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अब जंगली जानवरों को गर्मी में 24 घंटे मिलेगा पानी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गर्मी के दिनों में इस बार जंगली जानवरों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। दरअसल, हर साल 75 फीसदी जलस्रोत गर्मी में सूख जाते हैं। ऐसे में जलसंकट खड़ा हो जाता है। इसी से बचने के लिए वन विभाग ने 24 घंटे पानी की व्यवस्था की रणनीति बनाई है। इसके लिए जंगलों में सोलर पावर बोरवेल लगाने की शुरुआत हो गई है। खास बात यह है कि अबकी ज्यादा संख्या में बोरवेल लगाने की योजना है। 24 घंटे वॉटर होल में पानी टपकता रहेगा और जंगली जानवर प्यास बुझाएंगे। अभी वन विभाग ने जंगलों में मैनुअल वॉटर होल बनाये हैं। जहां हैडपंप के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जाता है। इस होल को भरने की प्रक्रिया आसान नहीं है। कई बार मैनपावर की कमी से यह वॉटर होल सूखे रह जाते हैं। अब ऐसा नहीं होगा।
विदर्भ के जंगलों में ऐसी है स्थिति
आंकड़ों के अनुसार विदर्भ के पेंच व्याघ्र प्रकल्प के अंतर्गत आनेवाले बोर व्याघ्र प्रकल्प, उमरेड-पवनी-करांडला अभयारण्य, टिपेश्वर अभयारण्य, पैनगंगा अभयारण्य में आनेवाले 2 माह में 50 से अधिक नैसर्गिक जलस्त्रोत सूख जाते हैं। ऐसे में कुल 350 कृत्रिम जलस्त्रोत को विभिन्न तरीकों से मेंटेन किया जा रहा है। मई में स्थिति और भी विकट हो जाती है। आंकड़ों के अनुसार कुल 179 नैसर्गिक जलस्त्रोत विदर्भ के जंगली क्षेत्र में बने हैं। इसमें 76 नैसर्गिक स्त्रोत में हर माह पानी उपलब्ध रहता है। बचे 103 जलस्त्रोत में बढ़ती गर्मी के कारण पानी सूख जाता है। गर्मी के आखिरी समय तक 50 से ज्यादा जलस्रोत सूख जाते हैं। कृत्रिम वॉटर होल की संख्या 350 है।
Created On :   25 Feb 2020 1:24 PM IST