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सेहत के लिए खतरनाक है वैनगंगा का पानी, विधानपरिषद में उठा मुद्दा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वैनगंगा नदी में प्रदूषण का मामला फिर से गर्माया है। इस नदी का पानी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण की उपाययोजनाओं के बारे में कई बार दावे किए गए हैं। इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं लेकिन जलशुद्धीकरण का कार्य नहीं किया गया है। लिहाजा इस बार यह मामला विधानपरिषद में उठाया गया हैं। विधानमंडल का बजट अधिवेशन मुंबई में चल रहा है। विधानपरिषद में सदस्य गिरीश व्यास ने इस मुद्दे पर सरकार से त्वरित नियंत्रण कदम उठाने की मांग की है। ध्यानाकर्षण सूचना के तहत उठाये गए मुद्दे में व्यास ने कहा है कि प्रशासन की उदासीनता के कारण वैनगंगा शुद्धीकरण का विषय लंबित है। वैनगंगा नदी में कैडियम नामक रासायनिक पदार्थ की संख्या अधिक पायी जा रही है। सामान्यत: कैडियम की मात्रा अधिकतक 0.3 रहना चाहिए। लेकिन यह 1.83 प्रतिशत है। इससे नदी का पानी सेहत के लिए हानिकारक है। वैनगंगा के पानी पर पैनोनिया नामक दूषित वनपस्पति तैयार होने से उसका दुष्परिणाम मछली मारने पर होता है।
गोसीखुर्द नेशनल सिंचाई प्रोजेक्ट का 20 किलोमीटर बैक वाटर इस नदी पर है। वैनगंगा नदी मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र होते हुए आंध्रप्रदेश में गई है। वैनगंगा का शुद्धीकरण आवश्यक है। व्यास ने यह भी कहा है कि नागपुर से जानेवाला मलीन पानी , मौदा, आसोली व छोटे छोटे उद्योग से जानेवाला केमिकलयुक्त पानी नदी दूष्ज्ञित हो रही है। प्रदूषण रोकने के लिए इंफ्रा प्रोजेक्ट तैयार करने की आवश्यकता है। भाजपा के नेतृत्व की सरकार के समय इस नदी से वनस्पति निकालने के लिए दो करोड रुपये मंजूर किये गए थे। लेकिन दो वर्ष होने के बाद भी वनस्पति निकालने के लिए मशीन खरीदी नहीं गई है। वनस्पति निकालने का काम शुरु भी नहीं हुआ है। नागपुर सुधार प्रन्यास ने इस संदर्भ में 100 करोड की बैंक गारंटी नागपुर के एसटीपी लोकल एनएमआरडी व एनआईटी के साथ मिलकर की थी। वह लैप्स हो गई है।
Created On :   8 March 2020 4:43 PM IST