बंदियों के मन परिवर्तन से सामाजिक क्रांति - आचार्य विद्यासागर महाराज

Social revolution due to change of mind of prisoners - Acharya Vidyasagar Maharaj
बंदियों के मन परिवर्तन से सामाजिक क्रांति - आचार्य विद्यासागर महाराज
परिवर्तन बंदियों के मन परिवर्तन से सामाजिक क्रांति - आचार्य विद्यासागर महाराज

डिजिटल डेस्क, वाशिम। मनुष्य जीवन में अनेकों से गलतियाँ होती है, लेकिन भारतीय संस्कृति, परम्परा और इतिहास वाल्या का वाल्मीकी करने का है । आज विविध कारागृहों में बंदी भाई विविध गलतियों की सज़ा भुगत रहते हैं । मात्र हमने इन बंदी भाईयों को दोष के साथ स्वीकारकर उनका मनपरिवर्तन करने का कार्य हाथ में लिया है । इस कार्य से बड़ी सामाजिक क्रांति आई है और आज अनेक बंदी विविध कलाकृति के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर प्रगति करते हुए स्वयं का गुज़ारा कर रहे है । बंदियों के मनपरिवर्तन से सामाजिक क्रांती निर्माण हुई है और अवसर का लाभ उठाना प्रत्येक के हाथ में होने का प्रतिपादन संतशिरोमणी आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने किया । शिरपुर जैन में जिला कारागृह अधीक्षक प्रदीप इंगले, बालरोग विशेषज्ञ डा. हरिष बाहेती, महिला रोग विशेषज्ञ डा. सरोज बाहेती, सनदी लेखापाल बालकिशन बाहेती, तरुण क्रांति मंच व भारतीय जैन संगठन के अध्यक्ष निलेश सोमाणी, समाजसेवी संजीव भांदुर्गे ने शनिवार को आचार्य विद्यासागरजी महाराज के दर्शन लिए । इस अवसर पर आचार्य विद्यासागरजी महाराज के साथ वार्तालाप कर आत्मनिर्भरता की ओर शुरु प्रगति को लेकर हातमाग प्रकल्प की जानकारी दी । तिहाड़ जेल, सागर व देश के विविध कारागृहों के बंदियों के लिए हातमाग का प्रकल्प खड़ा कर उन्हें रोज़गार का अवसर उपलब्ध करवाया गया है । आज अनेक बंदी माह में 40 से 50 हज़ार रुपए प्राप्त कर रहे है । मन परिवर्तन के साथही हम बंदियों को नशे से मुक्ति, शाकाहार और अन्य सभी विकाराें से परावृत्त कर अच्छे कार्यों के लिए उन्हें प्रोत्साहन दिया । एक बंदी द्वारा तो दीवार पर आचार्यश्री का बड़ा चित्र निकाले जाने की जानकारी है तो आज आचार्यश्री पुन: मार्गदर्शना के लिए कब आएंगे, इसकी अनेक बंदियों द्वारा राह तकने की जानकारी एलक सिध्दांतसागरजी महाराज ने दी । 

वाशिम जिला कारागृह में भी उपक्रम शुरु करने की मांग

वाशिम जिले के कारागृह में भी बंदियों के लिए यह प्रकल्प शुरु हो, इस प्रकार की इच्छा प्रदर्शित करते हुए इस कार्य के लिए सभी मशीन, प्रशिक्षण व प्रकल्प निर्मिति की संपुर्ण जवाबदारी स्वीकारने की ग्वाही दी गई । चर्चा मंे कारागृह अधीक्षक इंगले, डा. बाहेती, निलेश सोमाणी ने हिस्सा लेकर विविध प्रकल्पाें की जानकारी दी । इस अवसर पर डा. सरोज बाहेती ने वाशिम कारागृह के बंदियों के साथ रक्षाबंधन मनाने को लेकर एक बंदी का मन परिवर्तन कैसे हुआ, इसकी जानकारी आचार्यश्री के समक्ष दी । इस अवसर पर आचार्यश्रीं ने संपूर्ण कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर यह प्रकल्प शुरु किया जा सकता है, ऐसा संकेत देते हुए इस उपक्रम में शामिल होने का आव्हान किया । इस माध्यम से बंदियों में अच्छे कार्य करने की प्रेरणा निर्माण होती है । खाली दिमाग शैतान का घर होता है । आचार्यश्री ने दो आँखे बारा हाथ फिल्म का उदाहरण देकर सभी से खुले मन से संवाद किया । इस समय एलक सिध्दांतसागरजी महाराज ने सभी प्रकल्पाें और बंदियों के लिए चलाए जानेवाले उपक्रमाें की जानकारी दी । तत्पश्चात सभी गणमान्यजनों ने बंदियों द्वारा तैय्यार की गई वस्तुओं का निरीक्षण कर खरीदारी भी की । इस प्रकल्प को आईआईटी, इंजिनिअर तथा पिछले 40 वर्षो से बालब्रम्हचारी रहनेवाले व्यक्ति नि:स्वार्थ भावना से आचार्यश्री के मार्गदर्शन में गति दिए जाने की जानकारी भी दी । हातमाग प्रकल्प के संयोजक तात्या काका ने भी सभी से चर्चा की ।

Created On :   18 July 2022 6:07 PM IST

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