- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- शहडोल
- /
- स्टेडियम की जमीन में मुआवजा और...
Shahdol News: स्टेडियम की जमीन में मुआवजा और कब्जे की लड़ाई
- सरकारी जमीन बचाने में मशीनरी की लापरवाही का बड़ा मामला आया सामने
- दूसरे पक्ष ने स्टेडियम की जमीन पर कब्जे के लिए जिला न्यायालय में याचिका दायर की है।
- न्यायालय के निर्देश पर पुलिस व अन्य सहयोग के लिए 35 हजार रूपए का शुल्क भी जमा करवा दिया गया है।
Shahdol News: सामुदायिक उपयोग की शासकीय जमीन को बचाने में सरकारी मशीनरी की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। यहां शहर के मध्य स्थित महात्मा गांधी स्टेडियम की बेशकीमती जमीन के कुछ हिस्से का मुआवजा नहीं मिलने के बाद कब्जे को लेकर तीन भाई मो. खालिक, मो. वाहिद और मो. अजीम की ओर से जिला न्यायालय में याचिका दायर की गई है।
इस मामले को लेकर 6 साल पहले हाईकोर्ट ने मुआवजा देने की बात कही थी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) लगाई जो तीन साल पहले खारिज हो गई। इसके बाद भी अधिकारियों ने मुआवजा को लेकर ठोस प्रयास नहीं किया।
अब दूसरे पक्ष ने स्टेडियम की जमीन पर कब्जे के लिए जिला न्यायालय में याचिका दायर की है। न्यायालय के निर्देश पर पुलिस व अन्य सहयोग के लिए 35 हजार रूपए का शुल्क भी जमा करवा दिया गया है।
स्टेडियम शहर के लिए इसलिए महत्वपूर्ण
शहर से बड़ी संख्या में सुबह-शाम लोग परिवार के साथ योग व अभ्यास के साथ ही पैदल चलने पहुंचते हैं। यहां दिन भर क्रिकेट, फुटबाल, वालीबाल, बास्केटबाल व दूसरे खेल का अभ्यास खिलाड़ी करते हैं। स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस का मुख्य आयोजन इसी स्टेडियम में होता है। समय-समय पर स्टेडियम के विकास के लिए नगर पालिका ने अलग-अलग योजना से करोड़ों रूपए के विकास कार्य यहां करवाए हैं।
यह है मामला
स्टेडियम के लिए सरकार ने 15 अप्रैल 1986 में जमीन एक्वायर की थी और एवज में इनायत खान (मो. खालिक, मो. वाहिद और मो. अजीम के नाना) को क्षतिपूर्ति 53 हजार 520 रूपए की राशि दी गई। बाद में कहा कि हमें पूरे जमीन की जरूरत नहीं है इसलिए 13 हजार 680 रूपए लौटा दो। तब इनायत खान ने राशि लौटा दी लेकिन सरकार ने जमीन नहीं लौटाई।
सरकार का कहना था कि इन्होंने सर्वे नंबर में जितनी जमीन बताई उतनी तो मौके पर थी ही नहीं। बाद में कोर्ट ने क्षतिपूर्ति देने के लिए आदेश जारी किया जिसे हाईकोर्ट 14 फरवरी 2017 को दिए निर्णय में सही माना और दो महीने के अंदर भुगतान करने का आदेश दिया। सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई जिसे कोर्ट ने लगभग 3 साल पहले निरस्त कर दिया।
रिकॉर्ड की जांच होनी चाहिए-
शहर के सभ्रांत नागरिक अरूण चपरा का कहना है कि शहर में अधिकांश जमीन में जहां दावा किया जा रहा है वहां तो सबसे पहले इस बात की जांच की जानी चाहिए कि वास्तव में उस जमीन के वे वास्तविक हकदार हैं भी या नहीं। यहां रिकॉर्ड में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है। सरकार को चाहिए की ऐसे सभी मामलों में पहले रिकॉर्ड की जांच की जाए।
महात्मा गांधी स्टेडियम की जमीन में जितना कब्जा नगर पालिका को बताया गया उसमें अधिकांश हिस्से पर दूसरों का कब्जा है। इसके लिए हमने सीमांकन का आवेदन 30 सितंबर 2024 को एसडीएम को दिया है। सीमांकन के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
अक्षत बुंदेला, सीएमओ नगर पालिका शहडोल
स्टेडियम की जमीन में 4 एकड़ की डिक्री मिल गई है। हाईकोर्ट के निर्णय और सरकार की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद हम 6 साल से अधिकारियों के सामने सरकारी दर पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारी सुन ही नहीं रहे हैं। मुआवजा नहीं मिलने के बाद हाई कोर्ट के निर्णय अनुसार कब्जे के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है। जनवरी में पेशी है।
मोहम्मद खालिक
मामला हमारे संज्ञान में है। जब मामला न्यायालय में चल रहा था तब शायद सरकार की ओर से जवाब देने के लिए वकील नहीं खड़े नहीं हुए और सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रखा जा सका। हमने कलेक्टर से कहा है कि मामले को दोबारा दिखवाएं और सरकार का पक्ष मजबूती से रखा जाए।
मनीषा सिंह विधायक
मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। कलेक्टर से बात करती हूं कि ऐसा कैसे हो गया। न्यायालय के निर्णय के बाद सरकार का पक्ष रखने में कहां चूक हुई। पूरे मामले की जानकारी प्राप्त कर हमारी ओर से जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
सुरभि गुप्ता कमिश्नर शहडोल
Created On :   7 Dec 2024 6:20 PM IST