रिटायरमेंट के बाद डॉग्स को भी मिले पेंशन : पशुप्रेमी

animal lovers demand dogs get pension after retirement
रिटायरमेंट के बाद डॉग्स को भी मिले पेंशन : पशुप्रेमी
रिटायरमेंट के बाद डॉग्स को भी मिले पेंशन : पशुप्रेमी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। क्राइम की घटनाओं की तहकीकात के लिए डॉग की भूमिका भी अहम होती है। लंबे समय तक सेवा देने के बाद डॉग्स को रिटायर कर दिया जाता है, लेकिन रिटायर डॉग को भी पेंशन मिलने की मांग उठने लगी है। दरअसल सीजर नामक डॉग आज से करीब 6 माह पहले रेलवे सुरक्षा बल का होनहार खोजी डॉग बेड़े का सदस्य था।

 

10 साल की लंबी सेवा देने के बाद जब सीजर रिटायर हुआ तो देखते ही देखते उसका स्वास्थ्य नाजुक स्तर पर पहुंच गया। मरणासन्न अवस्था में पहुंचने की खबर जब शहर के पशुप्रेमियों को मिली तो मदद के हाथ आगे बढ़े। करीब सप्ताहभर से सीजर का महल स्थित एक पशुप्रेमी के यहां इलाज चल रहा है, लेकिन सीजर की अवस्था को देखकर पशु प्रेमियों ने सरकार से ऐसे डॉग्स को रिटायरमेंट के बाद भी देखरेख के लिए केयर टेकर को पेंशन देने की मांग कर रहे हैं।

 

पीपल फॉर एनिमल संस्था के सुपुर्द किया

शहर की मानद पशु कल्याण अधिकारी करिश्मा गलानी ने बताया कि, आरपीएफ के बेड़े में इस डॉग ने दस वर्षों तक सेवा दी। रिटारमेंट के दौरान  भावभीनी विदाई दी गई। विदाई के बाद इसे पीपल फॉर एनिमल संस्था के सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन इधर मनपा के भांडेवाड़ी स्थित एनिमल शेल्टर में बीमार और घायल डॉग्स को रखा जाने से उसे आरपीएफ के ही एक खाली कमरे में रखने का इंतजाम किया गया। साथ ही डॉग हैंडलर को इसके देखरेख की जिम्मेदारी दी गई।

 

दो हैंडरों की देखरेख में रखे इस डॉग का स्वास्थ्य खराब होने लगा। इसे जख्म हो गए, जिसमें इल्लियां लगने लगी। मरणासन्न अवस्था में उसे करिश्मा ने फिर संभाला और महल स्थित पशुप्रेमी विनोद घाटे के यहां रखा। यहां डॉ. मयूर काटे उसका उपचार कर रहे हैं। उपचार मिलने से उसकी हालत थोड़ी स्थिर है, चेन्नई की संस्था करुणा इंटरनेशनल के सुरेश कंकरिया की ओर से उसके उपचार और दवाइयों के िलए सहायता मिली है, लेकिन इन सब के बाद भी बुनियादी सवाल यह है कि, सरकार को सेवा दे चुके ऐसे डॉग्स को रिटायरमेंट के बाद पेंशन निधि दी जानी चाहिए, जिससे उनके जीवनयापन का मार्ग निकल सके।

 

आमतौर पर डॉग्स की उम्र 18 से 20 वर्ष की होती है, लेकिन स्नाइफर डॉग्स को सूंघने का प्रशिक्षण अधिक दिए जाने से उनके फेफड़े खराब हो जाते हैं, जिससे रिटायर होने के बाद बहुत ज्यादा दिन वे नहीं जी पाते। सेवाकाल के दौरान करीब दस हजार रुपए प्रतिमाह रखरखाव पाने वाले इन डॉग्स को गोद लेने वाले उसके रखरखाव पर उतना खर्च नहीं कर पाते जितना होना चाहिए। इसी के चलते ऐसे डॉग्स का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है।

Created On :   6 Nov 2017 9:16 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story