स्याही फेंकने की धमकी के बाद कोरेगांव- भीमा नहीं गए मंत्री पाटील
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्याही फेंकने की धमकी मिलने के चलते प्रदेश के उच्च व तकनीकी शिक्षा तथा पुणे के पालक मंत्री चंद्रकांत पाटील रविवार को कोरेगांव-भीमा में विजय स्तंभ पर अभिवादन के लिए नहीं गए। पाटील ने अपने घर पर ही भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा को नमन किया। कोरेगांव-भीमा लड़ाई की 205 वीं वर्षगांठ के अवसर पर हजारों लोगों ने आकर विजय स्तंभ पर अभिवादन किया। कोरेगांव-भीमा पुणे के शिरूर तहसील में स्थित हैं। लेकिन पुणे जिले के पालक मंत्री होने के बावजूद पाटील ने कोरेगांव-भीमा में जाना टाल दिया। सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में पाटील ने कहा कि मुझे दोबारा स्याही फेंकने की धमकी मिली है। मैं तो आंबेडकर के विचारों के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हूं। मैं स्याही से क्या गोली भी छाती पर खाने के लिए तैयार हूं। मगर कोरेगांव-भीमा में हजारों- लाखों लोग अभिवादन के लिए आते हैं। कुछ लोग चाहते हैं कि कोरेगांव-भीमा में कोई अभ्रिय घटना और दंगे हो। लेकिन मेरे लिए लोगों की सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। मैंने अप्रिय घटना को टालने की दृष्टि से कोरेगांव-भीमा में नहीं जाने का फैसला लिया है। मैं किसी से मनसूबे को कामयाब नहीं होने दूंगा। मैंने अपने घर पर आंबेडकर की प्रतिमा पर नमन किया है। पाटील ने कहा कि मैंने बाबासाहेब आंबेडकर के भीख मांगकर स्कूल खोलने वाले बयान को लेकर माफी मांग ली थी। फिर भी मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। उल्लेखनीय है कि बीते 9 दिसंबर को पाटील ने औरंगाबाद के एक कार्यक्रम में कहा था कि देश में महात्मा ज्योतिबा फुले, बाबासाहेब आंबेडकर और कर्मवीर भाऊराव पाटील ने भीख मांग कर स्कूल शुरू किया था। इस बयान से नाराज लोगों ने पुणे में पाटील के चेहरे पर स्याही फेंक दी थी। जिसके कुछ दिन बाद पाटील पुणे में फेस शील्ड लगाकर एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। दूसरी ओर केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले, वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर, राकांपा के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उपनेता सुभाष अंधारे सहित कई नेता और विभिन्न दलों के पदाधिकारियों ने कोरेगांव-भीमा में विजय स्तंभ पर अभिवादन किया।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अथवा पालक मंत्री पाटील के कोरेगांव-भीमा में न आने के सवाल पर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता आंबेडकर ने कहा कि यहां आने के बारे में फैसला लेने के लिए सभी लोगों स्वतंत्र हैं। इसलिए मैं किसी के नहीं आने के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। हालांकि राकांपा और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के नेताओं ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के कोरेगांव-भीमा नहीं पहुंचने पर आलोचना की है। 1818 में कोरेगांव भीमा में पेशवाओं के खिलाफ हुई लड़ाई में ब्रिटिश सेना में अधिकांश दलित महार समुदाय के सैनिक शामिल थे। जिसके बाद अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवाओं के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों की याद में स्मारक बनावाया था। हजारों अनुयायी इस लड़ाई के वर्षगांठ को हर साल 1 जनवरी को शौर्य दिवस के रूप में मनाते हैं। साल 2018 में कोरेगांव भीमा के गांव के पास हिंसा हो गई थी। जिसके से शौर्य दिवस पर कोरेगांव भीमा में पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहती है।
Created On :   1 Jan 2023 8:45 PM IST