कायाकल्प के दौर में खुले आसमान तले छात्र

Students under the open sky in the era of rejuvenation
कायाकल्प के दौर में खुले आसमान तले छात्र
बलिया कायाकल्प के दौर में खुले आसमान तले छात्र

 डिजिटल डेस्क, बलिया । बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों को अत्याधुनिक वातावरण देने के लिए सरकार नित नई योजनाओं पर काम कर रही है, आपरेशन कायाकल्प से अधिकांश विद्यालयों के भौतिक परिवेश में अद्वितीय परिवर्तन हुए हैं, लेकिन इसी दौर में एक ऐसा भी विद्यालय है जहां के छात्र खुले आसमां तले मौसम की मार के बीच पढ़ने को मजबूर हैं । हम बात कर रहे हैं विकास खंड सोहांव‌ अन्तर्गत उच्च प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर की, यह विद्यालय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है या फिर यूं‌ कहिए कि इस बदहाली की सजा क्षेत्र के नौनिहालों को मिल रही है । 
तपती गर्मी हो या बरसात इन‌ 41 मासूमो‌ं को मौसम की मार सहते हुए अपने सपनों‌ को बुनना है‌ ।‌ इस बाबत पूछे जाने‌ पर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 2004 में विद्यालय भवन‌ का निर्माण कराया गया था, जिसके अन्तर्गत तीन कमरे, एक कार्यालय व‌ बारामदा बना था । 6 नवम्बर 20 को विद्यालय को जर्जर घोषित कर दिया गया, जिसे 17 मई 22 को ध्वस्त कर नीलाम कराया गया । विभाग को‌ पत्राचार भी किया गया है लेकिन अब तक अतिरिक्त कक्ष नहीं मिलने के कारण मजबूरन वह और उनके सहायक अध्यापक एक पेड़ के नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं ।
‌‌यहां एक और सवाल‌ का उठना लाजमी है कि निर्माण के महज‌ 16 वर्षों‌ के भीतर ही भवन‌ जर्जर‌ कैसे हो गया ? और‌ यदि भवन‌‌ अपनी औसत आयु तक नहीं पहुंच सका तो क्या विभाग ने निर्माण की गुणवत्ता से समझौता कर बच्चों के जीवन को खतरे में डालने‌ वाले पर कोई कार्रवाई की ? इस बाबत जब बेसिक शिक्षा परिषद के डीसी निर्माण सत्येन्द्र राय से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि "विभाग द्वारा निर्मित भवन‌ की औसतन‌‌ आयु 20 से 25 वर्ष होनी चाहिए ।" ऐसे में कहना‌‌ ग़लत नहीं होगा कि भवन‌ के 16 वर्ष में जर्जर‌ हो‌ जाना‌ इस बात का प्रमाण है कि भवन‌‌ निर्माण के समय गुणवत्ता से समझौता किया गया था ।
स्थानीय ग्रामीणों भी सवाल खड़े करते है की इतनी जल्दी विद्यालय भवन जर्जर घोषित होना कही न कही निर्माण में भ्रष्टाचार का परिचायक है । बहरहाल भवन‌ निर्माण में किया गया भ्रष्टाचार कहिए अथवा नवीन‌ भवन‌ निर्माण में देर, कारण चाहें जो भी हो कड़वा सच तो यह है कि 21वीं सदी और आपरेशन कायाकल्प, निपुण भारत के दौर में भी प्रदेश में एक ऐसा विद्यालय भी है जहां मौसम से आंख मिचौली करते हुए छात्र अपना भविष्य संवार रहे हैं ।इस प्रकरण में बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीराम सिंह ने बताया की उन्हे इस प्रकरण में कोई जानकारी नहीं है।संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगने के बाद जांच कर उचित कार्यवाही की जाएगी

Created On :   22 July 2022 5:08 PM IST

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