सिंचाई घोटाले की जांच के लिए हो न्यायिक आयोग का गठन, याचिका दायर

Constitution of judicial commission to investigate irrigation scam, petition filed
सिंचाई घोटाले की जांच के लिए हो न्यायिक आयोग का गठन, याचिका दायर
सिंचाई घोटाले की जांच के लिए हो न्यायिक आयोग का गठन, याचिका दायर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सिंचाई घोटाले का मुद्दा उठाने वाली जनमंच संस्था ने सरकारी जांच एजेंसियों पर पूरी तरह अविश्वास जताया है। जनमंच ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर घोटाले की जांच के लिए स्वतंत्र न्यायिक आयोग गठित करने की प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता के अनुसार प्रकरण की जांच कर रही एसीबी के शपथपत्र विरोधाभास से भरपूर और अविश्वसनीय हैं। सिंचाई घोटाले में अजित पवार मुख्य आरोपी हैं।  प्रदेश में मौजूदा समय में उभरे राजनीतिक समीकरणों में पवार की अहम भूमिका रही है। ऐसे में अब उनके उपमुख्यमंत्री बनने के बाद जांच एजेंसियों पर नियंत्रण से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में मामले की जांच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग द्वारा की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा कामकाज देख रहे हैं। 

इसलिए एसीबी से उठा विश्वास
सिंचाई घोटाले में एसीबी बार-बार अपनी भूमिका बदल रही है। 26 नवंबर 2018 को एसबी के तत्कालीन महासंचालक संजय बर्वे ने कोर्ट मंे शपथ-पत्र दायर कर, सिंचाई घोटाले में अजित पवार की लिप्तता होने का अंदेशा जताया था। इस पर हाईकोर्ट ने एसीबी को जांच जारी रखने के आदेश दिए थे। इसके एक वर्ष 27 नवंबर 2019 को एसीबी ने हाईकोर्ट में शपथ-पत्र प्रस्तुत किया और सिंचाई घोटाले के तहत 12 प्रकल्पों की जांच मंे अजित पवार को क्लीन चिट दे दी। मौजूदा महासंचालक परमबीर सिंह ने कहा कि अजित पवार इस प्रकरण में कोई लिप्तता सिद्ध नहीं हो सकी है। बर्वे ने जब पवार को लिप्त बताया, तब उनके पास कोई जांच रिपोर्ट या ठोस तथ्य नहीं थे। मामले ने तूल पकड़ा, तो एसीबी महासंचालक सिंह ने फिर अपनी भूमिका बदली। कोर्ट से माफी मांगते हुए शपथपत्र दायर किया और बर्वे पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगी। 

यह है मामला
याचिका में आरोप है कि कंपनी के निदेशकों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक संदीप बाजोरिया का समावेश है। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नजदीकियों के चलते कंपनी को दोनांे कांट्रैक्ट मिले हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, कांट्रैक्ट हथियाने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। एसीबी ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि संदीप बाजोरिया की कंस्ट्रक्शंस कंपनी के पास जिगांव प्रकल्प के काम का ठेका प्राप्त करने के लिए जरूरी पात्रता नहीं थी, इसके बाद भी निरीक्षण समिति ने उसे पात्र करार दिया, वही कंपनी डायरेक्टर सुमित बाजोरिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से अवैध तरीके से अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाया। 

Created On :   11 Jan 2020 3:45 PM IST

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