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महाराजबाग के हिरण को लगेगी प्लास्टिक की सींग, कर्मचारियों पर करता है हमला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराजबाग में रखे काले हिरण की सींगे दिन ब दिन तेज होती जा रही है। कर्मचारियों से लेकर अन्य हिरणों को वह घायल कर सकता है। ऐसे में हिरण के चारों सींगों पर प्लास्टिक की पाइप लगाई जाएगी। बता दें कि वर्षों पहले इसे प्लास्टिक की सींग लगाई भी गई थी। लेकिन वर्तमान स्थिति में एक सींग निकल गई है, वहीं दूसरे सींग की प्लास्टिक सींग निकलने की हालत में है। ऐसे में फिर से इसे लगाने की नौबत आन पड़ी है।
महाराजबाग में जू केवल नागपुर शहर के लिए ही नहीं बल्कि पूरे जिले के लिए आकर्षण का केन्द्र है। यहां हर दिन स्कूली बच्चों से लेकर बड़े वन्यजीवों को देखने के लिए आते हैंं। बाघ, भालू, तेदुए के साथ यहां शाकाहारी वन्यजीवों में सांभर, हिरण व काले हिरण भी रखे गये हैं। हिरण व काले हिरण का बाड़ा अलग-अलग है। काले हिरण के बाडे में दो ही हिरण रखे हैं। जिसमें एक नर व एक मादा है। नर हिरण के सिर पर चार सींगे हैं। जो काफी प्वाइंटेड है। सप्ताह में एक दिन बाड़े की सफाई से लेकर प्रतिदिन खाना डालने के लिए कर्मचारियों को बाडे के भीतर जाना पड़ता है। लेकिन वयस्क काले हिरण द्वारा कर्मचारियों पर कई बार हमला कर टक्कर मारी जाती है।
सींगे बहुत ज्यादा नुकीली होने से कई बार कर्मचारी मामूली रूप से घायल भी हुए हैं। यही नहीं अन्य हिरण को भी इस हिरण के कारण जख्मी होना पड़ता है। ऐसे में 3 साल पहले प्लास्टिक की दो सींगे प्रशासन ने बनाई थी। जिसे आगे से सामान्य रखा गया था। इन सींगों को लगाने के बाद हिरण किसी से टकराता भी तो ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ता था। लेकिन गत कुछ महीनों से सींग पर लगी प्लास्टिक की सींगों ने कुदरत के सामने जवाब दे दिया। ओरिजनल सींगे मोटी होने से यह सींगे असली सींगों से बाहर निकलने लगे हैं। एक सींग तो पूरी तरह से बाहर भी निकल गया है। जिससे कभी-भी यह हिरण किसी को भी घायल कर सकता है। ऐसे में प्रशासन फिर से इनें नई सींगे लगाने के बारे में सोच रही है। सबकुछ ठीक रहने पर प्लास्टिक सींगे लगाई जाएगी।
लगातार बढ़ रही हिरणों की संख्या
महाराजबाग में लगातार हिरणों की संख्या बढ़ती जा रही है। कुछ समय पहले तक हिरणों की संख्या बढ़ने के कारण इन्हें मेलघाट के जंगलों में भेजा जानेवाला था। लेकिन दस्तावेज प्रक्रीयां पूरी नहीं होने से यह काम टल गया था। प्रति साल यहां हिरणों की संख्या बढ़ती जा रही है। आनेवाले समय में गोरेवाड़ा के जंगल सफारी में इन्हें छोड़ने के बारे में विचार चल रहा है।
Created On :   21 Jan 2020 3:00 PM IST