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आईटी सेक्टर से लेकर हर विधाओं के बाहर मौजूद प्रशिक्षण केंद्रों की ओर आकर्षित हो रही प्रतिभाएं
डिजिटल डेस्क,शहडोल। कोरोना महामारी के समय वापस लौटी प्रतिभाएं अधिक दिनों तक टिक नहीं पाए। महामारी के बाद परिस्थितियों के सुधरने के बाद लोग रोजगार की तलाश में एक बार फिर बाहर जाने शुरु हो गए। जानकारों की मानें तो आईटी सेक्टर से लेकर अन्य क्षेत्र विधाओं के प्रशिक्षण माकूल प्रशिक्षण संस्थान जिले में नहीं हैं, यही कारण है कि केवल आईटी सेक्टर के ही 90 प्रतिशत प्रतिभाएं रोजगार की तलाश में बाहर चले जाते हैं।
प्रतिभाओं के अनुरूप स्थानीय स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर का न होना भी पलायन का बहुत बड़ा कारण बनता है। बाहर जॉब करने वाला यदि आता भी है तो संसाधन और सुविधाएं न मिलने के कारण दोबारा लौटना नहीं चाहते। इसके अलावा जो युवा स्वरोजगार से जुडऩा भी चाहें तो उनके थकाऊ सरकारी प्रक्रिया से थक हार कर बाहर जाना मुनासिब समझते हैं। मजदूरों का पलायन भी इसलिए होता है क्योंकि मनरेगा जैसी स्कीमें भी रोजगार नहीं दे पा रही हैं।
प्रशिक्षण के अनुरूप जॉब नहीं
प्रतिभाओं द्वारा प्राप्त किए जाने वाले प्रशिक्षण के अनुरूप जॉब की कमी इस वर्ष भी जिले में बनी रही। गौरतलब है कि आई सेक्टर हों या एजुकेशन के अलावा मेडिकल या फिर खेल एकेडमी की कमी यहां बनी हुई है। कहा कौशल और संगीत के क्षेत्र में भी जिले में एक भी महाविद्यालय और निजी ट्रेनिंग सेंटर नहीं हैं। कोटा जैसे संस्थानों में प्रशिक्षण लेने के बाद युवा उसी अनुरूप जॉब की तलाश में बाहर के प्रदेशों और विदेशों की ओर रुख कर लेते हैं। प्रतिभाएं अपने बेहतर भविष्य की तलाश में बाहर की ओर रुख कर रही हैं।
स्थानीय स्तर पर रोजगार कम
प्रतिभाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार की तलाश इस वर्ष भी बनी रही। स्व रोजगार को लेकर भी शासकीय नियम आड़े आ जाते हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) में 410 युवाओं ने आवेदन किया। इसमें 113 प्रकरण ही स्वीकृत पाए। ज्यादातर प्रकरण बैंक में लटके रहने से युवा बैंकों के चक्कर लगाते परेशान हैं। यही हाल मजदूर वर्ग का भी रहा। जिले में मनरेगा योजना के तहत 38 लाख मानव दिवस रोजगार का वार्षिक लक्ष्य था, लेकिन 32 लाख से कुछ अधिक मानव दिवस का रोजगार ही सृजित हो पाया।
स्वरोजगार की ओर बढ़ा रुझान
तमाम असुविधाओं के बाद कुछ युवा स्वरोजगार की ओर अग्रसर हो रहे हैं। कई कंपनियां भी ऑफर कर रही हैं। लोग अपना स्वयं का रोजगार भी सृजित कर रहे हैं। जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र विभाग में संचालित योजना मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति में 303 लोगों ने आवेदन किया। हालांकि 118 प्रकरण मंजूर करते हुए 7 करोड़ 10 लाख रुपए का ऋण वितरित किए गए।
पलायन के लिए सिस्टम भी जिम्मेदार
प्रतिभाओं के पलायन जैसी स्थिति के लिए मौजूदा सिस्टम व व्यवस्थाएं भी जिम्मेदार रहीं। समाजसेवी सीए सुशील ङ्क्षसघल का कहना है कि बाहर जॉब करने वाले यहां आना भी चाहें तो उन्हें अनेक प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ता है। ट्रेन और प्लेन जैसी मूलभूत सुविधाएं उनके अनुरूप नहीं मिलतीं। ई जॉब के लिए यहां सुविधाएं ही विकसित नहीं हो पाईं। उन्होंने कहा कि भविष्य में प्रतिभाओं का पलायन रोकने के लिए सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है।
Created On :   30 Dec 2022 3:14 PM IST