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पुणे: खून की कमी के कारण सेहत पर असर, तीन दिन तो कहीं पांच दिन का ही बचा कोटा
- इलाज के लिए मरीज के रिश्तेदार परेशान
- लगाने पड़ रहे ब्लड बैंकों के चक्कर
डिजिटल डेस्क, पुणे। तबियत बिगड़ने पर समीर हिंगे ने अपनी बुजुर्ग मां को सातारा रोड स्थित राव अस्पताल में भर्ती कराया। पता चला कि उनके शरीर में खून की मात्रा बेहद कम है। इसलिए उन्हें तुरंत 4 यूनिट खून चढ़ाना होगा। कई ब्लड बैंकों से संपर्क किया पर खून नहीं मिला। थक हार कर उन्होंने एनजीओ 'रक्ताचे नाते' के राम बांगड़ से संवाद साधा। तब जा कर उनकी मां को 4 यूनिट रक्त चढ़ा और उनकी जान बच सकी। यह हाल राव अस्पताल का नहीं बल्कि पुणे के सभी अस्पतालों का है, जिन्हें रक्त की कमी से जूझना पड़ रहा है। किसी अस्पताल में तीन दिनों का ब्लड बचा है तो कहीं पांच दिनों तक काम चलाया जा सकता है। नतीजा समीर हिंगे जैसे लोगों को ब्लड बैंकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
--अधिक से अधिक रक्तदान शिविरों की जरूरत
शहर में अस्पतालों के अलावा कुल 40 ब्लड बैंक हैं। पर सभी में इस समय खून का कोटा कम ही है। केईएम अस्पताल के ब्लड डोनर काउंसलर किशोर धुमाल ने बताया कि उनके अस्पताल में केवल पांच दिनों तक का ही रक्त बचा हुआ है। इसलिए उन्हें चिंता सता रही है कि आनेवाले समय में यही हाल रहा तो मरीजों का इलाज कैसे होगा? ससून के ब्लड बैंक प्रमुख डाक्टर सोमनाथ खेडकर ने बताया कि उनके यहां की परिस्थिति और चिंताजनक है। उनके ब्लड बैंक में केवल 3 दिनों का ही खून का कोटा बचा हुआ है। उनके यहां पूरे पश्चिम महाराष्ट्र से मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं। यदि समय रहते खून का प्रबंध नहीं हो पाया तो हालात बिगड़ सकते हैं। पिंपरी स्थित वाईसीएम अस्पताल के डॉ. मसालगी ने बताया कि मरीज को खून चढ़ाया जा सके इसके हिसाब से अगले पांच दिनों तक का ही खून बचा हुआ है। जबकि औंध सिविल अस्पताल की डॉ. निशा तेली ने बताया कि उनके यहां पर अगले सात दिनों तक के खून का कोटा बचा हुआ है। अगर रक्त शिविर नहीं लगाया गया तो आनेवाले दिनों में हालात बिगड़ सकते हैं।
- शहर के 40 ब्लड बैंकों में कमी
देशभर में रक्दान के हजारों शिविर लगा चुके रक्ताचे नाते के प्रमुख राम बांगड़ ने बताया कि पुणे में वैसे तो 40 ब्लड बैंक हैं, उसक बावजूद शहर में खून की कमी से मरीजों को इलाज में दिक्कत हो रही है। मरीजों को खून चढ़ाने के लिए खून नहीं मिल रहे। उनके रिश्तेदारों को ब्ल्ड बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हमारे पास रोजाना सैकड़ों लोग मदद के लिए संपर्क करते हैं। जिन्हें हम खून का प्रबंध कराते हैं। अगर आनेवाले समय में रक्त शिविर नहीं लगाए गए तो मरीजों के साथ साथ अस्पतालों की चिंता बढ़ सकती है।
गर्मियों में हर साल क्यों हो जाती है खून की कमी?
डॉक्टरों का मानना है कि हर साल गर्मियों में अस्पतालों एवं ब्लड बैंकों में खून की कमी हो जाती है। क्योकि रक्तदान शिविर ही नहीं आयोजित हो पाते। क्योंकि स्कूल कॉलेज में छुटि्टयां हो जाती हैं। जिसके चलते युवा बच्चे इसमें भाग नहीं ले पाते। इसके अलावा सोसाइटियों के लोग भी गांव चले जाते हैं, जिससे सोसाइटियों में शिविर नहीं लग पाते। विवाह समारोह होने के चलते भी लोग रक्तदान में हिस्सा नहीं ले पाते। इसलिए गर्मियों में खून की कमी हो जाती है। दूसरी वजह यह होती है कि ऑपरेशन करानेवाले मरीज गर्मियों में ही इलाज कराने का प्लान करते हैं। इसलिए रक्त की मांग बढ़ जाती है और आपूर्ति घट जाती है।
रक्तदान शिविर की अपील
हालात की गंभीरता को समझते हुए अस्पतालों की ओर से ब्लड बैंकों से अधिक से अधिक अपील की जा रही है। ताकि आनेवाले दिनों में खून संकलित हो सके और लोगों का समय पर इलाज हो सके।
कौन से ब्लड ग्रुप की मांग अधिक
डॉक्टरों की मानें तो ए प्लस , बी प्लस, ओ पॉजिटिव एवं निगेटिव ब्लड की मांग अधिक रहती है। खासकर थैलेसीमिया एवं दुर्घटनाग्रस्त मरीजों, गर्भवती महिलाओं एवं ऑपरेशन वाले मरीजों को खून की अधिक जरूरत पड़ती है।
जया शेट्टे, मरीज की रिश्तेदार के मुताबिक मेरे मामा को इलाज के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप की नितांत आवश्यकता थी। अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए। काफी जद्दोजहद के बाद जा कर खून का इंतजाम हुआ। तब जा कर मामा को खून चढ़ाया गया। तब जा कर उनकी तबियत में सुधार आ सका।
इन दिनों मरीजों के इलाज के लिए रक्त की नितांत आवश्यकता है। परंतु अस्पतालों में खून की कमी है। बात अगर ससून अस्पताल की करें तो अगले तीन दिनों तक का ही रक्त का कोटा हमारे पास है। आनेवाले दिनों में ब्लड डोनेशन कैंप लगा कर इसकी भरपाई की जाएगी।
राम बांगड़, प्रमुख- रक्ताचे नाते एनजीओ के मुताबिक छुटि्टयां होने के कारण गर्मी के दिनों में लोग रक्तदान शिविर में हिस्सा नहीं ले पाते। इसलिए इन दिनों खून की कमी हो जाती है। लोगों को खून के लिए शहर भर के ब्लड बैंकों के चक्कर काटने पड़ते हैं। मिल भी गई तो महंगी कीमत उसके लिए चुकानी पड़ती है। ऐसे समय में हमारी संस्था उनकी मदद के लिए आगे आती है। रोजाना सैकड़ों लोग हमसे संपर्क करते हैं। हम उन्हें खून का प्रबंध कराते हैं। वह भी नि:शुल्क। सरकार को इसपर ध्यान देना होगा।
Created On :   16 May 2024 8:48 PM IST