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आयकर अधिनियम में बदलाव, बेनामी संपत्ति के 10 साल तक के मांगे जाएंगे रिकॉर्ड
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर अधिनियम में कई बदलाव किए हैं। इसमें अब आयकर को लेकर फार्म भरते समय यदि परमानेंट एकाउंट नंबर का उल्लेख कर रहे हैं, तब भी आधार नंबर मेंशन करना जरूरी होगा। इसी तरह अब बेनामी संपत्ति के लिए 6 साल की जगह 10 साल तक का रिकॉर्ड रखना होगा। इस तरह के कई बदलाव आयकर विभाग अगले वित्तीय वर्ष से लागू करने वाला है।
नए वित्तीय वर्ष से लागू होगी नई व्यवस्था
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही जारी राजपत्र में इन संशोधनों का उल्लेख किया है। कई संशोधनों में पैन कार्ड की जगह पैन व आधार दोनों अनिवार्य किया है। पहले परमानेंट एकाउंट नंबर नहीं होने पर आधार नंबर से काम चल जाता था। अब परमानेंट एकाउंट नंबर होने पर भी आधार नंबर देना ही होगा। नई व्यवस्था अगले साल नए वित्तीय वर्ष से लागू होगी। आयकर सर्वे में मिली बेनामी संपत्ति के असेस्मेंट की सीमा 6 साल से बढ़ाकर दस साल कर दी थी। यानी सर्वे के बाद स्क्रूटनी के दौरान बेनामी संपत्ति या टैक्स चोरी के दस साल या उससे अधिक पुराने कर चोरी या बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिलते हैं, तो उसे भी कर चोरी शामिल किया जाएगा। छापामार टीमों के लिए नियम बनाया गया कि वे जहां छापा मारेंगे, वहां करदाता को परेशान नहीं करना है।
असेसमेंट के दौरान अनिवार्य दस्तावेज ऑनलाइन देने होंगे
आयकर विभाग में ई-असेसमेंट पहले ही पूरी तरह अनिवार्य कर दिया गया है। अब करदाता, वकील व सीए को आयकर दफ्तर के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे। अब तक मैन्युअली व ई-रिटर्न दोनों तरीके से काम हो रहा था। स्क्रूटनी में असेसमेंट के दौरान अनिवार्य दस्तावेज ऑनलाइन ही देने होंगे। यदि करदाता द्वारा भरे गए रिटर्न या किसी केस की जांच में असेसमेंट के दौरान किसी तरह के दस्तावेज आयकर विभाग मांगता, तो उसे भी स्कैन कर ऑनलाइन ही देना होगा। आयकर अफसरों के अनुसार किसी केस में क्यूरी होने पर भी ऑनलाइन ही अपना पक्ष रखना होगा। हालांकि किसी केस में व्यक्तिगत रूप से अपीयर होकर आमने-सामने बैठकर बेहतर ढंग से अपना पक्ष रखा जा सकता है। 16 अगस्त को संशोधित कानूनों का ड्राफ्ट केंद्रीय वित्त मंत्री को सौंपा गया था।
आधार कार्ड से मिलेगी अधिक जानकारी
बोर्ड का मानना है कि परमानेंट एकाउंट नंबर से ज्य़ादा जानकारी आधार कार्ड में होती है। इस वजह से इसे भी लिंक किया जा रहा है। बोर्ड पूरे आयकर विभाग की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए इसे डिजिटलाइज कर रहा है। यह उस दिशा में एक कदम है। इससे पहले स्क्रूटनी का सारी कार्रवाई भी ऑनलाइन की जा चुकी है।
10 साल के बाद वाले भी रिकॉर्ड मांग सकते हैं
आयकर में अभी तक केवल 6 साल तक के रिकॉर्ड रखना अनिवार्य था, मगर नए संशोधन में 10 साल तक के रिकॉर्ड रखने होंगे। यहां तक की विभाग अब चाहे, तो इसके बाद के रिकॉर्ड भी मांग सकता है। ऐसे नियमों से व्यापारियों पर हमेशा तलवार लटकी रहेगी। -जुल्फेश शाह, सीए, नागपुर
Created On :   25 Nov 2019 6:20 AM GMT