मां नर्मदा के उद्गम स्थल धार्मिक नगरी अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने में मुख्यमंत्री की घोषणा के 84 दिन बाद भी सर्वे तक सीमित रही प्रक्रिया

The process remained limited to survey even 84 days after the announcement
मां नर्मदा के उद्गम स्थल धार्मिक नगरी अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने में मुख्यमंत्री की घोषणा के 84 दिन बाद भी सर्वे तक सीमित रही प्रक्रिया
शहडोल मां नर्मदा के उद्गम स्थल धार्मिक नगरी अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने में मुख्यमंत्री की घोषणा के 84 दिन बाद भी सर्वे तक सीमित रही प्रक्रिया

डिजिटल डेस्क, शहडोल। मां नर्मदा की उद्गम स्थल अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने में मुख्यमंत्री की घोषणा के 84 दिन बाद भी प्रक्रिया सर्वे तक ही सीमित है। यहां अब तक यह भी तय नहीं हो सका कि राजस्व से कितनी जमीन वन विभाग को स्थानातंरित होगी। बतादें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट बनाने की घोषणा की थी। भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे कनवेंशन सेंटर में सीएम ने कहा था कि अमरकंटक में सीमेंट कांक्रीट का जंगल हो जाएगा तो नर्मदा जी कहां बचेंगी, उन्होंने अमरकंटक को बचाने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने की बात भी कही थी। जानकार बताते हैं कि अमरकंटक को जल्दी रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने से वनों का विस्तार होगा, मां नर्मदा में जल की अविरल धारा बहती रहेगी।
अतिक्रमण और वनों की कटाई से ऐसे हुआ नुकसान
> अमरकंटक में पहले कुटिया व झोपड़ी फिर पक्के निर्माण कर अतिक्रमण का  खेल चला। सीसी सडक़ व दूसरे पक्के निर्माण से भूजल स्तर पर असर पड़ा। 
>  बीते दशक के दौरान अमरकंटक के आसपास के जंगलों में वनों की बेतहाशा कटाई से मां नर्मदा उद्गम स्थल व आसपास के तापमान में बढ़ोतरी हुई। 
> प्रतिबंध के बाद भी नलकूप खनन हुए। कुछ लोगों ने प्राकृतिक जल स्रोतों को भी नुकसान पहुंचाया। 

-अमरकंटक को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित करने संबंधी प्रस्ताव अभी अनूपपुर से यहां नहीं आया है। वहां वन विभाग व राजस्व विभाग की टीम द्वारा सर्वे किया जा रहा है। रिपोर्ट  आने के बाद शासन को भेजेंगे।
एलएल उइके 

Created On :   30 Aug 2022 10:08 AM GMT

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