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पुणे: धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर आदिवासी समुदाय को आपत्ति
- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज रिपोर्ट जारी करने की मांग
- धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात
- आदिवासी समुदाय को आपत्ति है
डिजिटल डेस्क, पुणे। प्रदेश में मराठा समुदाय के साथ आरक्षण की मांग को लेकर धनगर समुदाय भी आक्रामक हो उठा है। धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है। इस पर आदिवासी समुदाय ने कड़ी आपत्ति जताई है। आदिवासी समाज कृति समिति के संयोजक डॉ. संजय दाभाड़े ने बुधवार को पुणे के पिंपरी चिंचवड़ में एक संवाददाता सम्मेलन के जरिये मांग की है कि महाराष्ट्र राज्य सरकार धनगर समाज के दबाव में न आकर धनगर समाज को महाराष्ट्र की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करे और आदिवासी समुदाय की मांगें जो कई वर्षों से लंबित हैं, की पूर्तता की जाए।
इस मौके पर संगठन के अध्यक्ष नामदेव गंभीर ने कहा कि, अनुसूचित जनजाति में धनगर समुदाय का समावेश न करने और आदिवासियों की लंबित मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए गुरुवार (23 नवंबर) को सुबह 11 बजे शनिवार वाड़ा से "आदिवासी रक्षा उलगुलान मोर्चा" का आयोजन किया गया है। इस मोर्चा में विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल, सांसद राजेंद्र गावित सहित आदिवासी समुदाय के अधिकांश सांसद, विधायक, मौजूदा और पूर्व नगरसेवक, जिला परिषद के मौजूदा और पूर्व सदस्य और समुदाय के हजारों भाई-बहन शामिल होंगे। इस संवाददाता सम्मलेन में एड. सुदाम मराडे, सह्याद्री आदिवासी संगठन के कृष्णा भालचिम, पूर्व नगरसेविका आशा सुपे और उषा मुंढे और एड किरण गभले, किसन भोजने, यमुना उंडे आदि समिति के प्रमुख पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
फिलहाल महाराष्ट्र में धनगर समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहा है। इस पर आपत्ति जताते हुए आदिवासी समुदाय भी जोरदार आंदोलन कर रहा है। धनगर समुदाय का कहना है कि ओरोन, धनगड़, जो महाराष्ट्र की अनुसूचित जनजातियों की सूची में 36वें नंबर पर है, धनगर समुदाय के लिए एक प्रविष्टि है। धनगर समाज का यह भी कहना है कि धनगर की जगह धनगड़ लिखने में गलती हुई है। बेशक ये सच नहीं है। सूची में शामिल मूल जनजाति ओरोन है और धनगड़ ओरोन से संबंधित जनजाति है।
धनगर समुदाय का ओरोन जनजाति से कोई संबंध नहीं है। ओरोन जनजाति झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बिहार राज्यों में मौजूद है और उनमें से कुछ में उनका क्षेत्रीय समकक्ष नाम धांगड़ है। धनगर समाज सरकार को गुमराह कर संवैधानिक प्रावधानों को तोड़ने का प्रयास कर रहा है। हम महाराष्ट्र के आदिवासी समुदाय की ओर से भी सरकार से स्पष्ट कह रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार को इस दबाव तकनीक के आगे नहीं झुकना चाहिए और उन्हें शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करना चाहिए।
आदिवासी समुदाय की कई वर्षों से लंबित मांग है, जिसमें रोजगार क्षेत्र में विभिन्न 17 श्रेणियों में आदिवासियों के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान शामिल हैं, उन विशेष प्रावधानों की रक्षा की जानी चाहिए। आदिवासी छात्रावासों के लिए मौजूदा डीबीटी योजना को बंद किया जाना चाहिए और पुरानी खानवल प्रणाली शुरू की जानी चाहिए। इस तरह की मांगे रखी गईं।
Created On :   22 Nov 2023 8:21 PM IST