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नागरिक सहकारी अस्पताल को फिर शुरू करने की तैयारी, कमेटी होगी गठित
डिजिटल डेस्क,नागपुर। कई सालों से बंद पड़े धरमपेठ के नागपुर नागरिक सहकारी अस्पताल को फिर से शुरू करने का मुद्दा उठाती जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति रोहित देव की खंडपीठ ने नागपुर सुधार प्रन्यास को आदेश दिया है कि वे नागपुर नागरिक सहकारी रुग्णालय मर्यादित को-ऑप सोसायटी की लीज रद्द करने पर निर्णय लेने के लिए एक कमेटी गठित करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने अस्पताल को फिर से शुरू करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निणय लिया है। यह समिति विविध पहलुओं का मंथन करके ने प्रतिवादियों से कमेटी में नियुक्ति के लिए चिकित्सा क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के नाम सुझाने को कहा है। मामले में याचिकाकर्ता डॉ. भालचंद्र सुभेदार की ओर से एड. अक्षय सुदामे, नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे और मध्यस्थी अर्जदार की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा।
संचालन के लिए तैयार
मामले में साई बाबा सेवा मंडल ने मध्यस्थी अर्जी दायर की है। अपनी अर्जी में मंडल ने अस्पताल का संचालन करने की तैयारी दर्शाई है। मंडल के अनुसार वे मौजूदा सोसायटी को अस्पताल के संचालन मंे मदद करते आ रहे हैं। लेकिन अब चूंकि सोसायटी अस्पताल का संचालन करने में समर्थ नहीं है। लिहाजा मंडल को अस्पताल के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।
यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार सोसायटी के निवेदन पर नासुप्र ने उन्हें धरमपेठ में सहकारी अस्पताल चलाने के लिए 5842 वर्ग मीटर भूखंड 30 साल की लीज पर दिया। यह लीज 1971 से शुरू हुई थी। संस्था ने अस्पताल तो शुरू किया, लेकिन समय के साथ सोसायटी की आर्थिक हालत बिगड़ती चली गई। वर्ष 2007 में हैदराबाद के मेसर्स क्वालिटी केयर ग्रुप ऑफ इंडिया के साथ मिलकर अस्पताल चलाने की योजना विफल हो गई। बाद में डॉ. अर्नेजा इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी को गलत तरीके से अस्पताल का करार हुआ।
याचिकाकर्ता की ही जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह करार रद्द कर दिया था। इस सब के बीच अस्पताल बंद हो गया। इधर कारण शहर के बीचों बीच कीमती भूखंड व्यर्थ हो रहा है, इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को निवेदन सौंपा। 6 मार्च को रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज ने सोसायटी पर प्रशासक नियुक्त कर दिया। अब याचिकाकर्ता ने नासुप्र को निवेदन सौंप कर लीज समाप्त होने की ओर ध्यानाकर्षित किया। लेकिन नासुप्र ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया। जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा है।
Created On :   18 Dec 2019 11:38 AM IST