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मदरसे के बच्चे ले रहे स्कूली शिक्षा भी
डिजिटल डेस्क,नागपुर। मुस्लिम समुदाय में मदरसा धार्मिक शिक्षा का केंद्र माना जाता है। इस परंपरा से हटकर सिंधीबन में दारुल उलूम यतीमखाना बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ स्कूली शिक्षा भी दे रहा है। यतीमखाने में 40 बच्चे हैं। इसमें से लगभग 25 को समीपस्थ सरकारी स्कूल में दाखिला दिया गया है। अन्य बच्चों को दाखिला दिलाने की प्रक्रिया चल रही है। जिस जगह बच्चों के रहने की व्यवस्था है, उसे भले ही यतीमखाना नाम दिया गया है, लेकिन सभी बच्चे यतीम नहीं है। हालांकि गरीब परिवार से है। यतीमखाने में 3 शिक्षक हैं। बच्चों को सुबह-शाम अरबी, उर्दू में धार्मिक शिक्षा के पाठ पढ़ाए जाते हैं। दोपहर के समय बच्चे स्कूल जाते हैं। यतीमखाने में अंग्रेजी पढ़ाने के लिए अलग से शिक्षक की नियुक्ति की गई है। शिक्षक बच्चों को धार्मिक शिक्षा के अलावा अन्य भाषाओं में भी निपुण कर रहे हैं साथ ही बेसिक जानकारी भी इन बच्चों को दी जा रही है।
पालकों ने स्वेच्छा से किया दाखिल
बता दें कि सिंधीबन परिसर के एनआईटी मैदान में एक सभागृह की इमारत है। बरसों से खाली पड़ी इस इमारत में यतीमखाना चलाया जा रहा है। शिक्षक नासीर रजा ने बताया कि यहां 40 बच्चे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल तथा महाराष्ट्र के बच्चों का समावेश है। गरीबी के चलते बच्चों को शिक्षा-दीक्षा दे सकें, ऐसे हालात नहीं है। इसलिए परिजनों ने स्वच्छा से यतीमखाने में दाखिल किया है।
चंदे पर चलता है खर्च
यतीमखाना पूरी तरह समाज की आर्थिक सहायता से चलता है। यतीमखाने के जिम्मेदार समाज के दानदाताओं से चंदा इकट्ठा करते हैं। उसी पर बच्चों के रहने, खान-पान तथा स्कूल का खर्च चलाया जाता है। यहां रहकर बच्चों को शिक्षा देने से निश्चित ही उनका भविष्य उज्ज्वल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता ।
पानी की समस्या
पानी के लिए बोरवेल है, लेकिन पानी नहीं आता। परिसर के लोग अपने घरों से यतीमखान में पानी की पहुंचाते हैं। कम पड़ने पर टैंकर से पानी खरीदना पड़ता है।
Created On :   22 July 2019 7:48 AM GMT