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यवतमाल, अकोला, चंद्रपुर में भी होगी कोरोना जांच, बनेंगे लैब
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। मध्य भारत में कोरोना की जांच के लिए शहर के इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल और महाविद्यालय (मेयो) में ही एकमात्र केंद्र है, जहां वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी (वीआरडीएल) उपलब्ध है। विदर्भ के अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों का सारा भार मेयो अस्पताल पर है। दैनिक भास्कर इस विषय को प्रमुखता से उठा चुका है। बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में न्यायालयीन मित्र एड.अनूप गिल्डा ने यह मुद्दा उठाया।
एड.गिल्डा ने बताया कि नए वीआरडीएल और आइसोलेशन वार्ड बनाने में सरकार नाकाम हो रही है। इसके अलावा स्थानीय समाचार-पत्रों से ज्ञात हुआ है कि जिन मरीजों और संदिग्धों को डाॅक्टरों की निगरानी में रखा गया है, उनके लिए मूलभूत सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शहर के मेडिकल अस्पताल और यवतमाल, अकोला और चंद्रपुर के मेडिकल अस्पतालों में भी वायरल रिसर्च डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी तैयार करने के आदेश दिए हैं। मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करके 23 मार्च तक जवाब मांगा गया है।
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मरीजों-संदिग्धों को दें सुविधाएं
नागपुर समेत विदर्भ में बढ़ते कोरोना के प्रभाव से निपटने के लिए सरकार के प्रबंध नाकाफी है। सरकार न तो पर्याप्त आयसोलेशन वार्ड बना रही है, न ही निरीक्षण मंे रखे गए मरीजों और संदिग्धों को मूलभूत सुविधाएं दे पा रही है। निरीक्षण में रखे गए लोग इंटरनेट व अन्य सुविधाओं के अभाव में अपने दफ्तारों और समाज से पूरी तरह कट गए हैं। वहीं साफ-सफाई, प्रशिक्षित डॉक्टर स्टॉफ, सुरक्षा उपकरणों जैसी सुविधाएं भी काफी नजर नहीं आ रही है। स्थानीय समाचार-पत्रों मंे प्रकाशित इन सभी मुद्दों को रिकाॅर्ड पर लेते हुए हाईकोर्ट ने चिंता जताई कि ऐसी स्थिति होने पर मरीज और संदिग्ध सरकार से सहयोग नहीं करेंेगे। ऐसे में सरकार इन लोगों को इंटरनेट, स्वच्छता और अन्य जरूरी सुविधाएं दे। इनकी देखभाल में नियुक्त डॉक्टरों और अन्य स्टॉफ की सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम करें।
सरकारी विभागों में समन्वय की कमी
काेरोना से लड़ाई में जुटे विविध प्रशासनिक विभागों में समन्वय की कमी नजर आ रही है। यह भी सामने आया है कि विभाग प्रमुख अन्य विभागों पर जिम्मेदारियां धकेलते नजर आ रहे हैं। इस पर भी हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने कोरोना की रोकथाम में जुटे विभाग के प्रमुखों को आपस में मतभेद सुलझा कर 23 मार्च को कोर्ट में पक्ष रखने के आदेश दिए हैं।
और यह भी...मेयो से भागे मरीजों का मुद्दा उठा
मेयो अस्पताल में निरीक्षण में रखे गए 5 संदिग्ध मरीज 13 मार्च की रात को अस्पताल से भाग गए थे। सुविधाओं के अभाव की शिकायत करते हुए कुछ मरीज भी मेयो अस्पताल से भाग खड़े हुए थे । उनके लौटने पर पता चला कि कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ उन्हें रखा गया था। इसे मुद्दा बनाते हुए याचिकाकर्ता सुभाष झनवार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता ने मेयो अस्पताल में सुविधा और सुरक्षा की कमी पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। याचिका में प्रार्थना की गई है कि संदिग्ध मरीजों को कड़ी निगरानी में रखें। इसके साथ ही अस्पताल में सुविधाएं और सुरक्षा प्रबंध उपलब्ध कराने के आदेश जारी करें। प्रत्येक जिले में टास्क फोर्स का गठन करने की प्रार्थना भी हाईकोर्ट से की गई है। उक्त याचिका के साथ ही इस याचिका पर भी सुनवाई हो रही है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.राम हेडा ने पक्ष रखा।
Created On :   19 March 2020 10:59 AM IST