पेरोल से फरार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों को क्यों दी जा रही पेरोल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

Why payroll given  convicted prisoners absconding hc responds
 पेरोल से फरार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों को क्यों दी जा रही पेरोल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
 पेरोल से फरार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों को क्यों दी जा रही पेरोल, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य शासन और हरदा कलेक्टर से पूछा है कि पेरोल से फरार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों को क्यों पेरोल पर छोड़ा जा रहा है। जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने राज्य सरकार और हरदा कलेक्टर से चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है। 

पेरोल के दौरान दोनों आरोपी फरार हो गए

हरदा जिले के ग्राम भुन्नास निवासी विजय सिरोही की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वर्ष 1984 में रामनारायण और बलराम ने उसके पिता की हत्या कर दी थी। हरदा की जिला न्यायालय ने दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 1992 में पेरोल के दौरान दोनों आरोपी फरार हो गए। याचिकाकर्ता की ओर से वर्ष 2017 में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दोनों आरोपियों की 25 वर्ष बाद गिरफ्तारी हो पाई। अधिवक्ता भूपेन्द्र कुमार शुक्ला ने तर्क दिया कि इसके बाद भी हरदा कलेक्टर ने एक आरोपी को पुत्री के विवाह और दूसरे आरोपी को बीमारी के ईलाज के लिए पेरोल पर छोड़ दिया है। दोनों सजायाफ्ता बंदियों से याचिकाकर्ता और उसके परिवार को खतरा है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद एकल पीठ ने राज्य सरकार और हरदा कलेक्टर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

बैंक दो माह में वापस करें 14 हजार रुपए

जिला उपभोक्ता फोरम क्रमांक-2 ने भारतीय स्टेट बैंक सिविल लाइन्स को आदेशित किया है कि दो माह के भीतर उपभोक्ता को 14 हजार रुपए वापस करें। फोरम के अध्यक्ष केके त्रिपाठी, सदस्य योमेश अग्रवाल और अर्चना शुक्ला की खंडपीठ ने उपभोक्ता को दो हजार रुपए क्षतिपूर्ति और दो हजार रुपए वाद व्यय भी देने का आदेश दिया है। गोरखपुर निवासी रामप्रसाद निरंकार की ओर से दायर प्रकरण में कहा गया कि 17 दिसंबर 2013 को उसके एकाउंट ने किसी ने एटीएम से 14 हजार रुपए निकाल लिए। उसने 19 दिसंबर को बैंक से रकम निकालने की लिखित शिकायत की। 20 दिसंबर 2013 को ओमती थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। ओमती थाना प्रभारी ने भारतीय स्टेट बैंक सिविल लाइन्स से 17 दिसंबर 2013 की एटीएम की सीसीटीवी फुटेज मंगाई। बैंक ने कुछ दिन बाद थाना प्रभारी को सूचित किया कि उस दिन का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है। अधिवक्ता शेख अकरम और शिवेन्द्र पांडे ने तर्क दिया कि उपभोक्ता के एकाउंट से किसने रकम निकाली है। इसका पता सीसीटीवी फुटेज से चल सकता है। बैंक ने सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं कर सेवा में कमी की है। सुनवाई के बाद फोरम ने अपने निर्णय में कहा कि बैंक का यह कहना है कि उस दिन सीसीटीवी कैमरा कार्यरत नहीं था। इससे स्पष्ट होता है कि बैंक ने उपभोक्ताओं के हित के संरक्षण के संबंध में लापरवाही की है। यह सेवा में कमी की श्रेणी में आता है। बैंक दो माह के भीतर उपभोक्ता को 14 हजार रुपए क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के साथ वापस करें।
 

Created On :   6 July 2019 2:36 PM IST

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