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देश का पहला अत्याधुनिक राष्ट्रीय लॉ इंस्टीट्यूट नागपुर में, रंजन गोगोई ने किया भूमिपूजन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में एक प्रतिबिंब केंद्र बनने जा रहा है। बड़ा और सभी सुविधाओं से लैस केंद्र बनेगा। उसकी उत्सुक्ता है और आने वाले समय में यहां से निकलने वाले विद्यार्थी देश की न्याय व्यवस्था संभालेंगे, जिससे यह समाज का प्रतिबिंब बनेगा। यह कैंपस केवल ईंट पत्थर और पानी से अत्याधुनिक नहीं होगा, बल्कि विद्यार्थियों और शिक्षकों की गुणवत्ता से अत्याधुनिक होगा। यह विकसित गुणवत्ता का इंस्टीट्यूट होगा। यह बात रंजन गाेगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने वारंगा में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के भूमिपूजन कार्यक्रम में कही।
सभी सुविधाओं से परिपूर्ण
नागपुर में राष्ट्रीय स्तर की देश की पहली अत्याधुनिक और सभी सुविधाओं से लैस यूनिवर्सिटी बनने जा रही है। यहां देश के हर हिस्से से कुशल और अनुभवी शिक्षक और फैकल्टी रहेंगे। यहां पर विद्यार्थियों के लिए हर सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे वे विश्वविद्यालय से निकलने के बाद एक कुशल योग्य और बौद्धिक रूप से परिपूर्ण होंगे। यह कैंपस साढ़े तीन हजार विद्यार्थियों की क्षमता का होगा। वारंगा में दोपहर ढाई बजे मुख्य न्यायाधीश रंजन गाेगोई ने यूनिवर्सिटी के भूमिपूजन किया। इस दौरान जस्टिस शरद बोबड़े जज सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया एवं विश्वविद्यालय कुलाधिपति, जस्टिस एन. वी. रमणा, जज सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, जस्टिस बी. आर. गवई, जज सुप्रीम कोर्ट, जस्टिस प्रदीप नंदराजोग चीफ जस्टिस ऑफ हाईकोर्ट बांबे एवं प्रो चांसलर ऑफ यूनिवर्सिटी, सुधीर मुनगंटीवार वन एवं वित्त मंत्री, विनोद तावड़े मिनिस्टर ऑफ हायर एंड टेक्निकल एजुकेशन, ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले और डाॅ. विजेंद्र कुमार वाइस चांसलर उपस्थित थे।
भविष्य में होगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस शरद बोबड़े ने महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और बाबा साहब आंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे देश में कई ऐसे नेता निकलेे हैं, जिनका संबंध लॉ से रहा है। इस विश्वविद्यालय से यह तो निश्चित है कि हमें और भी ज्यादा बुद्धिमता और कुशल नेता मिलेंगे और देश के हर हिस्से में जाएंगे। साथ ही सरकारी अधिकारियों के लिए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी होगा। केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि यह एक ऐसा अनुसंधान केंद्र होगा, जहां पर कानून, संविधान और अन्य विषयों पर अनुभवी शिक्षकों के मार्गदर्शन में शोध और अध्ययन होगा। भविष्य में यह राष्ट्रीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बनेगा।
यहां से आई संकल्पना
इस तरह के विश्वविद्यालय की संकल्पना सबसे पहले जस्टिस शिरपुरकर ने दी थी। इस विषय पर उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के साथ बातचीत की थी। जस्टिस शिरपुरकर ने एक ऐसे विश्वविद्यालय की संकल्पना की थी, जिसमें देश के हर हिस्से के सबसे अनुभवी शिक्षक एक जगह हों और पूरे देश के विद्यार्थी उनके अनुभवों के आधार पर शिक्षा ग्रहण करें और पढ़ाई पूरी करके पूरी तरह परिपक्व होकर निकलें। पहले लॉ कॉलेज में संस्कृत यूनिवर्सिटी के सहयोग से न्यायशास्त्र कोर्स की शुरुआत की जा रही थी, लेकिन बाद में इस विश्वविद्यालय की संकल्पना दी गई।
6 एकड़ में वॉटर बॉडी होगी
यह विश्वविद्यालय 60 एकड़ में बनेगा। इसमें 6 एकड़ वॉटर बॉडी होगी। इसके साथ ही यह पहला विश्वविद्यालय है, जो नेट जीरो कैंपस होगा। इसमंे पानी और बिजली का अपव्यय न के बराबर होगा। कैंपस से निकलने वाले पानी को ट्रीट कर 6 एकड़ के वॉटर बॉडी हिस्से में डाला जाएगा। इसके साथ ही बिजली उत्पादन के लिए 5 मेगावाॅट के सोलर पैनल लगाए जाएंगे। पहले भी कई विश्वविद्यालय हैं, जिनमें नेट जीरो एनर्जी यानि पूरी तरह सोलर ऊर्जा का उपयोग हाे रहा है, लेकिन वॉटर नेट जीरो कैंपस देश में कही नहीं है। इसके इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए "लिमिटेड आर्किटेक्चरल डिजाइन काम्पिटिशन" 2018 में आयोजित किया गया था।
तीन फेज में होगा काम
महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी कैंपस की डिजाइन परमजीत सिंह आहूजा की है। वे यूनिवर्सिटी के कंसल्टेंट आर्किटेक्ट है। इन्होंने एक संरचना मंे होने वाली सभी आवश्यक जरूरतों के आधार पर इसकी सरंचना की है। यह ग्रीन कैंपस होगा। यह नागपुर शहर से 23 किमी दूर है। यहां पर विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल, डाइनिंग फैसिलिटी, बास्केट बॉल कोर्ट, टेबल टेनिस, फुटबॉल, इनडोर गेम कोर्ट, कवेंशन सेंटर, नेशनल लेवल पूल, इनडोर पूल और 6 एकड़ में बने वॉटर बाॅडी हिस्से में बोटिंग की भी सुविधा होगी। इसका फेज वन का कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा होगा। इसका कार्य तीन फेज में पूरा होगा।
Created On :   19 Aug 2019 7:36 AM GMT