Nagpur News: इस महिला अधिकारी ने एक बच्चे की बिगड़ी जिंदगी संवारी, जो आज बन चुका है इंजीनियर

इस महिला अधिकारी ने एक बच्चे की बिगड़ी जिंदगी संवारी, जो आज बन चुका है इंजीनियर
  • फिर परिवार को ऐसे किया प्रेरित
  • खुद बनना चाहती थीं शिक्षा अधिकारी
  • कभी स्कूल बैग में बेचने ले जाता था शराब महिला अधिकारी की प्रेरणा से बना इंजीनियर

Nagpur News. अभय यादव | एक छोटी सी पहल किसी के जीवन में नई दिशा ला सकती है। समाज को प्रेरणा देने वाली एक ऐसी ही कहानी जुड़ी है यशोधरानगर थाने की एपीआई मेघा गोखरे के साथ। इस महिला पुलिस अधिकारी ने एक बच्चे की जिंदगी संवार दी। स्कूल की थैली में किताबों के बीच शराब की बोतलें छिपाकर ले जाने वाला वह बच्चा आज इंजीनियर है और फिलहाल दिल्ली की एक कंपनी में ऊंचे पद कार्यरत है।


बच्चे की बेबाकी से दंग

एपीआई मेघा गोखरे की पोस्टिंग चंद्रपुर में थी, जहां शराबबंदी थी। उन्होंने 2015 में एक शराब विक्रेता को गिरफ्तार किया था। शराब विक्रेता का बेटा अपने पिता की जमानत लेने थाना आ गया। वह पांचवीं कक्षा में पढ़ता था। मेघा गोखरे ने कहा कि तुम्हारी जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता है। बच्चा फर्राटेदार अंग्रेजी में बात कर रहा था। मेघा गोखरे ने पूछा कि तुम स्कूल जाते हो क्या? तब उसके पिता ने बताया कि वह अपने स्कूल बैग के अंदर शराब की बोतल लेकर जाता था, इसलिए स्कूल से निकाल दिया गया। बच्चे ने स्वीकार किया कि इसी काम से उनके घर का खर्च चलता है। घर में मां और बहन है।


फिर परिवार को ऐसे किया प्रेरित

गोखरे को उस पर दया आ गई। जिले में शराबबंदी थी। लोग चोरी छिपे शराब बेचते थे। गोखरे ने स्कूल के प्रिंसिपल से बात की। उन्होंने बताया कि मना करने के बावजूद वह स्कूल बैग में शराब की बोतल लेकर आता था। उसकी वजह से दूसरे भी बच्चे बिगड़ रहे थे। गोखरे के कहने पर बच्चे को एक माह के लिए स्कूल में रख लिया गया। इस दौरान उसके पिता की जमानत हो गई। तब गोखरे ने उसके पिता को दो हजार रुपए देकर कहा कि इससे मछली बेचने का काम शुरू करो। उसने शराब का धंधा बंद कर दिया। अपने बेटे को अच्छे स्कूल में पढ़ाने की सोचने लगा। अंतत: उस बच्चे का चंद्रपुर स्थित राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हुआ। वह इंजीनियर बन गया। 2023 में हैदराबाद की एक कंपनी में अच्छे वेतन पर नौकरी मिल गई। अब अब दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में काम करता है।


खुद बनना चाहती थीं शिक्षा अधिकारी

यवतमाल जिले की झरी तहसील के अडकोली गांव में जन्मी मेघा गोखरे के घर की भी आर्थिक परिस्थिति उतनी मजबूत नहीं थी। उन्होंने मन में ठान लिया था कि भविष्य में कुछ बन पाई तो वैसे बच्चों की पढ़ाई में जरूर मदद करेंगी, जो गरीब परिस्थिति के कारण पढ़ नहीं पा रहे हैं। वह खुद एजुकेशन ऑफिसर बनना चाहती थी, लेकिन बन गई पुलिस ऑफिसर। परिवार में पिता मारुति गोखरे, मां और तीन बहनें हैं। मेघा परिवार की बड़ी बेटी हैं। बावजूद इसके तीनों छोटी बहनों की शादी होने के बाद खुद की शादी की। सबसे छोटी बहन की पढ़ाई और शादी उन्होंने खुद की कमाई से कराई। मेघा परिवार के किसी भी सदस्य का जन्मदिन अनाथ आश्रम में मनाती हैं।

‘बच्चे’ की भर आईं आंखें

इधर गोखरे पीएसआई से वह एपीआई बन चुकी थीं। उनका पहला मोबाइल नंबर बंद हो गया था। उस बच्चे ने कई बार इनसे संपर्क का प्रयास किया, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। एक मामले के सिलसिले में जब वह मूल गई तो उस बच्चे के पिता से मुलाकात हुई। तब उसके पिता ने बताया कि शराब बेचने वाला उनका बेटा इंजीनियर बन गया है। यह सब आपकी बदौलत संभव हो सका। गोखरे ने बात की, तो उस बच्चे (अब इंजीनियर) की आंखें नम हो गईं। उसने बताया कि आगे की पढ़ाई कर अब वह विदेश जाना चाहता है।




Created On :   28 April 2025 8:37 PM IST

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