उल्टी-दस्त का क्लेम नहीं दिया केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा पॉलिसी तीन तरह से वर्तमान में बेची जा रही है। एक तो बीमा कंपनी ने बड़े शहरों में ऑफिस खोल रखे हैं और उसमें एजेंट नियुक्त किए हैं। एजेंट अनेक लुभावने सपने दिखाकर बीमा करने में आम लोगों का सफल हो जाते हैं। दूसरा ऑनलाइन पॉलिसी बेचने का कारोबार किया जा रहा है, इसी तरह बैंक को अधिक कमीशन देकर खाताधारकों व बैंक से लोन लेने वालों को जबरन पॉलिसी दिलाई जाती हैं। खाताधारक को पॉलिसी देने में बैंक को मोटा कमीशन मिलता है, चूँकि बैंक लोन लेने वाले की मजबूरी होती है कि उसे उक्त बैंक से लोन लेना होता है। पॉलिसी खरीदने के बाद जब बीमित को आवश्यकता होती है तो अनेक प्रकार से उसे परेशान किया जाता है और अस्पताल में कैशलेस की जरूरत होती है तो वह भी नहीं किया जाता है। अनेक प्रकार से प्रताड़ित बीमा कंपनी के क्लेम डिपार्टमेंट के द्वारा किया जाता है, पर जिम्मेदार पूरी तरह आँख बंद किए हुए हैं और प्रशासन के द्वारा किसी तरह का सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है।
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पॉलिसी भी बीमा अधिकारियों ने कर दी निरस्त
हरियाणा के फरीदाबाद निवासी धर्मेन्द्र शर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि पहले आईसीआईसीआई बीमा कंपनी से पॉलिसी का संचालन कर रहा था। चौथे वर्ष केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में पॉलिसी को पोर्ट करा लिया था। बीमा कंपनी के द्वारा पॉलिसी क्रमांक 3724717 का कैशलेस कार्ड दिया गया था। 26 मार्च 2022 को उल्टी-दस्त के कारण उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। वहाँ पर सारी जाँच होने के बाद पूरा इलाज हुआ। बीमा कंपनी के द्वारा उक्त अस्पताल में कैशलेस की सुविधा नहीं दी गई। सुविधा नहीं दिए जाने के कारण बीमित को अपने पास से अस्पताल का बिल भरना पड़ा। बीमित ने ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल सबमिट किए तो अनेक प्रकार की क्वेरी उन बिलों में निकालीं। धर्मेन्द्र ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में सारे दस्तावेज दोबारा जमा किए और क्लेम भुगतान के लिए आवेदन दिया तो बीमा कंपनी ने जल्द निराकरण करने का वादा किया था। उसके बाद अचानक बीमा कंपनी के द्वारा यह कह दिया गया कि आपके द्वारा फर्जी बिल तैयार कराए गए हैं और इसलिए हम आपको क्लेम नहीं दे सकते, वहीं बीमित का कहना है कि बीमा कंपनी के अधिकारी खुद चैक करने आए थे तो उसके बाद भी फर्जी बिल तैयार करने की बात कहना बीमा कंपनी की नीयत पर सवाल खड़ा कर रहा है। बीमित को क्लेम भी नहीं दिया और चार साल पुरानी पॉलिसी भी बीमा कंपनी ने निरस्त कर दी। बीमित का आरोप है कि उसके साथ बीमा कंपनी के द्वारा धोखा किया गया है, वहीं केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि का कहना है कि ग्राहक ने गैर पसंदीदा अस्पताल में इलाज कराने का दावा किया है। अस्पताल को गैर पसंदीदा श्रेणी में रखा गया था, क्योंकि यह समय के साथ कई धोखाधड़ी के दावों के बिलों को तैयार करता था। लिंक अस्पताल नहीं होने की सूचना पूर्व में ग्राहकों को दी जा चुकी है। पूर्व में नेटवर्क अस्पताल में उक्त बीमित के द्वारा इलाज कराया गया था तो हमारी कंपनी के द्वारा क्लेम दिया गया था।
Created On :   20 July 2022 5:30 PM IST