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हाईकोर्ट के आदेश - लक्षण वाले मरीजों के प्रति बरतें गंभीरता
डिजिटल डेस्क, नागपुर । बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने कोरोना की समस्या को लेकर विविध आदेश जारी किए। सू-मोटो जनहित याचिका और सुभाष झनवार की जनहित याचिका पर हुई संयुक्त सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जल्द से जल्द शहर के मेडिकल अस्पताल और यवतमाल, गड़चिरोली, अकोला और चंद्रपुर के मेडिकल अस्पतालों में भी वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी तैयार करने के आदेश दिए हैं। साथ ही मौजूदा टेस्टिंग लैब में पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग किट उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं। सुनवाई में याचिकाकर्ता सुभाष झनवार के अधिवक्ता राम हेडा ने कोर्ट को बताया कि हिंदुस्तान कॉलोनी की एक महिला जब सर्दी-खांसी और कोरोना के अन्य लक्षण देखते हुए मेडिकल अस्पताल पहुंची, तो उसकी जांच से इनकार कर दिया गया, क्योंकि वह विदेश से नहीं लौटी है। इस पर हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को ऐसे मरीजों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए।
जेल में भी बनाएं आइसोलेशन वार्ड
सुनवाई में न्यायालयीन मित्र एड. अनूप गिल्डा ने मुद्दा उठाया कि नागपुर सेंट्रल जेल में कोई आइसोलेशन वार्ड नहीं है। इसी तरह घरेलू उड़ान से आ रहे यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग भी नहीं की जा रही। जिसके बाद हाईकोर्ट ने एक सप्ताह में विदर्भ की सभी जेलों में आइसोलेशन वार्ड और एयरपोर्ट पर सभी यात्रियों के थर्मल स्क्रीनिंग के आदेश दिए हैं। फिलहाल जांच के सीमित प्रबंधों को देखते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को मापदंडों की पूर्ति करने वाले निजी अस्पतालों में भी कोरोना टेस्टिंग की अनुमति देने पर फैसला लेने को कहा है। इधर प्रशासन द्वारा लागू "सोशल डिस्टेंसिंग" की सराहना करते हुए कोरोना से लड़ाई में इसे अहम बताया। कोर्ट ने राहत कार्य में जुटे डॉक्टर और अन्य स्टाफ की सराहना की। इन्हें जल्द से जल्द सेफ्टी किट भी फौरन उपलब्ध कराने के आदेश हाईकोर्ट ने जारी किए हैं। मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता जुगलकिशोर गिल्डा, एड. भानुदास कुलकर्णी ने कोर्ट का सहयोग किया। एड. दीपक ठाकरे ने सरकार, एड. सुधीर पुराणिक ने मनपा, एड. उल्हास औरंगाबादकर ने केंद्र सरकार और एड. पी.डी.शर्मा ने मध्यस्थी याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखा।
Created On :   24 March 2020 9:04 AM GMT