अगले चुनावों के लिए सबक, कार्यकर्ताओं का असंतोष नजरअंदाज करना भारी पड़ेगा

lesson for the next elections, it will be heavy to ignore the dissatisfaction of the workers
अगले चुनावों के लिए सबक, कार्यकर्ताओं का असंतोष नजरअंदाज करना भारी पड़ेगा
बाजार समिति चुनाव अगले चुनावों के लिए सबक, कार्यकर्ताओं का असंतोष नजरअंदाज करना भारी पड़ेगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर. कृषि उत्पन्न बाजार समिति के चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। जिला ग्रामीण की राजनीति में दबदबा रखने वाले पूर्व मंत्री सुनील केदार व विधायक आशीष जैस्वाल को झटका लगा है। दोनों के समर्थक उम्मीदवार पराजित हुए हैं। कांग्रेस में लंबे समय तक निलंबित रहे उदयसिंह यादव ने चौंका दिया है। रामटेक बाजार समिति के चुनाव परिणाम ने यह भी सबक दिया है कि चुनाव के समय किए जाने वाला तत्कालिक गठबंधन स्वीकार नहीं किया जाएगा। कार्यकर्ताओं के असंतोष को नजरअंदाज करना वरिष्ठ नेताओं को भारी पड़ेगा।

और जगह ऐसी स्थिति

पारशिवनी कृउबास में किसान सहकारी पैनल के 18 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। इससे पहले 4 उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे। सभी प्रत्याशी केदार गुट के बताए जा रहे हैं। पारशिवनी बाजार समिति में एक बार फिर पूर्वमंत्री व विधायक सुनील केदार का दबदबा दिखाई दिया। 

वहीं मांढल बाजार समिति में विधायक राजू पारवे के सहकार पैनल के उम्मीदवार ने 18 में से 17 जगहों पर जीत हासिल की। भाजपा को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा।

सावनेर कृउबास समिति में केदार समर्थकों के विरोध में किसी ने नामांकन नहीं किए जाने से सभी प्रत्याशी चुनाव से पहले ही निर्विरोध विजयी घोषित किए गए थे। इस बार चुनाव में कई राजनीतिक समीकरण बदले। महाविकास आघाड़ी में फूट के अलावा भाजपा-शिवसेना (शिंदे) गुट भी कमजोर नजर आया।

राजनीतिक दबदबे में सेंध : गौरतलब है कि पूर्व मंत्री सुनील केदार का ग्रामीण राजनीति में दबदबा है। जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस की जीत को उनके नेतृत्व का परिणाम माना जाता है। रामटेक क्षेत्र में विविध चुनावों में कांग्रेस की जीत केदार के समर्थन पर निर्भर रहती है। जिला परिषद, पंचायत समिति, नगर परिषद के चुनावों में यह तक कहा जाता है कि केदार का समर्थन ही चुनाव परिणाम तय करेगा। विधायक अाशीष जैस्वाल के मामले में भी लगभग उसी तरह की चर्चा रहती है। 2019 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव निर्दलीय जीता। इससे पहले विविध चुनावों में जैस्वाल व केदार का छिपा हुआ राजनीतिक गठबंधन असर दिखाता रहा है। स्थिति यह है कि इन दोनों नेताओं को उनकी ही पार्टी के अन्य नेता असंतोष की स्थिति में भी चुनौती देने का प्रयास नहीं कर पाते हैं। कांग्रेस में केदार गुट के सामने मुकुल वासनिक, नाना पटोले, राजेंद्र मुलक के समर्थक कार्यकर्ता भी हाशिये पर लगते नजर आते हैं। जैस्वाल रामटेक क्षेत्र के लिए शिवसेना की पहचान बने हैं। फिलहाल वे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थक हैं। विविध प्रयासों के बाद भी दोनों नेता रामटेक बाजार समिति के चुनाव में सफल नहीं हो पाए हैं।

चुनाव में उदयसिंह यादव ने चौंकाया है। उनके भाई रणवीर यादव सहित उनके समर्थकों ने चुनाव जीता है। गजू के नाम से चर्चित यादव पिछले विधानसभा चुनाव में रामटेक से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। बाद में कांग्रेस की राजनीति में हासिए में जाने लगे। जिला परिषद सदस्य दूधराम सवालाखे से विवाद के बाद लंबे समय तक यादव कांग्रेस में निलंबित रहे। हालांकि यादव समर्थक कहते रहे कि केदार के विरोध के कारण यादव को राजनीतिक तौर पर हाशिये पर जाना पड़ रहा है, लेकिन इस चुनाव में यादव ने कांग्रेस के एक गुट के साथ भाजपा का गठबंधन कराया। पूर्व विधायक मलिकार्जुन रेड्डी व अन्य मिलकर शेतकरी सहकार पैनल बनाकर सभी सीटों पर केदार-जैस्वाल समर्थकों काे पराजित कर दिया।

बताया जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद वर्चस्व की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है। केदार व जैस्वाल अपना दबदबा कायम रखने का प्रयास करेंगे। पदाधिकारी चुनाव में कई चौंकाने वाले निर्णय सामने आ सकते हैं। उधर, सहकार पैनल में सचिन किरपान का प्रभाव रहना तय है। सेवा सोसाइटियों के पुनर्जीवन में किरपान का योगदान रहा है। किरपान, केदार समर्थक हैं।

Created On :   30 April 2023 6:57 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story