शव वाहन की सुविधा में सरकारी सिस्टम फेल, काम आ रहे समाजसेवी

Government system fails in the facility of carcass, social workers are working
शव वाहन की सुविधा में सरकारी सिस्टम फेल, काम आ रहे समाजसेवी
जिला अस्पताल में नहीं शव वाहन शव वाहन की सुविधा में सरकारी सिस्टम फेल, काम आ रहे समाजसेवी

डिजिटल डेस्क,शहडोल। मौत के बाद इंसानी शव की बेकद्री रोकने के साथ ही शव वाहन इंतजाम को लेकर संभागीय मुख्यालय शहडोल में स्थिति यह है कि जिला अस्पताल में किसी की मौत हो जाए तो सम्मान के साथ शव को घर तक पहुंचाने में सरकारी सिस्टम फेल है। यहां इस मामले में कुछ समाजसेवी ही काम आ रहे हैं। मुरैना जिले में 10 जुलाई को इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर जिसमें दो साल के बच्चे का शव गोद में लेकर बैठे भाई और शव वाहन के लिए दो घंटे तक भटकते पिता का मामला सामने आने के बाद बड़ा सवाल यही है कि स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद शव वाहन की व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार आखिर क्यों बेपरवाह हैं? वहीं जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार बताते हैं कि शव वाहन के लिए शासन से किसी प्रकार का प्रावधान नहीं है। 

जिला अस्पताल में लंबे समय से सुविधा नहीं

शहडोल जिला अस्पताल में शव वाहन की सुविधा नहीं है। यहां इलाज के लिए आने वाले ज्यादातर लोग गरीब परिवार से होते हैं, ऐसे में शव वाहन की जरुरत पड़ी तो उनके सामने भटकने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं होता है। बताया जा रहा है कुछ साल पहले एक शव वाहन की व्यवस्था थी, जिसे बंद कर दिया गया। 2011 तक एक जननी एक्सप्रेस को शव वाहन के रुप में चिन्हित किया गया था, बाद में यह सुविधा भी बंद कर दी गई। 

बड़ा सवाल: कहां जा रही कंपनियों की सीएसआर की राशि

शहडोल में एसईसीएल के साथ ही सीबीएम प्रोजेक्ट व दूसरी बड़ी इकाइयां हैं। इन कंपनियों द्वारा हर साल कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिब्लिटी (सीएसआर) के नाम पर जरुरतमंदों की मदद के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि किसी भी कंपनी ने अब तक शव वाहन चलाने की बात नहीं की है। लोग वाहन दान करने के लिए जारी हो जाते हैं, लेकिन स्वयं चलाने से बच रहे हैं। 

हर माह 20 से ज्यादा बाद मदद, नहीं लेते कोई शुल्क

समाजसेवी रंजीत बसाक बताते हैं कि एक माह में 20 से ज्यादा बार ऐसे मौके आते हैं जब लोगों को शव वाहन की जरुरत पड़ती है। शहर से 25 किलोमीटर दूर गांव तक शव वाहन भेजते हैं, इसके लिए किसी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेते हैं। उन्होने बताया कि इस मामले में प्रशासन से कभी भी किसी प्रकार की मदद नहीं मिलती है।
 

Created On :   12 July 2022 11:05 AM GMT

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