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बुद्धि ही है, जो जीव के मन को नियंत्रित कर सकती है - प्रेमधन लालनजी महाराज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रभु श्रीरामचंद्र की कथा को श्रवण करने के लिए ईश्वर ही जीव को चुनते हैं। गोस्वामी तुलसीदास को उनकी धर्मपत्नी ने ईश्वर में आसक्ति व भक्ति की प्रेरणा दी। उक्त उद्गार श्रीराधा कृपा परिवार व लोया परिवार की ओर से आयोजित श्री रामकथा में श्रीधाम वृंदावन निवासी पंडित प्रेमधन लालनजी महाराज ने व्यक्त किए। महाराज ने आगे कहा कि जीव को हमेशा अपनी बुद्धि मन के ऊपर रखना चाहिए। मन का क्या है, वह तो यहां वहां भटकता रहता है। बुद्धि ही है, जो जीव के मन को नियंत्रित कर सकती है। जब मन व बुद्धि में समन्वय स्थापित हो जाए तो ईश्वर के दर्शन सुलभ हो जाते हैं। ईश्वर को पाने के लिए उनके समीप जाने के लिए मार्गदर्शन देने का काम सद्गुरु करते हैं। सद्गुरु अपने शिष्यों को कुएं के स्वच्छ जल की भांति रोज नवीनतम ज्ञान देते हैं।
आध्यात्म और भक्ति की उम्र या सीमा नहीं होती। किसी भी उम्र का जीव कब परमात्मा को पा ले, यह कोई नहीं कह सकता। यदि बचपन और यौवन आध्यात्म की ओर बढ़ेगा, तो बुढ़ापा अपने आप सुधर जाएगा। कथा की सार्थकता तभी होती है, जब कथा को सुन, मनन कर उसे अपने जीवन में उतारा जाए। कहा गया है कि जिस तरह गाय भोजन खाने के बाद जुगाली करती है, उसी प्रकार कथा का श्रवण करते रहो। उन्होंने कहा कि वाल्मिकी मुनि ने मरा-मरा कहते:कहते श्री राम को पा लिया था, ब्रम्ह से संबंध बना लिया था। कलियुग का एक ही धर्म बताया गया है और वह है प्रभु का नाम। भगवान राम से बढ़कर है उनका नाम। श्री राम कथा का आयोजन चित्रकूट धाम, रानी लक्ष्मी सभागृह, लक्ष्मी नगर में 12 जनवरी तक होगा। कथा का समय दोपहर 4 बजे से 7.30 तक है। भक्तों से उपस्थिति की अपील की गई है।
शिव-पार्वती विवाह प्रसंग
रविवार को महाराज ने शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का वृतांत सुनाया। इस अवसर पर सजीव झांकी प्रस्तुत की गई। व्यासपीठ का पूजन यजमान लोया परिवार, श्री राधा कृपा परिवार, रमेश चांडक, सी.ए अशोक चांडक, चंद्रकिशोर चांडक, गोविंदलाल अग्रवाल, गोविंद सारडा, ब्रिजकिशोर बागड़ी, विनय मेहता, दिनेश खंडेलवाल, सीए जुल्लूभाई कमाल, दिलीप पचेरीवाला, हरीश मंत्री, राजेंद्र पुरोहित ने किया।
Created On :   6 Jan 2020 11:25 AM IST