बैल को रस्सी से खींचता है दिव्यांग पिता, बेटा चलाता था हल , भास्कर ने किया खुलासा तब मिली सरकारी मदद

Father pulls the bull from the rope son run plow dainik bhaskar
बैल को रस्सी से खींचता है दिव्यांग पिता, बेटा चलाता था हल , भास्कर ने किया खुलासा तब मिली सरकारी मदद
बैल को रस्सी से खींचता है दिव्यांग पिता, बेटा चलाता था हल , भास्कर ने किया खुलासा तब मिली सरकारी मदद

डिजिटल डेस्क, शहडोल। एक बैल बूढ़ा हो चुका है, जिसकी एक आंख खराब है। दूसरा नया है जो चल नहीं पाता। खेतों की जुताई करने के लिए दिव्यांग वृद्ध रस्सी से बांध कर उसे खींचता है और उसका बेटा हल चलाता है। यह हकीकत है उस गरीब किसान की जिसे आज तक किसी प्रकार का शासकीय मदद नहीं मिल पाई। जिले के ग्राम पंचायत जोधपुर के जमुनिहा टोला निवासी 65 वर्षीय चैतू कोल उन किसानों में शुमार है, जिसे जीविकोपार्जन करने के लिए हालातों से लड़ना पड़ रहा है। चैतू कोल एक पैर से दिव्यांग है। उसका बेटा समयलाल खेती किसानी में पिता की मदद करता है। खेती करने के लिए हल चलाना जरूरी है लेकिन एक बैल खरीदनें के लिए उसके पास पैसे नहीं है। एक नया बैल लिया, परंतु वो चलने लायक नहीं है। इसलिए रस्सी से उसे खींचना पड़ता है।

तब टूटी प्रशासन की नींद

इस किसान का यह दर्द जब दैनिक भास्कर ने समाचार के रूप में प्रकाशित किया तब कहीं जाकर प्रशासन जागा और उसे एक बैल प्रदान किया गया ।चैतू कोल ने बताया कि उसे पेंशन भी नहीं मिलती। पंचायत में कई बार आवेदन दिया, कहा जाता है कि आवेदन ऊपर भेज दिए हैं। लेकिन मदद आज तक नहीं मिली। किसान परिवार कल्याण संगठन के जिलाध्यक्ष अरुण तिवारी ने प्रशासन से आदिवासी किसान के मदद की मांग की है।

ऐसे मिली मदद 

आदिवासी गरीब किसान चैतू कोल अब बेहतर ढंग से खेती कर सकेगा और हर महीने पेंशन की रकम से परिवार का पालन पोषण कर पाएगा। समीपी ग्राम जोधपुर के जमुनिहा टोला निवासी 65 वर्षीय चैतू कोल को कलेक्टर ललित दाहिमा द्वारा  एक बैल प्रदाय किया गया। साथ ही उसे हर महीने 600 रुपये की पेंशन स्वीकृत कराई गई, जो उसे अगस्त महीने से मिलना शुरु होगा। इसके अलावा आदिवासी विकास विभाग से तुरंत पांच हजार की आर्थिक मदद की मंजूर किया, जो उसके खाते में जमा कराया जाएगा। गौरतलब है कि दैनिक भास्कर ने रविवार के अंक में गरीब किसान की व्यथा को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया था। चैतू कोल आदिवासी, वृद्ध व गरीब होने के बाद भी शासकीय मदद से वंचित था। खेती करने के लिए उसके पास बैल तो है, लेकिन एक बूढ़ा है जबकि दूसरा नया होने के कारण हल चलाने लायक नहीं है। 
 

Created On :   8 July 2019 2:16 PM IST

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