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टीपेश्वर के बाघ को वापस लाने वन विभाग ने बनाई समिति
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कॉलर आईडी लगा एक बाघ 1800 किमी सफर कर अब महीनों से एक ही जगह पर ठहर गया है। ऐसे में बाघ को वापस लाने की कवायद वन विभाग की ओर से की जा रही है। इसके लिए हाल ही में नागपुर में एक समिति बनाई गई है। यह समिति वर्तमान स्थिति में बाघ जहां है, वहां वह रह सकता है, या नहीं इसपर विचार करेगी। यदि बाघ के लिए यहां का परिसर अनुकूल नहीं है, तो उसे वापस ऐसी जगह पर लाया जा सकता है, जहां वह पूरी तरह से सुरक्षित रहे।
टीपेश्वर अभायरण्य में टी1सी1 नामक बाघ को वन विभाग ने 27 फरवरी 2019 में कॉलर आईडी लगाई थी। कॉलर आईडी लगाने का मुख्य उद्देश्य बाघ की गतिविधियों को जानना था। इस बाघ ने महज 6 महीने में एक हजार किमी से ज्यादा का सफर कर लिया था। इससे हर किसी का इसकी ओर ध्यान चला गया था। वन विभाग इस पर लगातार नजर रखे था। कई खेत, वन विभाग से सफर करते हुए बाघ लगातार सफर करता रहा। साल के आखिर तक कुल 1800 किमी का सफर कर टीपेश्वर अभायरण्य का यह बाघ बुलढाणा के ज्ञानगंगा अभायरण्य में पहुंच गया था। अब यह बाघ इसी अभारण्य में है। हालांकि यह बाघ जहां रुका है, वह बाघों की रहने की जगह घोषित नहीं है। ऐसे में बाघ का यहा ठहर जाना उसके लिए अनुकूल परिस्थिति के संकेत हैं।
जानकारों की मानें तो बाघ ने यहां अपना क्षेत्र बना लिया है। वन विभाग ने नागपुर वन मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से एक ऐसी समिति का गठन किया है, जो बाघ के परिसर का अभ्यास कर इस बात को जानेगी कि परिसर बाघ के लिए कैसा है। यदि यह परिसर बाघ के लिए अनुकूल रहा था, तो इसकी रिपोर्ट उच्च स्तर पर पहुंचाकर इस क्षेत्र को बाघों के रहने लायक घोषित कर दिया जाएगा। यदि ऐसा नहीं होता है और बाघ जहां रहता है, उसके आस-पास इंसानों की बस्ती आदि रहने पर बाघ को यहां से हटाया जाएगा। ताकि भविष्य में किसी भी तरह की कोई अनहोनी न हो सके।
Created On :   2 March 2020 12:19 PM IST