प्राकृतिक नाले के अस्तित्व से कई जगहों में खिलवाड़

Playing with the existence of natural drain in many places
प्राकृतिक नाले के अस्तित्व से कई जगहों में खिलवाड़
कटनी प्राकृतिक नाले के अस्तित्व से कई जगहों में खिलवाड़

 डिजिटल डेस्क, कटनी । शहर के नालों का अस्तित्व मिटता जा रहा है।  सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब कुछ अफसरों के आंखों के सामने ही हो रहा है। इसके बावजूद प्राकृतिक नालों को मिटते हुए अधिकारी देख रहे हैं। दुगाड़ी नाला से लेकर कलेक्ट्रेट तक की दूरी महज पांच सौ मीटर है। इसके बावजूद यह नाला कहीं पर नाली में तब्दील है तो कहीं पर तो यह भी पता नहीं चल रहा है कि बरसात का पानी निकलने के लिए प्रकृति ने जो व्यवस्था की थी। उस व्यवस्था को ही लोग निजी स्वार्थों की पूर्ति में बदल दिए हैं। तीनों जगहों का विवाद अफसरों के सामने भी पहुंचा था। इसके बावजूद कार्यवाही के नाम पर राजस्व और नगर निगम के अधिकारियों के पैर फूल रहे हैं।
रहस्य ही नाले में पक्का निर्माण
दुगाड़ी नाला में पक्के निर्माण का मामला शहरवासियों के लिए अनसुलझा रहस्य बनकर रह गया है। पहले तो अफसरों को गुमराह करते हुए प्लाट के लिए रास्ता बनाने वालों ने अस्थाई रुप से निर्माण की अनुमति मांगी, लेकिन यहां पर पक्का निर्माण शुरु कर दिया गया। ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट के विपरीत यहां पर पक्का निर्माण कर दिया गया। शिकायत के बाद जांच कराई गई तो मनमानी सामने आई। जिसके बाद कलेक्टर ने नाले को यथास्थिति में रखने के निर्देश दिए। इसके बावजूद  पक्का निर्माण अफसरों के आंखों के सामने हो गया। वर्तमान समय में तो प्लाट से मुख्य मार्ग को जोड़ लिया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि नाले के अस्तित्व को तो नहीं बचाया जा सका। ऊपर से खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पचास लाख रुपए का कार्य भी करा दिया गया। उपभोक्ता फोरम ने भी नाले में अवैध अतिक्रमण की शिकायत दर्ज कराई थी।
कंपाउडिंग फीस का सब्जबाग
इसी मार्ग पर पंजीयक कार्यालय मोड़ के सामने पचास मीटर का बड़ा नाला छोटी से पाइप लाइन में सिमटता जा रहा है। यहां पर नाले के ऊपर अवैध निर्माण की शिकायत पर तत्कालीन अधिकारी ने निर्माणकर्ता को नोटिस भी दिया था, लेकिन बाद में जब निर्माणकर्ता ने ऊंची पहुंच का सहारा लिया तो यहां पर फिर कंपाउडिंग फीस लेने की बात अधिकारियों ने बताई। एक तरफ जहां नाले में पक्के निर्माण को लेकर नोटिस जारी किया गया था। वहीं वर्तमान समय में बचे हुए हिस्से में फिर से मिट्टी की पुराई की जा रही है। जिसमें पानी निकासी के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है।
पुल बनाने वाले भी पछता रहे
इसी तरह का खेल दूसरी तरफ भी खेला गया है। मुख्य मार्ग में ही करीब 10 लाख रुपए की लागत से पुल का निर्माण किया गया था। जिससे की पानी निकासी में किसी तरह की परेशानी न हो, लेकिन नाले का अस्तित्व समाप्त होने केबाद तो अब पुल के ऊपर से गुजरने वाले यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब नाले को ही समाप्त कर दिया जाना था तो फिर कम से कम पुल की लागत ही अफसर बचा लेते। यह हाल शहर के इस इकलौते नाले का नहीं है, बल्कि शहर के अन्य जगहों में भी इस तरह का नाजारा आम है।

Created On :   6 July 2022 1:03 PM IST

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