संकेत: बिहार की तर्ज पर जातिगत सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है महाराष्ट्र सरकार

बिहार की तर्ज पर जातिगत सर्वेक्षण कराने की तैयारी में है महाराष्ट्र सरकार
  • उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के संकेत
  • बिहार की तर्ज पर जातिगत सर्वेक्षण
  • महाराष्ट्र सरकार कर रही तैयारी

डिजिटल डेस्क, पुणे। वैसे तो जातिगत जनगणना की मांग काफी पहले से राष्ट्रीय स्तर पर की जाती रही है, मगर बिहार में नितीशकुमार की सरकार ने इसमें बाजी मार ली है। अब जब महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन उग्र हो चला है और मराठा के साथ धनगर, मुस्लिम समुदायों ने भी आरक्षण की मांग तेज कर दी है, तब यहाँ भी बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना कराने की तैयारी शुरू हो रही है। हालिया राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी समुदायों के पिछड़ेपन का सर्वे कराने का फैसला किया है। इसके बाद शनिवार को राज्य के उपुख्यामंत्री अजीत पवार ने भी इसके संकेत दिए हैं।

राज्य के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय यशवंतराव चव्हाण की पुण्यतिथि के अवसर पर, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने शनिवार को कराड के प्रीतिसंगम में समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान मीडिया से की गई बातचीत में उन्होंने कहा, हर समुदाय को आरक्षण मांगने का हक़ है लेकिन आरक्षण विवाद सुलझाने के लिए समय देना होगा। बिहार सरकार ने आरक्षण को लेकर कुछ अलग फैसले लिए हैं। अब हमारा विधानसभा सत्र जल्द होने जा रहा है। इस पृष्ठभूमि हम यह भी प्रयास कर रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र में बिहार जैसा कुछ किया जा सकता है? महाराष्ट्र में 52 फीसदी आरक्षण दिया गया है। एससी, एसटी, एनटी, ओबीसी को 52 फीसदी आरक्षण और 10 फीसदी ईबीसी आरक्षण को मिलाकर 62 फीसदी आरक्षण पहले ही दिया जा चुका है।

प्रदेश में बढ़ी बड़बोले नेताओं की तादाद

मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हाल ही में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि किसी का आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए। आरक्षण के मुद्दे पर जहाँ मंत्री छगन भुजबल और मराठा योद्धा मनोज जारांगे पाटिल के बीच घमासान छिड़ा हुआ है, वहीँ अलग अलग पार्टियों के नेताओं के अलग अलग बयान रोजाना आ रहे हैं। इस पर अजीत पवार ने कहा, फ़िलहाल सभी जगह बड़बोलों की संख्या काफी हद तक बढ़ी है। संविधान ने सभी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार दिया है, सवाल यह है कि उस अधिकार का उपयोग कैसे किया जाए। हालाँकि, हाल ही में कोई कुछ कहता है तो दूसरा उसे काटने को दौड़ता है। यह शिक्षा वरिष्ठ नेता यशवंतराव चव्हाण ने नहीं दी, यह महाराष्ट्र की परंपरा या संस्कृति नहीं है। पवार ने सभी राजनेताओं को सलाह दी कि सभी को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

राजनीतिक बीमारी न मेरे खून में न मेरा स्वभाव

मंत्री भुजबल के बयानों के बारे में पूछने पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बड़बोले नेताओं से मेरा मतलब सभी दलों के राजनेताओं से है। यह मैंने किसी विशिष्ट व्यक्ति के लिए नहीं कहा। दिवाली से पहले मुझे डेंगू की बीमारी हो गई थी। मैंने उस बीमारी में 15 दिन बिताए। उस समय मैं टीवी देखता था, अखबार पढ़ता था, उस समय दुर्भाग्य से राजनीतिक बीमारियों के बारे में खबरें देखता था। मैं पिछले 32 वर्षों से अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त करता आ रहा हूं। राजनीतिक बीमारी मेरे खून और स्वभाव में नहीं है। बिना वजह तरह-तरह की बेबुनियादी खबरें आईं। कुछ दिन पहले मैं अमित शाह से मिलने गया था। तब भी मैं शिकायत करने गया था, ऐसी खबरें चल रही थीं। शिकायत करना मेरे खून में नहीं है, हर किसी को साथ लेकर काम करता हूँ, यह हमारी परंपरा है, हमें इसे जारी रखना चाहिए, यह स्पष्टीकरण भी अजित पवार ने दिया।



Created On :   25 Nov 2023 4:33 PM GMT

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