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Jabalpur News: न आरोपी गिरफ्त में आए न मिलर्स पर कसा शिंकजा

- 30 करोड़ का धान घोटाला, 30 दिन बाद भी हाथ खाली, जांच चल रही कछुआ चाल
- अधिकारियों और कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात भी की गई थी लेकिन वह भी नहीं कराई गई
- खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम और सहकारिता के कुछ अधिकारी और कर्मचारी तो एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार हैं।
Jabalpur News: ठीक 30 दिन पहले यानी 20 मार्च को अंतर जिला धान मिलिंग में 30 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। इस मामले में 12 थानों में 74 अधिकारियों और कर्मचारियों पर 12 एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 30 दिनों बाद भी मात्र आधा दर्जन कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो सकी है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा किए गए दावों की पोल खुल गई है। अब तक एक भी मिलर पर कार्रवाई नहीं की गई जबकि कहा गया था कि मिलर्स को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा और उनकी सुरक्षानिधि जब्त की जाएगी। अधिकारियों और कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात भी की गई थी लेकिन वह भी नहीं कराई गई और तो और मुख्यालय भोपाल के आदेश पर शुरू की गई जांच भी कछुआ चाल चल रही है।
जिले में अंतर जिला मिलिंग के मामले में कलेक्टर दीपक सक्सेना के पास शिकायत पहुंची थी कि जिले के बाहर के मिलर्स धान उठाने के बजाय यहीं के दलालों को बेच रहे हैं। शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने उन वाहनों के परिवहन रिकाॅर्ड निकलवाए जिनसे धान के परिवहन की बात की गई थी। एनएनएआई के टोल नाकों से वाहनों के मूवमेंट और परिवहन विभाग से वाहनों की श्रेणी, भार आदि की जब जानकारी मिली तो सभी हैरान रह गए क्योंकि जिन वाहनों के नम्बर दिए गए थे उनमें से कुछ नम्बर तो कारों और बसों के निकले जिनसे धान का परिवहन नहीं हो सकता।
कुछ वाहन छोटे निकले जिनसे हजारों क्विंटल धान के परिवहन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में जब पूरा आंकलन किया गया तो यह पूरा मामला करीब 30 करोड़ 14 लाख के घोटाले का निकला। ऐसे में मप्र स्टेट सिविल सप्लाइज काॅर्पोरेशन के प्रभारी जिला प्रबंधक सहित कुल 13 कर्मचारी, 17 राइस मिलर संचालक, 25 सोसायटी और उपार्जन केन्द्र के 44 कर्मचारियों के खिलाफ मामले दर्ज कराए गए थे, 11 सोसायटी और उपार्जन केन्द्र के 20 प्रबंधक व कम्प्यूटर ऑपरेटर्स के विरुद्ध सहकारी समिति अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। 1 संकुल उपार्जन केन्द्र के प्रबंधक और कम्प्यूटर ऑपरेटर पर कार्रवाई के लिए सीईओ जिला पंचायत को पत्र लिखा गया था और कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की बात की गई थी।
एक सप्ताह में देनी थी जांच रिपोर्ट
20 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और 26 मार्च को भोपाल से खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की अपर मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी का पत्र आया जिसमें इस मामले की एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तैयार कर भोपाल भेजने के आदेश थे। उन्होंने उपार्जन धान की मात्रा, धान परिवहन की मात्रा, धान जमा मात्रा, धान की कमी, मिलर्स को भुगतान, मिलरवार धान प्रदाय की मात्रा, मिलरवार धान उठाव मात्रा और मिलरवार सीएमआर जमा मात्रा की जानकारी चाही थी।
अब तक एक भी विभागीय कार्रवाई, जांच भी नहीं
इतने बड़े मामले में अभी तक एक भी अधिकारी या कर्मचारी पर विभागीय जांच नहीं बैठाई गई है। खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम और सहकारिता के कुछ अधिकारी और कर्मचारी तो एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही फरार हैं। यह अलग बात है कि पुलिस की ढीली कार्रवाई के चलते या फिर छूट के कारण सभी आराम से घूम-फिर रहे हैं और अपनी जमानत के प्रयास कर रहे हैं।
Created On :   19 April 2025 7:05 PM IST