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पुणे: किसानों की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए जिले में जनाक्रोश मोर्चा शुरू
- शिवनेरी किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन
- किसानों ने किया जिलाधिकारी कार्यालय की ओर कूच
डिजिटल डेस्क, पुणे। केंद्र सरकार ने प्याज की कीमत कम करने के साथ-साथ किसानों के मुंह का निवाला छीनने का काम किया है, यह आरोप लगाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के सांसद अमोल कोल्हे ने किसानों के साथ मिलकर संकल्प किया कि अब रोना नहीं लड़ना है। किसानों की आवाज सरकार तक पहुँचाने के लिए जुन्नर तालुका स्थित शिवनेरी किले पर छत्रपति शिवराय को नमन करते हुए किसानों के जनाक्रोश मोर्चा ने पुणे जिलाधिकारी कार्यालय की ओर कूच किया।
सांसद अमोल कोल्हे ने आगे कहा, सांसद सुप्रिया सुले और मैं संसद में प्याज निर्यात प्रतिबंध पर चर्चा कर रहे थे। मगर केंद्र सरकार किसानों के मुद्दे पर चर्चा ही नहीं करना चाहती। केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे उठाना, उस पर चर्चा करना संसद में हंगामा लगता है। इसलिए हमें निलंबित कर दिया गया, संसद में हमारी भावनाओं को दबाने का काम किया गया। इसलिए अब सड़क पर उतरकर सरकार के कानों तक किसानों की बात पहुंचाने के लिए जन आक्रोश मोर्चा का आयोजन किया गया है।
प्याज की कीमत बढ़ने से किसान को पैसा मिलने की संभावना के बाद निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पिछले दिनों सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने के बाद किसानों से 2410 रुपये की दर से प्याज खरीदने की घोषणा की थी, इस पर सांसद कोल्हे ने पूछा कि सरकार ने कितने किसानों ने प्याज खरीदा। जब टमाटर और सोयाबीन की कीमतें बढ़ने लगीं तो नेपाल से टमाटर और ऑस्ट्रेलिया से कपास का आयात किया जाने लगा। कृषि के लिए आवश्यक उर्वरकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया। फर्टिलाइजर सब्सिडी हजारों करोड़ कम कर दी गई।
केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में उत्पादन गिरने पर कृषि औषधि और उर्वरक विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी देते हुए उर्वरक कंपनियों को खुली छूट दे दी है। देश में चंद उद्योगपतियों का 25 लाख करोड़ का कर्ज माफ कर दिया जाता है, जबकि किसान चंद हजार रुपये के लिए आत्महत्या कर लेता है। महाराष्ट्र में 266 किसानों ने आत्महत्या की है। सांसद कोल्हे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस पर शर्म आनी चाहिए। दूध की कीमत में बढ़ोतरी के लिए सब्सिडी देते समय कोल्हे ने मांग की कि सरकारी दूध संस्थानों को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों और निजी दूध संस्थानों को दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों के बीच कोई अंतर किए बिना सभी को सब्सिडी दी जानी चाहिए।
Created On :   27 Dec 2023 9:54 PM IST