम विभाग ने लगाया है। इससे किसान आशान्वित नजर आ रहे हैं। फिलहाल किसान खरीफ मौसम के बीज व खाद खरीदी के लिए पैसों के बंदोबस्त में लगे हैं। मई माह के प्रारंभ से ही गर्मी का पारा बढ़ रहा है। इसके बावजूद भूमिपुत्र कड़ी धूप में खरीफ के बुआई पूर्व कामों में व्यस्त है। गत वर्ष बड़े पैमाने पर उत्पादन घटने के कारण किसानों का पूरे वर्ष का बजट ध्वस्त हो गया है।
उत्पादन खर्च बढ़ जाने और इसकी तुलना में कृषि उपज को बाजार में योग्य दाम नहीं मिलने से किसान आर्थिक संकट में आया है। निसर्ग पर निर्भर रहनेवाले किसानों के दिन खत्म हो गए हैं। एक ओर निसर्ग साथ नहीं देता है तो दूसरी ओर शासन किसानों को मदद करने के लिए तैयार नही है। पूरा विभाग किसानों के लिए "मारक' साबित हो रहा है। इसके बावजूद बड़ी हिम्मत करके व अच्छी फसल हाथ लगने की आशा लेकर किसान खेतों में काम करता है। गत वर्ष कपास के दाम नहीं बढ़ने से किसानों को कौड़ियों के दाम में कपास व सोयाबीन का माल बेचना पड़ा। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। कर्ज लेकर किसान अपने खेतों में फसल की बुआई करते है। लेकिन उत्पादन हाथ लगने पर बाजार में उपज के दाम घट जाते हैं। यही कारण है कि किसान दिनोंदिन कर्ज के बोझ में दब रहे हैं। इस सभी से किसान हार माने बिना दोबारा नई उम्मीद के साथ खेती करने को तैयार हुआ है। खरीफ मौसम में समय पर बारिश होने की आशा ने उनके उत्साह को द्विगुणित कर दिया है। इस कारण बढ़ते तापमान के बावजूद किसान कड़ी धूप में कृषि कार्यों में व्यस्त दिखाई दे रहा है।
Created On :   23 May 2024 7:21 PM IST