गिरफ्तारी: पुणे पोर्श कांड , अपहरण के मामले में सुरेंद्र अग्रवाल को पुलिस ने किया गिरफ्तार

पुणे पोर्श कांड , अपहरण के मामले में सुरेंद्र अग्रवाल को पुलिस ने किया गिरफ्तार
  • दो दिनों तक ड्राइवर को कमरे में रखा था कैद
  • काफी डरा हुआ था ड्राइवर गंगाराम
  • परिवार के लोग पहुंचे तब उसे छोड़ा गया

डिजिटल डेस्क, पुणे। कल्याणीनगर हिट एंड रन केस में नाबालिग के पिता विशाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने ड्राइवर गंगाराम पुजारी (42) को दो दिनों तक एक कमरे में कैद रखा था। घटना के बाद जब ड्राइवर अपने घर नहीं पहुंचा, तब उसके घरवाले उसे ढूंढ़ते हुए आरोपी विशाल अग्रवाल के बंगले पहुंचे थे। ड्राइवर के परिवार को डर था कि अग्रवाल परिवार ने गंगाराम के साथ कुछ किया है, इसलिए वह घर नहीं आया है। ड्राइवर के घरवालों ने वहां जाकर हंगामा किया, उसके बाद आरोपी ने गंगराम को छोड़ा। पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज किया है जिसमें विशाल और सुरेंद्र अग्रवाल आरोपी हैं। विशाल पहले ही जेल में बंद है। पुलिस ने इस मामले में आज सुरेंद्र को गिरफ्तार करके न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने उसे 28 मई तक पुलिस की कस्टडी में सौंपा है।

पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि ड्राइवर और उसके परिवार को कंपनी का ड्रेस घर पर ही छोड़ने को कहा गया। दो दिनों तक कमरे में बंद रखे जाने की वजह से ड्राइवर काफ़ी डरा हुआ था। यह जानकारी पुलिस को मिलते ही मामला दर्ज किया गया। ड्राइवर को कहा गया था कि तुम्हारी जो भी मांग होगी वह पूरी की जाएगी, अच्छा इनाम दिया जाएगा। ड्राइवर पर लगातार दो दिनों से इल्ज़ाम अपने ऊपर लेने के लिए कहा गया। उसे धमकी भी दी गई कि नहीं माना तो अंजाम बुरा होगा। अमितेश कुमार ने बताया कि आरोपी के घर पुलिस ने छापा मारा और घटनास्थल का पंचनामा बनाया। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है कि किस कमरे में ड्राइवर को बंद रखा गया था। ड्राइवर को किस कार में लेकर गए थे। हालांकि गंगाराम का कहना है उसे सुरेंद्र ने फोन करके बंगले बुलाया था। कंपनी के कपड़े जो ड्राइवर ने बंगले में छोड़े थे उसकी जांच की जा रही है। गंगाराम ने अपने बयान में पुलिस को बताया है कि अग्रवाल परिवार उस पर दबाव बना रहा था कि वह पुलिस को बताए कि कार वह चला रहा था। जबकि सच्चाई यह थी कि ड्राइवर घटना के दिन कार नहीं चला रहा था। ड्राइवर के साथ किसी तरह की मारपीट की गई है या नहीं उसकी जांच की जा रही है।

कार में बैठे आरोपी के दोस्तों से संपर्क में है पुलिस : कार में दो नाबालिग थे जो पुलिस के संपर्क में हैं। नाबालिगों से पुलिस पूछताछ भी कर सकती है। अग्रवाल परिवार के रिश्तेदारों से भी पूछताछ की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज के ज़रिए भी जांच की जा रही है कि कार में कितने लोग बैठे थे।

अपहरण नहीं किया, उसे तो सहारा दिया : प्रथम वर्ग न्याय दंडाधिकारी एम.जी. चौहान ने सुरेंद्र अग्रवाल से पूछा कि आपको पुलिस से कोई शिकायत है? उन्होंने कहा हां, जब घटना हुई थी तब मैं दिल्ली में था लेकिन पुलिस ने जबरदस्ती मुझे फंसाया। मैं रविवार को सुबह 11 बजे दिल्ली से पुणे आया था। ड्राइवर गंगाराम के अपहरण के मामले में जो मुझे फंसाया जा रहा है वह भी गलत है। गंगाराम को डर था कि जनता उसे मारेगी इसलिए हमने उसे सरवेंट क्वार्टर में रहने को जगह दे दी थी। पुलिस ने बताया कि सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ कोंढ़वा में धोखाधड़ी के दो केस हैं तो सुरेंद्र ने कहा मेरे खिलाफ एक भी केस दर्ज नहीं है। इस पर पुलिस ने न्यायालय में ही आनलाइन रिपोर्ट दिखा दी जिसे जज ने माना भी। इस पर जज ने सुरेंद्र से कहा आप झूठ बोल रहे हैं। इसके बाद 28 मई तक सुरेंद्र को पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया। सुरेंद्र के वकील का कहना था इनकी उम्र 78 साल है जिससे इन्हें न्यायिक हिरासत दे दी जाए, वे पूछताछ में सहयोग करेंगे। पुलिस का कहना था विशाल अग्रवाल को जब नोटिस दिया गया था तो वह फरार हो गया था जिसे औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया। ऐसे में सुरेंद्र पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। पुलिस ने न्यायालय को यह भी बताया कि सुरेंद्र के खिलाफ कुल चार आपराधिक मामले पहले से ही दर्ज है।

Created On :   25 May 2024 7:23 PM IST

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