Shahdol News: गौवंश ही नहीं श्वान, बिल्ली, बंदर जैसे जानवरों का भी होता है इलाज

गौवंश ही नहीं श्वान, बिल्ली, बंदर जैसे जानवरों का भी होता है इलाज
  • ऐसा इन्डोर पशु चिकित्सालय, 8 साल में 15000 मवेशियों व जानवरों की बचाई जान
  • शासन द्वारा जगह-जगह पशु चिकित्सालय खोले गए हैं, वहां भर्ती कर उपचार की सुविधा कम ही हैं
  • वर्तमान में 200 की संख्या में पशु उपचार ले रहे हैं।

Shahdol News: सडक़ हादसे में घायल पड़ी एक लहुलुहान गाय को देखकर कुछ युवकों के मन में दया जागी और उसका उपचार कराया। इस घटना के बाद युवाओं ने सोचा, क्यों न ऐसा काम किया जाए ताकि बेसहारा घायल व बीमार गौवंश की जान बचाई जा सके। इसके बाद कल्याणपुर में कोईलारी फाटक के पास एक छोटी सी जगह बनाई और शुरु हुआ बेसहारा मवेशियों व जानवरों की जान बचाने का सिलसिला।

युवाओं की टीम के गौरव राल्ही मिश्रा, प्रभाकर मिश्रा, प्रकाश सेन, शिवनाथ द्विवेदी, रूपेश मिश्रा, सार्थक मिश्रा, आशीष नपित, दीपक उपाध्याय, अमर सोनी, संस्कार द्विवेदी, अजय, शिवम आदि ने मिलकर वर्ष 2017 में गौसेवा संस्थान की शुरुआत की। इसके बाद भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सेवा भावना से प्रेरित होकर अटल कामधेनु गौसेवा संस्थान का पंजीयन कराया।

गाय की चर्बी लगे कारतूस का विरोध करने वाले पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडेय की याद में 19 जुलाई को प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस मनाया जाने लगा। तब से लेकर आज तक 8 वर्ष के सफर में संस्थान ने 15 हजार से अधिक गौवंश के अलावा श्वान, बंदर, बिल्ली, घोड़ा व पक्षियों का रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई। वर्तमान में 200 की संख्या में पशु उपचार ले रहे हैं।

यूं तो शासन द्वारा जगह-जगह पशु चिकित्सालय खोले गए हैं, वहां भर्ती कर उपचार की सुविधा कम ही हैं, लेकिन अटल संस्थान को पहला ऐसा इन्डोर पशु चिकित्सालय माना जा सकता है जहां हादसों में घायल या बीमार बेसहारा मवेशियों को रखकर उपचार व देखभाल की जाती है। संस्थान के संस्थापक सदस्य गौरव बताते हैं कि वर्तमान में हमारी शाखा शहडोल के अलावा उमरिया, अनूपपुर के छग बार्डर तक तथा कटनी तक हैं।

इन सुविधाओं की दरकार

संस्थान के राहुल मिश्रा बताते हैं कि प्रतिवर्ष 30-40 लाख रुपए का खर्च आता है। जिसे जनसहयोग से पूरा करने का प्रयास किया जाता है। दूर दराज से घायल पशुओं को उपचार के लिए यहां तक लाने के लिए हाइड्रोलिक एम्बुलेंस की मांग जिला प्रशासन से की गई है। कलेक्टर द्वारा इसकी पूर्ति करने का भरोसा दिलाया गया है। प्रशासन को आगर मालवा के सुसनेर की तर्ज पर गौ अभ्यारण्य विकसित करने का सुझाव दिया गया है ताकि जिले में बेसहारा 50 हजार से अधिक मवेशियों को रखा जा सके।

Created On :   20 Jan 2025 7:24 PM IST

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