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दिवाली पर सबसे अधिक बढ़ जाता है पोल्यूशन ,पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिवाली पर फोड़े जाने वालों पटाखे वायु प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देते हैं। ऐसे में सांस के मरीज सहित आम लोगों को कई परेशानी होती है। ऐसे में स्वयंसेवी संस्था ग्रीन विजिल ने इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए अभियान शुरू किया है। संस्था के सदस्य लोगों से इको-फ्रेंडली दिवाली मनाने की अपील संबंधी पोस्टर व बैनरों के साथ शंकर नगर चौक पर प्रदर्शन किया। सदस्यों ने पोस्टर, प्लाकर्ड्स के जरिए लोगों से कम पटाखे जलाने का आह्वान किया। संस्था के कार्यकर्ता ने आम लोगों से पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण के बारे में भी चर्चा की। ग्रीन विजिल के डिप्टी टीम लीड मेहुल कोसुरकर ने बताया कि काफी लोगों ने वाहन रोककर संस्था के सदस्यों से इस विषय पर चर्चा की और कम पटाखे जलाने का वादा किया। संस्था के सदस्य दिवाली तक घर-घर जा कर लोगों को इको फ्रेंडली दिवाली मनाने की अपील करेंगे। अभियान को सफल बनाने कौस्तव चटर्जी, सुरभि जायस्वाल, मेहुल कोसुरकर, शक्ति रतन, शीतल चौधरी, बिष्णुदेव यादव, नम्रता झवेरी, वृषाली शहाने, दिगम्बर नागपुरे, कार्तिकी कावले, अद्विक दासगुप्ता आदि ने सहयोग किया।
किस पटाखे से हवा में कितना पीएम 2.5
सांप वाला पटाखा- 3 मिनट के अंदर 64,849 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
चटाई बम (1000 लड़ी वाली)- 6 मिनट के अंदर 47, 789 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
पुलपुल- 3 मिनट में 34,068 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
फुलझड़ी- 2 मिनट में 10,898 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
चकरी- 5 मिनट में 10,475 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
अनार बम- 3 मिनट में 5,640 यूजी/क्यूबिक मीटर पीएम 2.5
हानिकारक धातुओं का उत्सर्जन
संस्था की सुरभि जायस्वाल ने बताया कि पटाखों से भारी मात्रा में कैडमियम और लीड जैसे हैवी मेटल्स का उत्सर्जन होता है। इसके साथ ही कॉपर, जिंक, सोडियम, पोटैशियम जैसे धातुओं का भी उत्सर्जन होता है। इससे वातावरण में पार्टीकुलेट मैटर एवं धुए की मात्रा बढ़ जाती है। इनसे दमा, सिरदर्द, रक्तचाप में वृद्धि, स्किन एलर्जी, आंखों में जलन, श्वसन समस्याएं बढ़ जाती हैं।
Created On :   23 Oct 2019 2:14 PM IST