संतरानगरी में भी हृदय धड़कने लगा,  हार्ट ट्रांसप्लांट में आगे

Nagpur city number one in heart transplant
संतरानगरी में भी हृदय धड़कने लगा,  हार्ट ट्रांसप्लांट में आगे
संतरानगरी में भी हृदय धड़कने लगा,  हार्ट ट्रांसप्लांट में आगे

डिजिटल डेस्क,नागपुर। मेडिकल हब के नाम से प्रचलित संतरानगरी में अब जटिल से जटिल बीमारियों का उपचार होने लगा है। नागपुर में 15 सितंबर 1985 को ओपन हार्ट सर्जरी के साथ आरंभ हुआ सिलसिला   7 जून 2019 को हार्ट ट्रांसप्लांट तक जा चुका है। इस वर्ष शहर हार्ट ट्रांसप्लांट कर विश्व हृदय दिवस मना रहा है। अब संतरानगरी में भी हृदय धड़कने लगा है।

आर्टिफिशियल हार्ट

अमेरिका के बाद भारत में भी आर्टिफिशयल हार्ट ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। करीब 7-8 साल का समय बीत चुका है। हार्ट मेट-1 के बाद हार्ट मेट-2 भी आ चुका है, लेकिन नागपुर में अब तक ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है। हालांकि आर्टिफिशियल हार्ट की कीमत अधिक होने के कारण दिल्ली-मुंबई में भी उसके लगवाने वालों की संख्या बहुत अधिक नहीं है। स्टेमसेल थेरेपी से हृदय के उपचार पर शोध चल रहा है, इसमें संभावनाएं तलाशी जा रही हैं कि हृदय के जिस हिस्से को जरूरत होगी, स्टेमसेल थेरेपी से उसका उपचार कर उसे ठीक किया जाएगा।

शहर में दिल की शुरुआत यहां से हुई

नागपुर में पहली ओपन हार्ट सर्जरी 1985 में डॉ. पी. के. देशपांडे ने की। उस समय मुंबई और पुणे के अलावा कहीं सर्जरी नहीं होती थी। इसके बाद इसी साल 4 माह पहले एक निजी हॉस्पिटल में डॉ. आनंद संचेती की टीम ने हार्ट ट्रांसप्लांट किया। अब शहर में करीब 33 कैथलैब और 10 हार्ट सर्जरी सेंटर हैं। नागपुर में बच्चों के हृदय रोग के उपचार के लिए दूर-दूर से मरीज आते हैं।

भारत में हृदय रोग से 1.79 करोड़ मौत

हार्ट फेल होने का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि हृदयाघात से लगातार मृत्यु की संख्या बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल भारत में 1.79 करोड़ मृत्यु का कारण हृदय रोग है। इसमें हैरानी की बात यह है कि पूरी दुनिया में होने वाली मृत्यु का यह 31 फीसदी है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 110 करोड़ युवाओं का रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ा हुआ है। प्रत्येक 5 युवाओं में सिर्फ एक का ब्लडप्रेशर नियत्रंण में है।

हम कुछ नहीं कर सकते" शब्द घातक

नागपुर में हार्ट ट्रांसप्लांट होने लगा है, लेकिन दिल जैसा नाजुक मामला होने के कारण आम नागरिकों में ही नहीं, बल्कि डॉक्टरों में भी अभी जागरूकता की कमी है। हार्ट सर्जन ने बताया कि हार्ट फेल का प्रतिशत बढ़ रहा है। डॉक्टर मरीज के हृदय की खराब स्थिति को देखकर उसे ट्रांसप्लांट की सलाह न देकर कहते हैं कि ‘हम कुछ नहीं कर सकते हैं"  यह शब्द हमारे लिए बहुत घातक है। हार्ट ट्रांसप्लांट आसान नहीं है और खर्चीला भी है, लेकिन उसकी जानकारी मरीज तक पहुंचना जरूरी है, क्योंकि यह उसकी जिंदगी का सवाल है।

हाईब्रिड ओटी है अपडेट

1985 में हमने ओपन हार्ट सर्जरी की थी और 2019 में हार्ट ट्रांसप्लांट हो चुका है। हमनें हाईब्रिड ऑपरेशन थियेटर तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि इस ऑपरेशन थियेटर में एंजियोग्राफी भी कर सकते हैं। हाई रिस्क 70 साल से अधिक उम्र के मरीज को हम बिना सर्जरी के कैथेटर से उपचार करते हैं।
डॉ. पी. के. देशपांडे, वरिष्ठ हार्ट सर्जन

हार्ट ट्रांसप्लांट गौरव की बात

हमारे लिए गाैरव की बात है कि नागपुर का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट हमें करने का मौका मिला। भारत में आर्टिफिशियल हार्ट ट्रांसप्लांट भी हो रहे हैं, लेकिन खर्चीला होने से गिने-चुने लोग ही करवाते हैं। नागपुर में हार्ट ट्रांसप्लांट की जागरूकता की जरूरत है। मरीजों को अब भी ऐसा लगता है कि चेन्नई, मुंबई के अस्पतालों में जाना, वहां रहने आदि में  बहुत खर्च है, जबकि अब ऐसा नहीं है। डॉ.आनंद संचेती, वरिष्ठ हार्ट सर्जन
 

Created On :   30 Sept 2019 7:17 AM GMT

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