बड़ा फैसला: उपभोक्ता आयोग ने कोरोना काल में रद्द हुई यात्रा का पूरा पैसा वापस करने का दिया आदेश

उपभोक्ता आयोग ने कोरोना काल में रद्द हुई यात्रा का पूरा पैसा वापस करने का दिया आदेश
  • ट्रैवल कंपनी को दिये गए सख्त निर्देश
  • लॉकडाउन की घोषणा से यात्रा हुई थी रद्द
  • शिकायतकर्ताओं ने उपभोक्ता आयोग में लगाई थी गुहार

डिजिटल डेस्क, पुणे। पुणे उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले दिया है, कोरोना महामारी के दौरान रद्द किए गए यात्रा का पूरा पैसा लौटाने का आदेश ट्रैवल कंपनी को दिया है। पुणे के संजय बोरकर, वर्धा के संजय सरोदे और दिलीप कथने ने मुंबई की टूर कंपनी एस्केप एंड एक्सप्लोर के जरिए न्यूजीलैंड के लिए एक यात्रा की बुकिंग की थी। उन्होंने फ्लाइट टिकट और यात्रा के लिए कुल राशि 6 लाख 39 हजार रुपए का भुगतान किया था। न्यूजीलैंड की यात्रा 28 मार्च से 13 अप्रैल 2023 के दरमियान तय की गई थी, लेकिन 14 मार्च 2020 को न्यूजीलैंड में कोरोना महामारी के कारण पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। जिसकी वजह से यात्रा रद्द हो गई थी। शिकायतकर्ताओं द्वारा रद्द यात्रा की राशि कंपनी से मांगी थी, कंपनी द्वारा राशि नहीं दिए जाने पर शिकायतकर्ताओं ने उपभोक्ता आयोग पर शिकायत की थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता ने 24 जुलाई 2020 कंपनी को एक ई-मेल भेजकर यात्रा के लिए भुगतान किए गए सभी पैसे वापस करने की मांग की थी। कंपनी ने शिकायतकर्ता को 27 जुलाई 2020 को ईमेल जरिए जवाब दिया कि यात्रा की राशि आपको नहीं दे सकते हैं, उसके बदले क्रेडिट नोट दिया जाएगा। क्रेडिट नोट के जरिए दूसरी यात्रा की बुकिंग की जाती है। 29 जुलाई को शिकायतकर्ता ने ईमेल का जवाब दिया कि उन्हें क्रेडिट नोट नहीं चाहिए, उनकी यात्रा की पूरी राशि चाहिए।

हालांकि, कंपनी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया और पैसे भी वापस नहीं किए। इसके बाद शिकायतकर्ताओं ने कंपनी से बार-बार पैसे की मांग की और कानूनी नोटिस भी जारी किए, लेकिन कंपनी ने रिफंड नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने वकील ज्ञानराज संत के माध्यम से पुणे के जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में शिकायत दर्ज की।

शिकायत का नोटिस मिलने के बावजूद कंपनी ने कोई लिखित प्रपत्र या दस्तावेज दाखिल नहीं किया, जिसके बाद आयोग ने एकतरफा आदेश जारी किया। शिकायतकर्ताओं द्वारा दायर दस्तावेजों और वकील ज्ञानराज संत की दलीलों को सुनने के बाद जिला उपभोक्ता आयोग ने कंपनी को 14 मार्च 2020 से 5 लाख 70 हजार रुपये सात प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया। यदि कंपनी 45 दिनों के भीतर उक्त आदेश का अनुपालन नहीं करती है, तो उक्त राशि को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।

Created On :   7 Aug 2024 4:42 PM IST

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