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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: ‘माइक्रोब्लॉगिंग’ पर जोर, चुनावी पोस्ट हो रहे वायरल
डिजिटल डेस्क,नागपुर। सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों के प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। ‘नेटीजन्स’ (इंटरनेट उपयोगकर्ता) को जाल में फंसाने की स्पर्धा शुरू है। ऐसे में उम्मीदवार चुनाव में बड़े पैमाने पर ‘माइक्रोब्लॉगिंग’ पर जोर दे रहे है। अत्यंत कम शब्दों में नेटीजन्स मतदाताओं पर प्रभाव डालने के लिए ‘पोस्ट’ वायरल की जा रही है। कम शब्दों में ‘पोस्ट’ ज्यादा प्रभावित करती है। विशेष यह कि सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों का कम शब्दों में प्रचार भी उनके चुनावी खर्च को कम कर रहा है। जिस कारण चुनाव नतीजों पर राज्यभर में ‘माइक्रोब्लॉगिंग’ का निर्णायक प्रभाव दिखने का दावा किया जा रहा है।
आज हर हाथ में मोबाइल है। इंटरनेट, सोशल मीडिया का वह आदी हो चुका है। विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां, उम्मीदवार द्वारा नेटीजन्स को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग उपाय ढूंढे जा रहे है। अब तक उम्मीदवारों ने नेटीजन्स को बड़े पैमाने पर आकर्षित करने के लिए लंबे-चौड़े शब्दों वाले पोस्ट डाले थे।
अब सोशल मीडिया उपयोगकर्ता अत्यंत कम और स्पष्ट शब्दों की पोस्ट से आकर्षित हो रहे है। जिसकारण चुनाव में उम्मीदवारों ने ‘माइक्रोब्लॉगिंग’ पर जोर दिया है। यह दावा करते हुए सोशल मीडिया विश्लेषक अजित पारसे ने बताया कि देश में 46 करोड़ नागरिक इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। ऑनलाइन खरीदी में देश का दूसरा नंबर है। इससे सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या का अनुमान लगा सकते है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार 2021 तक इंटरनेट का उपयोग करने वालों की संख्या 63 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इसे देखते हुए राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया पर ध्यान केंद्रीत कर रहे है। विशेषज्ञों की फौज खड़ी कर दी है।
सहज संदेश लिखना संभव
फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सएप, इंस्टाग्राम, टंबलर आदि माइक्रोब्लॉगिंग के मंच बन गए हैं। ट्विटर पर कम शब्दों में दिल को छूने वाले पोस्ट किया जाता है। टंबलर माइक्रोब्लॉगिंग का अपडेट एप है। अलग-अलग टूल्स के कारण सहज संदेश लिखना संभव है। इंस्टाग्राम पर एक से ज्यादा फोटाे का उपयोग किया जा सकता है।
क्या है ‘माइक्रोब्लॉगिंग"
छोटे संदेश व ब्लॉग का संयुक्त रूप यानी ‘माइक्रोब्लॉगिंग’ है। छोटे व कम शब्दों के संदेश का जल्द परिणाम होता है। ब्लॉग में हजारों शब्दों का जो आशय पहुंचता है, वह थोड़े व प्रभावी शब्दों में पहुंचाया जाता है। इसके लिए वाट्सएप, फेसबुक ग्रुप अथवा इंस्टाग्राम, ट्विटर का उपयोग किया जा रहा है। कोई रोजाना सुप्रभात संदेश भेजता है तो उससे त्रस्त होकर उसे ‘ब्लॉग’ किया जाता है। इसके लिए वाट्सएप, फेसबुक ग्रुप द्वारा अच्छी जानकारी मिलने पर ग्रुप में रहना पसंद किया जाता है। ऐसे में दलों ने विविध ग्रुप तैयार किए है या मौजूदा ग्रुप में माइक्रोब्लॉगिंग की जा रही है।
अजित पारसे ने कहा कि माइक्रोब्लॉगिंग द्वारा सोशल मीडिया द्वारा कम शब्दों में संदेश का फोटो, 30 से 40 सेकंड में प्रभावित करने वाला वीडियो अपलोड कर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को आकर्षित किया जा रहा है। माइक्रोब्लॉगिंग’ के कारण अत्यंत कम शब्दों में प्रभावी विचार रख सकते हैं। इससे समय की भी बचत होती है। कम शब्दों में संदेश सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा आसानी से फैलता है। ‘सेलिब्रिटी’ के पास समय नहीं होने से वे अत्यंत कम शब्दों में सोशल मीडिया पर अपने विचार रखते है। यही तरीका अब उम्मीदवार भी उपयोग कर रहे हैं। माइक्रोब्लॉगिंग द्वारा मतदाता तक सहजता से पहुंचकर प्रभाव डाला जा सकता है। - अजित पारसे, सोशल मीडिया विश्लेषक
Created On :   16 Oct 2019 10:48 AM IST