जेजे बोर्ड सदस्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए मंजूरी जरुरी

Approval required for criminal action against JJ board member
जेजे बोर्ड सदस्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए मंजूरी जरुरी
जेजे बोर्ड सदस्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के लिए मंजूरी जरुरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मंजूरी लिए बिना बाल न्याय बोर्ड के सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं चलाया जा सकता हैं। बांबे हाईकोर्ट ने बोर्ड के सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने के लिए जरुरी प्रक्रिया का पालन न करने के लिए पुलिस व मैजिस्ट्रेट को फटकार लगाते हुए यह बात स्पष्ट की हैं। बाल न्यायबोर्ड के सदस्य पर महिला वकील के साथ छेड़छाड का आरोप लगाया गया था। इसके बाद उनके खिलाफ डोंगरी पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। न्यायमूर्ति एएम बदर के सामने बोर्ड के सदस्य के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायमूर्ति ने कहा कि बोर्ड एक वैधानिक संस्था हैं। इसलिए सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार से मंजूरी लेना जरुरी हैं। बोर्ड के सदस्य ने दावा किया था कि उसके मामले में न तो पुलिस ने आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले सरकार से मंजूरी ली है और न ही मैजिस्ट्रेट ने इस पहलू पर विचार किया हैं। इसलिए उसके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर रोक लगाई जाए। इस दौरान बोर्ड के सदस्य के रुप में पैरवी कर रही अधिवक्ता माधवी तवनंदी ने कहा कि बोर्ड के सदस्य के कक्ष में एक मामले की इन कैमरा सुनवाई चल रही थी। शिकायतकर्ता वकील का इस मामले से कोई संबंध नहीं था फिर भी वह सुनवाई कक्ष में घूसी और बाहर जाने के लिए कहने पर उसने हंगामा शुरु कर दिया। और फिर वहां से बाहर आने के बाद बोर्ड के सदस्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करा दिया। उन्होंने कहा कि चूंकी बोर्ड का सदस्य वैधानिक दायित्वोंका निवर्हन करता है कि इसलिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के अंतर्गत उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले मंजूरी लेना जरुरी है जो की नहीं ली गई हैं। इसलिए प्रकरण को लेकर दर्ज की गई एफआईआर वैध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैजिस्ट्रेट ने भी इस पहलू का संज्ञान नहीं लिया हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि मामले से जुड़ा कथित अपराध जब घटित हुआ उस समय याचिकाकर्ता (बोर्ड सदस्य) अपने दायित्व का निवर्हन कर रहे थे। इसलिए इस मामले में मंजूरी लिए बिना कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए थी। इस तरह  से न्यायमूर्ति ने बोर्ड के सदस्य को राहत प्रदान की। 

गोदरेज की जमीन पर नाले से जुड़ा काम करने से हाईकोर्ट ने मनपा को रोका

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका को गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड कंपनी की जमीन पर नाले को चौड़ा करने से संबंधित कार्य को करने से रोक दिया हैं। मनपा कंपनी की जमीन के नीचे के नाले को चौड़ा करना चाहती हैं। ताकि बरसात में जलजमाव की स्थिति को रोका जा सके। पिछले दिनों मनपा ने कंपनी को इस संबंध में नोटिस जारी किया था। जिसके खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की हैं। सोमवार को कंपनी के वकील ने दावा किया कि काम शुरु करने से पहले मनपा ने उससे(कंपनी) अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं लिया हैं।मनपा अवैध रुप से उसकी जमीन पर घुस गई हैं। याचिका में मांग की गई है कि मानपा को उसकी संपत्ति का कब्जा लेने से रोका जाए। वहीं मनपा के वकील ने हलफनामा दायर कर कहा है कि मनपा ने बरसात के परिसर में जलजमाव की स्थिति से बचने के लिए जनहित में नाले को चौड़ा करने का निर्णय किया हैं। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ ने मनपा को आगे काम करने से रोक दिया और मामले की सुनवाई 16 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। 

Created On :   9 March 2020 6:59 PM IST

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