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उतार चढ़ाव के बीच मेट्रो ने पकड़ी रफ्तार, शहर में पहली दौड़ी मेट्रो के लिए ऐतिहासिक रहा साल
डिजिटल डेस्क, नागपुर । महाराष्ट्र मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के लिए वर्ष 2019 बहुत महत्वपूर्ण रहा। इस वर्ष महामेट्रो ने शहर के इतिहास में नया कीर्तिमान रचा। मार्च 2019 में नागपुर शहर में पहली बार मेट्रो चलाई गई। दूसरे रीच पर मेट्रो चलाने के लिए महामेट्रो को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा, फिर भी मेट्रो नहीं चल पाई। यह वर्ष नागपुर और महाराष्ट्र के लिए चुनावों से प्रभावित हुआ, जिसमें सबसे ज्यादा मेट्रो ही प्रभावित रही। पूरे वर्ष बहुत उतार-चढ़ाव के बाद मेट्रो ने 80 किमी की गति भी पकड़ी।
मार्च सबसे महत्वपूर्ण
मार्च में ही पहली बार नागपुर में मेट्रो चली और इतिहास बना। इसी माह में मेट्रो के वरिष्ठ अधिकारी पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया। 1 मार्च को मेट्रो ट्रेन हिंगना डिपो पहुंची। 3 मार्च को नागपुर मेट्रो परियोजना का सीएमआरएस निरीक्षण किया गया। इसके बाद 7 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो लिंक के माध्यम से मेट्रो का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन के ठीक अगले दिन से ही मेट्रो ने कमर्शियल सेवा शुरू कर दी।
रीच-3 रह गया उद्घाटन के इंतजार में
इस वर्ष महामेट्रो की ओर से रीच-1 और रीच-3 पर एक साथ मेट्रो चलाने की योजना थी, लेकिन रीच-3 के कार्यों का अधूरा होने से दोनों का उद्घाटन एक साथ नहीं हो पाया। इसके बाद रीच-3 सीताबर्डी से लोकमान्य नगर तक मेट्रो का उद्घाटन 7 सितंबर को रखा गया। प्रधानमंत्री मोदी के हाथों ही उद्घाटन करने की योजना थी, पर मेट्रो की योजना पर बारिश ने पानी फेर दिया। इसके बाद दिसंबर के आखिरी दिन तक मेट्रो प्रशासन उद्घाटन की कोशिश में लगा रहा, लेकिन संभव नहीं हाे पाया।
आचार संहिता का उल्लंघन
केन्द्रीय चुनाव आयोग ने 10 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा कर आचार संहिता लागू की थी। उसके दो दिन बाद 13 मार्च को महामेट्रो के प्रबंधक निदेशक दीक्षित ने घोले रोड परिसर में पत्रकार वार्ता लेकर पुणे के मेट्रो परियोजना की प्रगति का जायजा लिया और बताया कि ‘स्वारगेट-कात्रज मेट्रो मार्ग की रूपरेखा तैयार है और जल्द ही उक्त रूपरेखा पुणे महानगरपालिका को सौंपी जाएगी’। इसके बाद पुणे के जिलाधिकारी नवल किशोर राम के आदेशानुसार महामेट्रो के प्रबंधक निदेशक ब्रिजेश दीक्षित पर पुणे के डेक्कन पुलिस थाने में आचार संहिता भंग करने का मामला दर्ज किया गया। इस घटना से महामेट्रो को बड़ा झटका लगा था, जिसके बाद मेट्रो की गतिविधियां भी कम हो गई थी। प्रेस विज्ञप्ति भेजने का सिलसिला भी थम गया। हालात यहां तक पहुंच गए थे कि किसी विशेष खबर या अन्य विषयों पर बयान देने के लिए अपने जनसंपर्क विभाग को भी पूरी तरह मनाही कर दी थी।
कुछ छोटी सुर्खियों में भी मेट्रो
वर्ष 2019 में मेट्रो की खबरें सुर्खियों में रहीं। इस वर्ष महामेट्रो को सबसे ज्यादा सुर्खियों में प्रशांत पवार ने रखा। पवार ने सैकड़ों करोड़ घाेटाले के अारोप मेट्रो पर लगाए, और मेट्रो अधिकारियों को जेल भिजवाने तक की बात कही। इसी दौरान मेट्रो के दो अधिकारियों को पुलिस गिरफ्तार भी किया था, जो कि फर्जी डिग्री पर कार्यरत थे। मेट्रो की राइडरशिप की भी कई बातें हुईं। मेट्रो शुरू तो हो गई, लेकिन अपना बिजली खर्च भी नहीं निकाल पाई। महाकार्ड को दो बार लाया गया जनता के सामने। पहली बार महापौर को दिया और प्रस्तुत किया। प्रतिसाद नहीं मिला तो रिलीज करने की नौबत आई। रीच-3 उद्घाटन का प्रयास हर बार नाकाम हुआ। अंत में मेट्रो के राइड और पत्र परिषद के लिए गृहमंत्री एकनाथ शिंदे का कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान भी इंतजार करते रह गए मेट्रो अधिकारी और नहीं पहुंचे मंत्री शिदे।
Created On :   30 Dec 2019 8:45 AM GMT