वॉट्सअप के इस्तेमाल से होगी फसल की जांच, कृषि विभाग कर रहा तैयारी

Crop will be tested using WhatsApp, agriculture Department preparing Plan
वॉट्सअप के इस्तेमाल से होगी फसल की जांच, कृषि विभाग कर रहा तैयारी
वॉट्सअप के इस्तेमाल से होगी फसल की जांच, कृषि विभाग कर रहा तैयारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आनेवाले कुछ समय में फसल की जांच ऑन स्पॉट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। केवल वॉट्सअप फोटो के माध्यम से विशेषज्ञ किसान को फसलों को लेकर राय दे सकेंगे। कृषि विभाग इस तरह का सॉफ्टवेयर डेवलप करने में लगा है। यह योजना मुंबई भेजी जानेवाली है। जिसके बाद इसे सहमती मिलते ही किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा। भारत कृषि प्रधान देश हैं। यहां हर राज्य में बड़ी संख्या में खेती की जाती है। जिले में भी बड़े पैमाने पर खेती होती है। जिसमें धान से लेकर संतरा उत्पादन किया जाता हैं। कई बार अज्ञानता के कारण व कुछ चालाक दुकानदारों के कारण उनकी फसल बर्बाद होती है। जिसके कारण कई किसान आत्महत्या करने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं। कृषि विभाग ने हाल ही में एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने की तैयारी दिखाई है। जिसमें किसानों को मात्र फोटो की साहायता से पौधों में खत से लेकर किन दवाईयों का छिड़काव के बारे में जानकारी दी जानेवाली है। विभाग प्रमुख अभियांत्रिकी विभाग कृषि महाविद्यालय डॉ. अशोक मस्के के मुताबिक हाल ही में किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए योजना शुरू करने का विचार है, जिसका प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेजा है। हालांकि अभी तक इस पर सहमति नहीं मिली है। 
                                   
संतरा व कपास के लिए करेंगे पहल 

जिले में कपास व संतरे की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ऐसे में इस उपक्रम का पहला लाभ कपास व संतरा खेती करनेवाले किसानों को मिल सकेगा। जिले में कपास की खेती की बात करें, तो 25 हजार हेक्टेयर कपास उगाया जाता है। वहीं विदर्भ में कुल सवा लाख हेक्टेयर पर प्रति वर्ष संतरे का उत्पादन होता है। जिसमें अंबिया और मृग बहार के संतरे रहते हैं। हर साल बड़े पैमाने उत्पादन के कारण इसे भारत के हर राज्य में अच्छी मांग है। हालांकि अज्ञानता के कारण संतरे का दर्जा किसान हर बार अच्छा नहीं ले सकते हैं। ऐसे में उपरोक्त योजना का लाभ पहले कपास व संतरा किसानों को मिल सकेगा। इसके बाद अन्य फसल को भी इसमें शामिल किया जा सकेगा। 

दुकानदार नहीं कर सकेंगे धोखाधड़ी

किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत होने पर उनके द्वारा कृषि दुकानदारों के पास जाकर समस्या बताई जाती है। यह दुकानदार अपने फायदे के लिए किसानों को महंगी दवाईयां देते हैं। जिसका लाभ कुछ नहीं होता है। 

17 लाख का प्रस्ताव 

कृषि विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे इस प्रस्ताव की लागत राशि 17 लाख रुपए हैं। जिसे सहमति के लिए मुंबई के कृषी समिति को भेजा है। 


 

Created On :   11 March 2020 6:15 PM IST

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